Connect with us

उत्तरकाशी

लो पहुंच गई मां गंगा जी की उत्सव डोली अपने धाम गंगोत्री


लोकेंद्र बिष्ट. गंगोत्री धाम। अक्षय तृतीया को विश्वप्रसिद्ध आस्था के धाम गंगोत्री में माँ गंगा के व यमुनोत्री में माँ यमुना कपाट (द्वार) श्रद्धालुओं के लिए विधि विधान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खोल दिये गए हैं।शीतकाल के 6 महीनों माँ गंगा जी की भोगमूर्ति गंगोत्री से 20 किलोमीटर पहले मुखवा गांव में स्थित गंगोत्री मंदिर में विराजमान रहती हैं।मुखवा को माँ गंगा का मायका भी कहा जाता है।ग्रीष्मकालीन के 6 महीनों के लिए माँ गँगा जी की भोगमूर्ति एक भव्य उत्सव डोली में बैठकर हज़ारों श्रद्धालुओं के साथ गाजे बाजों व सेना की बैंड धुन के साथ गंगोत्री के लिए अक्षय तृतीया के एक दिन पहले गंगोत्री तीर्थ के लिए रवाना होती हैँ। इस दिन माँ गंगा जी की यात्रा भैरों घाटी के भैरव मंदिर में विश्राम करती हैं। अक्षय तृतीया को सुबह सवेरे को यात्रा और भव्य व विशाल जनसमूह के साथ अपने गंतव्य को निकाल पड़ती हैं। गंगोत्री पहुंचते पहुंचते यात्रा में हज़ारों श्रद्धालु शामिल हो जाते हैं। माँ गंगा के जयकारों व उदघोष के ढोल नगाड़ों व सेना के बैंड की धुन व शंखनादके साथ साथ समूची गंगोत्री घाटी व हिमालय गूँज उठता है। समूचा धार्मिक वातावरण अति शोभायमान हो जाता है। गंगोत्री पहुंचते ही माँ गंगा के जयकारों के साथ गंगोत्री में वहाँ पहले से ही मौजूद हज़ारों श्रद्धालु माँ गंगा जी की शोभा यात्रा की माँ गंगा जी के जयकारों के साथ धूप अगरबत्ती फूल मालाओं से स्वागत करते हैं।गंगोत्री मुख्य मंदिर में पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उत्सव डोली भव्य शोभायात्रा माँ गँगा की बहती निर्मल, अविरल, दिव्य धारा में पूजा स्नान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना व माँ गंगा की स्तुति की जाती है। इसी के साथ यात्रा जत्था माँ गंगा जी के तट पर विराजमान भागीरथ शिला की पूजा की जाती है।
इन सबके बाद मुख्य गंगोत्री मंदिर प्रांगण में गँगा जी की भव्य स्तुति गान, पूजा, अनुष्ठान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया जाता है। पूजा समापन के साथ ही गंगोत्री मुख्य मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाते हैं।कपाट खुलने के पलों का हज़ारों श्रधालु साक्षात बनने की होड़ में रहते हैं। कपाट खुलते ही माँ गँगा जी की डोली व भोगमूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाती हैं।
गौरतलब है कि गंगोत्री मुख्य मंदिर में माँ गंगा जी की विशाल शिला मूर्ति पहले से ही विराजमान रहती हैं। कपाट खुलने व कपाट बंद होने पर गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ जी की भोगमूर्ति ही अपने शीतकालीन मंदिरों में पूजी जाती हैं।स्थाई मूर्तियां तो अनादिकाल से इन्हीं चारों धामों में विराजमान हैं।

Continue Reading
You may also like...

More in उत्तरकाशी

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING