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उत्तराखण्ड

कैंचीधाम हनुमान मंदिर : किस्मत बनाने वाले करोली बाबा के नाम से विख्यात

फेसबुक प्रमुख जुकरबर्ग और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स बाबा नीम करोली की भक्त
सीएन, कैंचीधाम।
नैनीताल के कैंचीधाम स्थित हनुमान मंदिर, आज किस्मत बनाने वाले करोली बाबा के नाम से विश्व भर में विख्यात है। नीम करोली बाबा को हनुमान का एक रूप भी बताया जाता है। कैंची धाम देव्-भूमि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में अल्मोड़ा-रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग पर नैनीताल से करीब 38 कीमी की दूरी पर स्थित एक दिव्य, रमणीक, लुभावना स्थल कैंची धाम।यहां सड़क कैंची की तरह दो मोड़ों से होकर आगे बढ़ती है इसीलिए इस जगह का नाम कैंची मोड़ और मंदिर का नाम कैंची धाम पड़ गया। जिसे नीम करोली बाबा का कैंची धाम नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि1964 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक गांव अकबरपुर से लक्ष्मी नारायण शर्मा नामक एक युवक ने यहां आ कर रहना शुरू किया था। चूँकि यहां आने से पहले उस युवक ने फर्रूखाबाद के गांव नीब करौरी में कठिन तपस्य़ा की थी, इसी कारण वे बाबा नीम करौली कहलाने लगे। महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है। बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स भी आते थे। आज फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स बाबा की भक्त हैं। वर्तमान में बाबा तो समाधी ले चुके हैं किन्तु कहते हैं कि हनुमान जी का यह मंदिर बिगड़ी तकदीर बना देता है। देश-विदेश समेत हज़ारों लोग यहाँ अपनी बिगड़ी तक़दीर को बनवाने आते हैं। 27 सितंबर 2015 को जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फेसबुक के मुख्यालय में थे और बातों का दौर चल रहा था तो जुकरबर्ग ने कहा था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी। वहीं से इन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए थे। वह मंदिर कैंची धाम हनुमान मंदिर ही है जहां एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को जाने के लिए कहा था। मंदिर को आज नीम करोली बाबा का कैंची धाम नाम से भी जाना जाता है।
कौन थे नीम करौली बाबा ?
नीम करौली बाबा का जन्म उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 11 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ कर दिया गया था। परन्तु शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने घर छोड़ दिया और साधु बन गए। माना जाता है कि लगभग 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। घर छोड़ने के लगभग 10 वर्ष बाद उनके पिता को किसी ने उनके बारे में बताया। जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें घर लौटने और वैवाहिक जीवन जीने का आदेश दिया। वह तुरंत ही घर लौट आए। कालांतर में उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री उत्पन्न हुए। गृहस्थ जीवन के दौरान वह अपने आपको सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखा।1962 के दौरान नीम करौली बाबा ने कैंची गांव में एक चबूतरा बनवाया। जहां पर उनके साथ पहुंचे संतों ने प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज ने हवन किया।नीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे। वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास में भी मंदिर है। बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें उनका उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन और आर्शीवाद लेने के लिए आने लगे। बाबा ने अपनी समाधि के लिए वृन्दावन की पावन भूमि को चुना। उनकी मृत्यु 10 सितम्बर 1973 को हुई। उनकी याद में आश्रम में उनका मंदिर बनाया गया और एक प्रतिमा भी स्थापित की गई।
पानी घी में बदल गया
कहा जाता है कि कैंची धाम में एक बार भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी।बाबा ने कहा कि नीचे बहती नदी से कनस्तर में पानी भरकर लाएं।उसे प्रसाद बनाने के लिए जब उपयोग में लाया गया तो वह पानी घी में बदल गया।वहीं एक बार बाबा नीम करौली महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया।
विदेशी भी हैं बाबा के भक्त
नीम करौली बाबा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने चमत्कार के कारण जाने जाते हैं। लोकप्रिय लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने ‘मिरेकल ऑफ लव’ नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। सिर्फ यही नहीं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग सहित कई अन्य विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। यहां नीम करौली बाबा का कैंची धाम आश्रम इनके अलावा कई सफल लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत साबित हुआ। एप्पल की नींव रखने से पहले स्टीव जॉब कैंची धाम आए थे। यहीं उनकों कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली थी। जिस वक्त फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो स्टीव जॉब ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी। उसके बाद जुकरबर्ग ने यहां की यात्रा की और एक स्पष्ट विजन लेकर वापस लौटे। फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब के अलावा भारी संख्या में विदेशी साधक नीम करौली महाराज से जुड़ रहे हैं।
मत्कारिक कथा-1
एक चमत्कारिक कथा के अनुसार माता सिद्धि व तुलाराम शाह के साथ बाबा नीम किरौली महाराज किसी वाहन से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत नामक स्थान से नैनीताल को आ रहे थे तो अचानक वे कैंची धाम के पास उतर गए। इस बीच उन्होंने तुलाराम जी को बताया कि श्यामलाल अच्छा आदमी था, उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी, क्योंकि श्यामलाल जी उनके समधी थे। भाषा में ‘था’ शब्द के उपयोग से वे बेरुखे हो गए। किसी तरह मन को काबू में रखकर वे अपने गंतव्य स्थल को चल दिए। बाद में उन्हें जानकारी मिली कि उनके समधी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। कितना अलौकिक दिव्य चमत्कार था बाबा नीम किरौली महाराज का कि उन्होंने दूर घटित घटना को बैठे-बैठे जान लिया इस तरह की अनेक चमत्कारिक घटनाएं बाबा नीम किरौली महाराज जी से जुड़ी हुई है।
चमत्कारिक कथा-2
इसी तरह 15 जून 1991 को घटी एक चमत्कारिक घटना के अनुसार कैंची धाम में आयोजित भक्तजनों की विशाल भीड़ में बाबा ने बैठे-बैठे इसी तरह निदान करवाया कि जिसे यातायात पुलिसकर्मी घंटो से नहीं करवा पाए। थक-हार कर उन्होंने बाबा जी की शरण ली। आख़िरकार उनकी समस्याओ का निदान हुआ। यह घटना आज भी खास चर्चाओ में रहती है। इसके आलावा यहाँ आयोजित भंडारे में ‘घी’ की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो, वह जल घी में परिवर्तित हो गया। इस चमत्कार से आस्थावान भक्तजन नतमस्तक हो उठे।
चमत्कारिक कथा-3
एक अन्य चमत्कार के अनुसार बाबा नीम किरौली महाराज जी ने गर्मी की तपती धूप में एक भक्त को बादल की छतरी बनवाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुचवाया। इस तरह एक नहीं अनेक किवंदतिया जुड़ी हुई है बाबा नीम किरौली महाराज से। नीम करौली बाबा को यह स्थान बहुत प्रिय था। प्राय: हर गर्मियों में वे यहीं आकर निवास करते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। अब तो यहाँ पर बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित कर दी गयी है। यहाँ पर यात्रियों के ठहरने के लिए एक सुन्दर धर्मशाला भी है। यहाँ पर देश-विदेश के आये लोग प्रकृति का आनन्द लेते हैं।
15 जून को विशाल मेले व भंडारे का आयोजन
देवभूमि उत्तराखंड की अलौकिक वादियों में से एक दिव्य रमणीक लुभावना स्थल है “कैंची धाम”। कैंची धाम जिसे नीम किरौली धाम भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता है। अपार संख्या में भक्तजन व श्रद्धालु यहां पहुचकर अराधना व श्रद्धा पुष्प श्री नीम किरौली के चरणों में अर्पित करते है। हर वर्ष 15 जून को यहां एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। भक्तजन यहां पधारकर अपनी श्रद्धा व आस्था को व्यक्त करते है। कहते है कि यहां पर श्रद्धा एवं विनयपूर्वक की गयी पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। यहां पर मांगी गयी मनौती पूर्णतया फलदायी कही गयी है।
दो तीव्र मोडों के कारण इस स्थान का नाम कैंची
कैंची धाम नैनीताल–अल्मोडा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर पर अवस्थित है । इस आधुनिक तीर्थ स्थल पर बाबा नीब करौली महाराज का आश्रम है । प्रत्येक वर्ष की 15 जून को यहां पर बहुत बडे मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश के श्रद्धालु भाग लेते हैं । इस स्थान का नाम कैंची मोटर मार्ग के दो तीव्र मोडों के कारण रखा गया है । इसका कैंची से कोई संबंध नहीं है। धाम परिसर मे ही मंदिर के निकट एक गुफा भी है जहाँ बाबा नीब करोरी अपना समय ध्यान और ताप में व्यतीत करते थे इस कारण इस गुफा को एक पवित्र क्षेत्र माना जाता है। प्रतिवर्ष वर्ष 15 जून को वार्षिक समारोह के रूप मे मनाए जाने वाला त्यौहार, कैंची धाम मन्दिर का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है।

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