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उत्तराखण्ड

सरोवर नगरी के मौन मुखर लोक कला मर्मज्ञ राजेन्द्र लाल साह जी…..

(श्री कांता प्रसाद साह ( गुरु जी) जी से एक भेंट वार्ता से जो जानकारी चन्द लाल साह जी व राजेन्द्र लाल साह जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर मुझे प्राप्त हुई उस जानकारी को  संक्षिप्त रूप में आपके साथ सांझा कर रहा हूं)

बृजमोहन जोशी, नैनीताल। राजेन्द्र लाल साह जी का जन्म चन्द्र लाल साह जी (चन्द्र लाल बाबू) श्रीमती विद्या साह जी के घर नैनीताल में हुआ। आपकी शिक्षा नैनीताल में हुई। आप नैनीताल में सांस्कृतिक व सामाजिक संस्था शारदा संघ नैनीताल के लम्बे समय तक सचिव रहे आपसे पूर्व आपके पिता चन्द्र लाल साह जो शारदा संघ के संस्थापक रहे हैं। उनके विषय में स्वर्गीय हरीश चंद्र साह अध्यक्ष शारदा संघ ने एक सभा में कहा था ” अगर चन्द लाल साह न होते तो आज यह संघ भी न होता।” अध्यक्ष के इस कथन के पीछे भी एक कारण था और यही शारदा संघ के जन्म की कहानी भी है। चन्द्र लाल साह जी ने इन्जिनियरिंग की शिक्षा प्राप्त की और उन्हें सांख्यिकी गणित का भी ज्ञान था। चन्द्र लाल साह जी (शारदा संघ नैनीताल) का श्री मां नन्दा देवी मूर्ति निर्माण कार्य को वर्तमान स्वरूप देने में महत्वपूर्ण योगदान है। चन्द लाल साह जी के देहावसान के बाद आप( राजेन्द्र लाल साह) शारदा संघ के लम्बे समय तक सचिव रहे। आपका कुमाऊंनी पारम्परिक लोक चित्रकला ऐपण विधा पर गहरा अध्ययन था।आपने शारदा संघ नैनीताल के माध्यम से अल्मोड़ा, रानीखेत, बागेश्वर, द्वाराहाट आदि स्थानों में अपने सहयोगियों के साथ वहां जा जा कर ऐपण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया।आपने शारदा संघ नैनीताल में भी लम्बे समय तक अपने सहयोगियों के सहयोग से कई वर्षो तक ऐपण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। पूज्यनीय गुरु जी कांता प्रसाद साह जी ने बतलाया कि राजेंद्र लाल साह जी ने पौराणिक पारम्परिक लोक चित्रकला विधा पर गहरा अध्ययन किया था और उनका परिचय अनेक लोक कला मर्मज्ञों से था उनके साथ उनकी लोक कलाओं के सम्बन्ध में अक्सर चर्चा होती रहती थी। आपने शारदा संघ नैनीताल के महासचिव रहते हुए अथक प्रयासों के बाद चन्द्र शेखर पन्त संगीत विद्यालय की स्थापना की। गुरु जी ने यह बतलाया कि राजेन्द्र लाल साह जी अक्सर मौन ही रहते थे, वैसे वह सामान्य जीवन में भी मौन ही रहते थे। किन्तु  जब उनसे लोक के विराट पक्षों पर या अन्य विषयों पर चर्चा होती थी तो तब पता चलाता था उनके उस अथाह ज्ञान के भण्डार का। बाद के समय में जब उनके सहयोगी नहीं रहें उनमें कार्य करने की वो स्फूर्ति नहीं रही तो आप अपने अध्ययन कार्य में और फुलवारी के कार्य में व्यस्त रहने लगे। एक साक्षात्कार में मुझे राजेन्द्र लाल साह जी से लोक कला मर्मज्ञ नाथूराम उप्रेती जी के ऐपण कार्य पर किये गये कार्यों के विषय पर चर्चा करने का अवसर मिला में उस समय पण्डित नाथूराम उप्रेती जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर वृत चित्र बना रहा था तो राजेन्द्र लाल साह जी व बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी विश्वभर नाथ साह ” सखा” जी से तथा पदम् श्री डाक्टर यशोधर मठपाल जी से नाथूराम उप्रेती जी के विषय में तथा लोक कला के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। मैं लगभग बाईस – तेईस वर्षों से राजेन्द्र लाल साह जी के साथ जुड़ा रहा। साह जी मुझे तथा मेरे कार्य के कारण बहुत मान देते थे। मेरी संस्था परम्परा के कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी हमेशा होती थी। मेरी तरह साह जी भी लोक कला के वर्तमान स्वरूप – ह्रास ,ऐपण के नाम पर उसके विकृत स्वरूप, बाजारवाद से बेहद चिंतित थे इस विषय में उनसे तथा बहुआयामी व्यक्तित्व विशम्भरनाथ साह ” सखा” जी से कुमाऊंनी होली के संरक्षक के.के. साह जी से रंगकर्मी व जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा जी से कई बार चर्चा होती थी। ऐपण प्रतियोगिता के निर्णायक कार्य के दौरान साह जी निर्णायक के कार्य में मुझसे हमेशा मेरी राय लेते और मेरी बात का हमेशा समर्थन करते थे निर्णय करने से पहले हम दोनों उस आलेखन पर काफी देर तक चर्चा करते थे। यही कारण है कि वृन्दावन पब्लिक स्कूल में होने वाली ऐपण प्रतियोगिता मे मैं होता तो निर्णायक था मगर साह जी हमेशा मुझे आयोजक मण्डल का सदस्य ही मानते थे सम्मान देते थे। गुरु जी कांता प्रसाद साह जी ने बतलाया कि वो एक मौन मुखर व्यक्ति थे वो व्यक्ति को जानते थे, उसकी प्रतिभा को पहचानते थे। शारद संघ कि उपलब्धि में चन्द लाल साह जी के बाद राजेन्द्र लाल साह जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आपने नगर पालिका परिषद नैनीताल के पुस्तकालय की उपलब्धि हेतु स्वयं पुस्तकालय का कोर्स किया। आपने श्री राम सेवक सभा मल्लीताल नैनीताल श्री नन्दा देवी स्मारिका शताब्दी वर्ष १९८३-८४ का सम्पादन भी किया। आपके विचार आपकी दूरदर्शिता आपके कार्य करने की शैली अद्वितीय थी।साह जी जिस कोटी के जानकार थे जिस कला के जिस ज्ञान के जिस प्रतिभा के ज्ञाता थे उसका सही मूल्यांकन हम नहीं कर पाये और ना ही कभी उन्होंने अपने आप को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया जो उनकी महानता थी।आज तो लोगों में अपने नाम के आगे विद लगाने की परम्परा चल पड़ी है। साह जी नगर पालिका परिषद नैनीताल के सदस्य भी रहे और उनकी विशेषता यह थी कि उन्हें नगर पालिका के बायलाज (उप नियम) याद थे, कण्ठ थे। राजेन्द्र लाल साह और उनके परिवार ने २००९ में चन्द्र लाल साह मैमोरियल एजूकेशन सोसायटी का गठन किया जिससे तत्वावधान में वृन्दावन पब्लिक स्कूल संचालित होता है। इसके साथ २०१० से ताईकान्डो कि कक्षाएं संचालित हो रही है। २०२१ में वृन्दावन डांस एण्ड अकादमी का संचालन सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। राजेन्द्र लाल साह जी द्वारा विगत कई वर्षों से टेबल टेनिस प्रतियोगिता तथा वृन्दावन पब्लिक स्कूल नैनीताल में अपने पिता जी की स्मृति में चन्द्र लाल साह मैमोरियल वार्षिक अंतर विद्यालयीय ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता रहा किन्तु उनके आकस्मिक निधन हो जाने के बाद- कोरोना वायरस के कारण यह प्रतियोगिता नहीं हो पाई। वृन्दावन पब्लिक स्कूल नैनीताल कि प्रधानाचार्या श्रीमती राखी साह जी के द्वारा वर्ष २०२४ से पुनः इस ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। जो कि सही मायने में श्री साह जी को हम सबकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस वर्ष २०२५ द्वितीय राजेन्द्र लाल साह मैमोरियल ओपन ऐपण प्रतियोगिता २०२५ का आयोजन किया जा रहा है।यह प्रतियोगिता दिनांक- २५-१०-२०२५ को वृन्दावन पब्लिक स्कूल नैनीताल में प्रातः समय १०:३० से आरम्भ होगी। इस प्रतियोगिता में कुल ३० प्रतिभागी सहभागिता कर पायेंगे। नियमावली के अनुसार प्रतियोगिता में आलेखन  पारम्परिक तरीके से गेरू- विस्वार से तथा हाथ की अंगुलियों की सहायता से ही किया जायेगा । ब्रश, स्केल पेन्सिल आदि का प्रयोग नहीं किया जायेगा।विषय का चयन पर्ची के अनुसार होगा, प्रतिभागियों को – इस प्रतियोगिता में – सरस्वती चौकी ६ कोने की , लक्ष्मी चौकी, शिव चौकी, नवदुर्गा चौकी,, जनेऊ चौकी,धुलीअर्ग चौकी, नाता, लक्ष्मी नारायण में से किसी एक चौकी का निर्माण करना होगा। प्रतियोगिता में कुल ६ पुरुस्कार रखे गये हैं। प्रतियोगिता के निर्णायकों का निर्णय सभी को मान्य होगा। इस उपरोक्त प्रतियोगिता की सभी तैयारियां आयोजकों द्वारा पूर्ण करली गयी हैं। गुरु जी श्री कांता प्रसाद साह जी  मैं बृजमोहन जोशी परम्परा परिवार तथा वृन्दावन पब्लिक स्कूल परिवार कि ओर से हम सब चन्द लाल साह जी व राजेन्द्र लाल साह जी को शत शत नमन करते हैं उन्हें अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करते है।

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