उत्तरकाशी
मिट्टी के ढांक में पांच महिलाएं दबी, एक की मौत, चार को एयरलिफ्ट कर एम्स भेजा
उत्तरकाशी जिले के जौनसार भावर के मोरी तहसील के फिताडी गांव में हुआ यह हादसा
सीएन, उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले के जौनसार भावर के मोरी तहसील के फिताडी गांव में मनरेगा के तहत मिट्टी निकालते समय पांच महिलाएं मलबे में दब गईं। इसमें एक महिला की मौत हो गई है। वहीं अन्य घायलों को एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश रैफर किया गया है। ग्रामीणों ने पांचों महिलाओं सुरी (30) पत्नी विद्वान सिंह, कस्तूरी (33) पत्नी ज्ञान सिंह, सुशीला (35) पत्नी रणवीर सिंह, विपिना (26) पत्नी रामलाल और राजेंद्री (45) पत्नी बहादुर सिंह को मबले से निकाल लिया गया। इनमें से गंभीर रूप से घायल सुरी (30) पत्नी विद्वान सिंह की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी लाते समय मौत हो गई। वहीं घटना की सूचना मिलते ही 108 एंबुलेंस, पुलिस टीम, एसडीआरएफ टीम और राजस्व उपनिरीक्षक घटना स्थल के लिए रवाना हुए। जानकारी के मुताबिक यह घटना सुबह 7.30 बजे हुई। चारों घायल महिलाओं को एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया है। मोरी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डाक्टर नरेश ने बताया कि चार घायलों की स्थिति गंभीर है। जिन्हें एम्स ऋषिकेश के लिए रेफर किया गया है। चारों घायलों को एम्स ऋषिकेश पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने हेलीकाप्टर की व्यवस्था की।
क्या है मनरेगा : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया। यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है जो प्रतिदिन 220 रुपये की सांविधिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य-सम्बंधित अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार हैं। इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों।