उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में अनियंत्रित पर्यटन पर सरकार फेल, पहाड़ सैलानियों के सैलाब से हांफा, स्थानीय मानुष बेबस
उत्तराखंड में अनियंत्रित पर्यटन पर सरकार फेल, पहाड़ सैलानियों के सैलाब से हांफा, स्थानीय मानुष बेबस
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। उत्तराखंड बने 24 साल बीत गये। राज्य बनने के बाद नीति निर्धारकों के एक ही बोल थे-पर्यटन की राह पर संबरेगा उत्तराखंड, लेकिन इन 24 वर्षों में उत्तराखंड में अनियंत्रित पर्यटन पर सरकार फेल हो गई है। पर्यटन के नाम पर पूरा पहाड़ बिक गया है। राज्य के बाहरी लोगों ने अंगद की तरह अपने पांव जमा लिए है। वह पहाड़ को अपनी ऐशगाह बना रहे है। दूसरी ओर पर्यटन के नाम पर आज उत्तराखंड सैलानियों के सैलाब से हांफ रहा, पर्यटकों के साथ पहाड़ भी परेशान हो चुका है। आज तक पर्यटन के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएं नही जुट पाई। सरकार पर्यटन के नाम पर सरकारें कितनी भी अपनी पीठ थपथपा ले लेकिन जमीनी हकीकत सभी को दिखाई दे रही है। नैनीताल, मसूरी, धनौल्टी, हरिद्वार, रानीखेत, अल्मोड़ा, नई टिहरी, चौबटिया, औली, पौड़ी, भीमताल, उत्तरकाशी, जौनसार, सहित धार्मिक स्थलों पर अनियंत्रित भीड़, अनियोजित विकास, अधूरे इंतजाम पहाड़ों के लोगों व पर्यटकों को रुला रहे हैं। पिछले कुछ सालों में विकास के नाम पर उत्तराखंड के पहाड़ों तो जिस तरह उधेड़ा गया है, उसके बाद लोग यहां आकर भी परेशान हो रहे हैं और यहां के लोग भी परेशान हो रहे हैं। कभी इस जिले की पहाड़ियां दरक रही है तो कभी हाईवे की पहाड़ियां। ट्रैफिक जाम, पर्यावरण को नुकसान ये सब हो रहा है विकास की गलत प्लानिंग के कारण। पर्यटन को बढ़ावा उत्तराखंड के लोगों के लिए जरूरी है लेकिन इस तरह से पर्यटन को बढ़ावा पहाड़ों को ही बर्बाद कर रहा है। फिर न तो स्थानीय लोगों की आमदनी रहेगी और न पर्यटकों के जाने लायक जगह बचेगी। उभर रहे धार्मिक स्थलों में आने वाले पर्यटकों पर न तो सरकार की निगरानी है और न ही नियंत्रण। पुलिस व प्रशासन मूक दर्शक बने हुए है। सारे पर्यावरणविद व वैज्ञानिक इस मामले में एकमत हैं कि पर्यटन को बंद नहीं किया जा सकता पर कम से कम नियंत्रित तो किया ही जाए। अगर ऐसा नही हुआ तो इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे। सारे पर्यावरणविद व वैज्ञानिक इस मामले में एकमत हैं कि पर्यटन को बंद नहीं किया जा सकता पर कम से कम नियंत्रित तो किया ही जाए। नैनीताल, मसूरी में कई किलोमीटर लंबे जाम लग रहे हैं। क्योंकि जितने पर्यटकों आ रहे हैं उतनी पार्किंग नहीं है। लोग सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर दे रहे हैं जिससे जाम की समस्या और बड़ी हो जा रही है। नैनीताल के धार्मिक स्थल कैंची धाम में अब जिस तरह पर्यटक आ रहे है। उसे सरकार व प्रशासन बहुत हल्के में ले रहे हैं। पूरे दिन जाम के कारण नैनीताल ही नही पूरे पहाड़ के लोग मुसीबत झेल रहे है। सरकार बार-बार इंतजाम करने की बात कर रही है। दिक्कत ये है कि ये सारी प्लानिंग लेट है। जब तक नई पार्किंग बनेंगी पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी और नतीजा ये होगा कि पहाड़ों पर दबाव बना रहेगा। अगर अब भी सरकार सुविधाएं जुटाने के बजाय सैलानियों के आंकड़ों से अपनी पीठ थपथपाने की जुगत में लगी है तो वह उत्तराखंड के साथ खतरनाक खेल खेल रही है।