उत्तराखण्ड
दशहरा: अरबों की संपत्ति के मालिक है कुल्लू के देवी-देवता, खजाने पर रहती है चोरों की नजर
दशहरा: अरबों की संपत्ति के मालिक है कुल्लू के देवी-देवता, खजाने पर रहती है चोरों की नजर
सीएन, नैनीताल। नवरात्रों के अंतिम दिन दशहरा का पर्व पूरे देश में तरह-तरह से मनाया जाता है। कई स्थानों में तरह-तरह की परम्पराएं है। लेकिन हिमाचल प्रदेश कुल्लू दशहरा विश्व विख्यात है। हिमाचल में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में आए देवी देवताओं के देवरथों में करोड़ों का सोना-चांदी और जड़ा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव को लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। कुल्लू दशहरे के लिए सप्तमी और अष्टमी को देवी.देवता भी साजो सामान के साथ अपने.अपने स्थानों से प्रस्थान कर जाएंगे। कुल्लू जिले के देवी.देवता अपने करोड़ों रुपयों की संपत्ति के लिए भी जाने जाते हैं। देवताओं के रथों पर ही सोने चांदी की मोहरें जड़ित होती हैं। उत्सव में आए देवी देवता के पास अपनी जमीन भी है। करीब सौ से अधिक देवी देवताओं के रथों में लगाए देव छत्र और मुख मोहरों की कीमत करोड़ों में है। हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते देवी देवताओं की कुल संपत्ति का खुलासा नहीं किया जा सकता है। जिला और प्रदेश में हो रही देव देवताओं की चोरी की घटना से सहमे अधिकतर कारकूनों और देवलुओं ने देवरथों की सुरक्षा के चलते कारकूनों ने अपने देवताओं की पूरी संपत्ति को खुलासा करने से मना कर दिया है। कहा कि देवी देवता स्वयं अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं। बावजूद इसके देवताओं की संपत्ति को उजागर करना उचित नहीं है।प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन देवी देवताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। देवी देवताओं में जिला के बाह्य सराज के अधिष्ठाता खुडीजल, देवता बिजली महादेव और देवी हिडिंबा, लक्ष्मी नारायण, बुंगडू महादेव, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग समेत दर्जनों देवरथ अमीर हैं। देवी देवताओं के महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में इस साल भगवान रघुनाथ की चाकरी में रिकॉर्ड 264 देवी देवता भाग ले रहे हैं। जिला देवी देवता कारदार संघ के कोषाध्यक्ष शेर सिंह ने कहा कि दशहरा में दर्जनों देवी देवताओं के देवरथ सोना और चांदी के सजाए गए हैं। छत्र, मुख.मोहरे, माला और चंद्रहार सहित पूरा सोने के सुशोभित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि देवालयों में घट रही चोरी की वारदातों को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को उचित कदम उठाने की जरूरत है। देवरथ के छत्र में सबसे अधिक सोना जड़ा हुआ था। जबकि कई देवरथों में मोहरों पर भी अधिक सोना जड़ा होता है। देवी.देवताओं के मोहरों की संख्या अलग.अलग रहती है। अधिक मोहरे होने पर देवरथ कीमत बढ़ जाती है। कई देवी-देवताओं के देवरथों पर सोने के बजाय चांदी अधिक रहती है।
देवी-देवता की करोड़ों रुपयों की संपत्ति पर चारों की नजर
कुल्लू में देवालय चोरों के निशाने पर होने के कारण भी देव कारकूनों को प्रशासन ने संपत्ति का जिक्र न करने की हिदायत दे रखी है लेकिन फिर भी देवी.देवताओं की संपत्ति किसी से छुपी नहीं है। कुल्लू में चोरों ने दिसंबर, 2014 में अधिष्ठाता रघुनाथ जी को भी निशाना बना दिया था। रघुनाथ जी को भी चुरा कर चोर निकल गए थे। हालांकि वारदात के डेढ़ माह बाद रघुनाथ जी को ढूंढा जा सका। रघुनाथ जी की त्रेतायुग कालीन मूर्ति की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए है। वारदात के बाद सख्ती बढ़ जाने के कारण चोर इस बेशकीमती मूर्ति को बेच नहीं सके। वहीं देवता आदि ब्रह्मा, देवी पटंती व देवता शंगचूल महादेव सहित अन्य कई देवी.देवता भी बड़ी संपत्ति के स्वामी हैं। उत्सव में आए कई देवी.देवताओं की आगल देव रथ को कंधे पर उठाने के लिए लगी लंबी मोटी स्टिक्स भी चांदी की हैं। उनमें सोना भी लगा हुआ है। इसके अलावा कई देवी.देवताओं के मोहरे और छत्र भी सोने के हैं। मलाणा में देवता जमलू के खजाने में इतनी दौलत है कि जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। देवता के किसी कारज को निपटाने के लिए यदि धन की आवश्यकता हो तो मुख्य कारकून देव आदेश पर जाकर खजाने से इतना धन लाते हैं, जितना एक मुट्ठी में आए। इसमें सोना, चांदी या अन्य कुछ भी कीमती चीज हो सकती है। उसी से देवता के कारज को निपटाया जाता है।