उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में चाय उत्पादन योजनाओं को पर्यटन से जोड़ने की कवायद
-प्रदेश से उत्पादित होने वाली चाय की विश्व भर में हो चुकी पहचान, बिक्री स्टाल राजमार्गो पर लगाये जाने योजना शुरू
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। उत्तराखंड की चाय उत्पादन योजनाओं को पर्यटन सर्किट से जोड़ते हुये महिलाओं व किसानों के हाथ मजबूत करने जा रही है। पर्यटकों को भी उत्तराखंड की चाय से रूबरू कराया जा रहा है। पर्यटन सर्किट में चाय की खेती, धार्मिक, पौराणिक स्थलों का भी समावेश किया जायेगा। नैनीताल के श्यामखेत सहित कौसानी, चंपावत, चमोली व अन्य चाय बागानों में यह कार्य प्रारंभिक रूप से शुरू भी कर दिये गये हैं। नैनीताल श्यामखेत, कौसानी, चंपावत, चमोली व अन्य चाय बागानों में स्थापित फैक्ट्री से उत्पादित चाय को राष्ट्रीय राजमार्गों में छोटे-छोटे स्टाल लगा कर बिक्री करने पर भी उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड की योजना है। उत्तराखंड से उत्पादित होने वाली चाय की विश्व भर में पहचान है। यहां उत्पादित आर्गेनिक चाय को कनाडा, जापान व हालेंड ने सर्वश्रेष्ठ चाय घोषित किया है। श्यामखेत चाय बागान के प्रबंधक नवीन पांडे ने बताया कि चाय बागानों में स्थापित कैफों का संचालन भी महिला स्वयं समूहों को साैंपा गया है। कैफे में उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पादों सहित चाय की बिक्री भी की जा रही है। वर्तमान में नैनीताल, कैंचीधाम, कौसानी, चम्पावत में स्टाल लगा कर चाय की बिक्ररी की जा रही है। मालूम हो कि अंग्रेजी शासनकाल में कुमाऊं के कौसानी, भवाली, बेरीनाग, चौकोड़ी, भीमताल, लमगड़ा चाय उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र थे लेकिन आजादी के बाद बागान नष्ट होते गये। वर्ष 1994 के बाद पुनः चाय बागानों को पुर्नजीवित करने के प्रयास शुरू हुए। राज्य बनने के बाद इसमें तेजी आई।
नैनीताल जिले में 296.932 हेक्टेयर में चाय बागान विकसित
नैनीताल। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड द्वारा नैनीताल जनपद के घोड़ाखाल चाय डिवीजन में सरकार द्वारा वर्ष 1994-1995 से वर्ष 1999 तक सैनिक स्कूल से लीज पर ली गई भूमि पर चाय बागान विकसित करने की परियोजना की शुरूआत की गई थी। घोडाखाल चाय बागान के अन्तर्गत 12 हेक्टेयर में चाय बागान विकसित किये गये। बोर्ड द्वारा वर्तमान वर्ष 2017 से अब तक नैनीताल जनपद के रामगढ़ विकास खंड में 42.83 हैक्टेयर, धारी विकास खंड में 68.776 हेक्टेयर तथा बेतालघाट विकास खण्ड में 11.921 हेक्टेयर कुल 128.52 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे बागान विकसित किए गए है। वर्तमान में रामगढ़ विकास खण्ड के श्यामखेत व निगलाट में 12.61 हेक्टेयर, नथुवाखान में 30.22 हेक्टेयर, विकास खंड धारी के पदमपुरी में 28.091 हेक्टेयर, सरना, गुनियालेख में 40.68 हेक्टेयर तथा विकास खंड बेतालघाट में 12.73 हेक्टेयर जनपद में कुल 124.33 हेक्टेयर चाय की खेती की जा रही
उत्तराखंड में चाय उत्पादन को 25 स्थान चिन्हित
नैनीताल। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने अपने ताजा सर्वे में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में 25 स्थान चाय उत्पादन के लिए चिन्हित किये है। जिनमें शीघ्र ही योजनाएं काम शुरू कर देंगी। बोर्ड के अनुसार नैनीताल के बेतालघाट, धारी, ओखलकांडा, रामगढ़, पौड़ी के र्सिसू व पाबों, पिथौरागढ़ के बेरीनाग, मुनस्यारी व डीडीहाट, चम्पावत के लोहाघाट व पाटी, यद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनी, जखौली व ऊंखीमठ, अल्मोड़ा के चौखुटिया, धौलादेवी व ताकुला, बागेश्वर के गरूड़ व कपकोट, चमोली जनपद के गैरसैंण, कर्णप्रयाग, पोखरी व थराली शामिल है।
नौ जनपदों के 28 विकास खंडों में 1450 हेक्टेयर में हो रही खेती : खोलिया
नैनीताल। उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के मुख्य वित्त अधिकारी अनिल खोलिया ने बताया कि उत्तराखंड के नौ जनपदों के 28 विकास खंडों में वर्तमान में 1450 हेक्टेयर भूमि में चाय की खेती की जा रही। इस समय कुल उत्पादन 84 हजार किलो हो चुका है। इस समय पांच स्थानों में फैक्ट्री स्थापित हैं। चमोली व जागेश्वर में फैक्ट्री लगाना प्रस्तावित है। राज्य के सभी चाय बागानों में भ्रमण करने वाले लोगों से प्रवेश शुल्क लिया जाता है। कौसानी, श्यामखेत, चम्पावत व चमोली चाय बागानों में कैफे, पाथवे, कौटेज व अन्य सुविधाएं सैलानियों को दी जा रही हैं। चाय बोर्ड आने वाले दिनों में चाय फैक्ट्रियों को प्राइवेट सेक्टर को सौंपने व चाय बागानों को काश्तकारों को सौंपने की योजना भी बना रहा है। वर्तमान में चाय उत्पादन क्षेत्र में 4 हजार लोग प्रत्यक्ष व एक हजार से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है।