उत्तराखण्ड
ऑनलाइन टैक्सी सर्विस शुरू करने को छोटे कारोबारियों के लिए रास्ता खुला
ऑनलाइन टैक्सी सर्विस शुरू करने को छोटे कारोबारियों के लिए रास्ता खुला
शुरुआत करने वाले कारोबारियों को फीस और सिक्योरिटी राशि भी कम देनी पड़ेगी
सीएन, देहरादून। ओला-उबेर की तरह ऑनलाइन टैक्सी सर्विस शुरू करने के इच्छुक स्थानीय और छोटे परिवहन कारोबारियों के लिए रास्ता खुलने जा रहा है। परिवहन विभाग एग्रीगेटर पॉलिसी में कुछ अहम बदलाव कर रहा है। इसके तहत कम वाहनों के साथ शुरुआत करने वाले कारोबारियों को लाइसेंस के लिए फीस और सिक्योरिटी राशि भी कम देनी पड़ेगी। राज्य परिवहन प्राधिकरण ने पिछले साल 23 अक्तूबर 2021 की बैठक में ऑनलाइन टैक्सी कैब सेवाओं को शुरू करने के लिए मंजूरी दी थी। इसकी प्रक्रिया को अब नए सिरे से संशोधित किया जा रहा है।वर्तमान में ऑनलाइन टैक्सी-कैब सर्विस के लिए लाइसेंस की फीस पांच लाख रुपये और पांच लाख रूपये सिक्योरिटी फीस है। यह नियम सभी पर एक समान रूप से लागू है। नई व्यवस्था में वाहनों की संख्या के अनुसार चार श्रेणियां बनाई जा रही हैं। कम वाहनों के साथ शुरू करने वालों को एक लाख रुपये ही देने होंगे। वाहन संख्या के साथ लाइसेंस फीस और सिक्योरिटी मनी का दायरा बढ़ता जाएगा। इस व्यवस्था से स्थानीय और कम वाहन वाले लोगों को अपनी वाहन संख्या के अनुसार ही फीस देनी होगी। जिससे उन पर आर्थिक बोझ कम पड़ेगा। वर्तमान में बड़ी ऑनलाइन टैक्सी-कैब कंपनियों के साथ जुड़कर काम करने वाले छोटे वाहन मालिकों के लिए कमीशन राशि तय की जाएगी। वर्तमान में कमीशन राशि तय करने में संचालक कंपनी का एकाधिकार है। इसमें अक्सर वाहन चलाने वाले व्यक्ति को ज्यादा फायदा नहीं होता। परिवहन विभाग रूट, सफर के अनुसार तय किराए को आधार बनाते हुए कमीशन राशि तय करेगा। जिसमें वाहन मालिक को ज्यादा से ज्यादा हिस्सा मिल सके और उनका लाभ ज्यादा हो। प्रतिशत कम या ज्यादा किराया लेने की छूट
ऑनलाइन सेवाओं का किराया अभी कंपनियां अपने स्तर से तय कर रही हैं। पालिसी में बदलाव करते हुए इन्हें राज्य परिवहन प्राधिकरण से तय किराए के दायरे में लाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार मांग बढ़ने पर कंपनियों संबंधित रूट पर एसटीए से तय किराए से 25 फीसदी तक ही ज्यादा ले सकते हैं। जबकि ऑफ सीजन में कंपनियां 25 फीसदी तक कम किराए पर सेवाएं दे सकेंगे। इससे ज्यादा कंपनियों को फायदा होगा, वहीं यात्रियों से भी ज्यादा किराया वसूलने की शिकायतें नहीं आएंगी। इधर उप परिवहन आयुक्तध्सचिव.एसटीए सनत कुमार सिंह का कहना है कि एग्रीगेटर पॉलिसी को राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव की कवायद चल रही है। उत्तराखंड में भी इसे संशोधित किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा अवसर देने और वाहन मालिक की मुनाफे में शेयरिंग बढ़ाने को नीतियों को सरल बनाया जा रहा है। संशोधित ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।