उत्तराखण्ड
राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा-उत्तराखंड नैनीताल पहुंची, उद्देश्यों पर हुई चर्चा
सीएन, नैनीताल। राष्ट्रीय सद्भावना यात्रा-उत्तराखंड नैनीताल पहुंची जहां एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में यात्रा के उद्देश्यों और आगे की यात्रा के कार्यक्रमों पर शहर के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और समाज सेवकों से व्यापक विचार विमर्श किया।यात्री दल का स्वागत नैनीताल समाचार के सम्पादक और वरिष्ठ आंदोलनकारी राजीव लोचन साह ने किया उन्होंने यात्रा की आवश्यकता को इंगित करते हुए इसे समय की मांग बताया और कहा कि यात्रा से उत्तराखंड की समन्वयवादी सद्भावना मजबूत होगी।वहीं इतिहासकार पद्मश्री प्रो शेखर पाठक ने यात्रा के दौरान उत्तराखंड के जननायकों के कार्यों को रेखांकित करते हुए यात्रा से यह अपेक्षा की कि इस यात्रा से उत्तराखंड के सांस्कृतिक धार्मिक और भाषाई विविधता में एकता के बारे में लोगों से संवाद स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में विविधता की फितरत है, यहां का भूगोल जलवायु और सांस्कृतिक विविधता हमें एकता का संदेश देती उत्तराखंड में करीब डेढ़ दर्जन भाषा और बोली बोलने वाले हैं जो आपसी सदभाव से रहते हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा सामाजिक जातिगत और धार्मिक मुद्दों को पर जन सामान्य से बातचीत करके वर्तमान परिस्थितियों में समन्वय और सद्भाव की बात करे। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संवैधानिक व्यवस्था है जिसको हर हाल में बढ़ाया जाना चाहिए। यात्रा में असंगठित मजदूरों व महिलाओं की स्थिति किशोर किशोरियों व युवाओं के मुद्दे व समस्याओं, पशुधन की स्थिति, प्राकृतिक संसाधनों की हिफ़ाज़त जैसे मुद्दों पर मौजूदा हालात का जायजा लेगी। इस यात्रा को कोई पाठ या सीख भी निकलनी चाहिए।इस गोष्ठी को यात्रा दल में शामिल पद्मश्री बसंती बहन ने उत्तराखंड में महिलाओं की स्थिति यह पर अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब तक लोग संगठित नहीं होंगे तब तक कोई परिवर्तन नहीं होगा। उन्होंने सद्भावना के लिए हर तरह के उत्पीड़न, अत्याचार, और असमानता खत्म करने पर जोर दिया।यात्रा संयोजक भुवन पाठक ने सद्भावना यात्रा के अनुभव को गोष्ठी में साझा किया और कहा लोगों ने तमाम आशंकाओं के बीच यात्रा का स्वागत किया। उन्होंने उत्तराखंड में सद्भावना की परम्परा को विरासत बताते हुए इसे बनाए रखने पर ज़ोर दिया उन्होंने कहा कि हमारे जननायकों और लोकदेवताओं परस्पर समन्वय और सौहार्द का संदेश दिया है। उन्होंने बताया कि इस यात्रा के आयोजक राजीव गांधी फाउन्डेशन है, उन्होंने उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों और समाज सेवकों से निवेदन किया कि राष्ट्रीय स्तर पर हो रही इस सद्भावना यात्रा में शामिल होकर सहयोग और आशीर्वाद दें। गोष्ठी को संबोधित करते हुए सद्भावना यात्रा के संयोजक उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष इस्लाम हुसैन ने शान्ति और सद्भाव को विकास का मूल आधार बताया, उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में देश प्रगति की दौड़ में भारत दक्षिण एशिया के सबसे ग़रीब मुल्क बंगलादेश से भी पिछड़ गया है। जिसका सबसे बड़ा कारण शांति और सद्भाव के माहौल में कमी तथा अनावश्यक धार्मिक विवादों को बढ़ावा देने की घटनाएं हैं। सद्भावना यात्रा उत्तराखंड में सभी तरह के जातिगत और धार्मिक विभेद और असमानता पर लोगों को जागरूक करने का कार्य करेगी जिसके लिए उत्तराखंड के जननायकों के संघर्षों की मिसाल सामने रखी जाएगी।टिहरी सर्वोदय मण्डल के अध्यक्ष व चिपको आंदोलनकारी साहिब सिंह सजवाण ने उत्तराखंड में जल जंगल के सवालों के साथ सामाजिक धार्मिक सद्भाव और एकता पर जोर दियामहिला पत्रिका उत्तरा की सम्पादिका सुश्री उमा भट्ट ने सद्भावना यात्रा का स्वागत करते हुए समाज में महिलाओं के प्रति असमानता और उनके शोषण को रोकने पर जोर दिया। गोष्ठी को रीता इस्लाम, और कैलाश जोशी ने भी सम्बोधित किया।गोष्ठी में राजीव गांधी फाउन्डेशन के परमानंद भट्ट ने अतिथियों को का स्वागत किया।गोष्ठी में शीला रजवार, मुन्नी तिवारी, हीरा तिवारी, सरस्वती खेतवाल, चम्पा उपाध्याय, माया चिलवाल, जय जोशी,अजय कुमार, दिनेश उपाध्याय, त्रिभुवन तिवारी, , दुर्गा मेहता, विनीत यशस्वी, कैलाश तिवारी, प्रताप खाती अरुण रौतेला के अलावा यात्री दल के रूप राजीव गांधी फाउन्डेशन के परमानंद भट्ट, गोपाल, प्रयाग भट्ट, सुन्दर बरोलिया, और नरेन्द्र ने भाग लिया।