उत्तराखण्ड
टनकपुर. बागेश्वर रेल लाईन का फाइनल सर्वे शुरू
रेल लाईन सर्वे को केन्द्र ने स्वीकृत किये 28.95 करोड़ रूपये
सामरिक, पर्यटन, धार्मिक पर्यटन में मिल सकता था लाभ
1911.12 में सर्वेक्षण कार्य युद्ध के कारण अंग्रेजो ने रोका
बीते दिनों रेल मंत्री वैष्णव व उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के बीच वार्ता के दौरान रेल मंत्री द्वारा कुमाऊं के टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन का सर्वे को 28.95 करोड़ स्वीकृत किये जाने व अब फाईनल सर्वे कार्य शुरू हो जाने के बाद कुमाऊ व गढ़वाल के लोगों व इस क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों को अब रेल लाईन बिछाने की आस जग गई है। बता दें कि टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन का फाईनल सर्वे कार्य नोयडा की स्काईलार्क कंपनी ने शुरू कर दिया है। सर्वे का कार्य इन दिनों टनकपुर से लोहाघाट नेशनल हाईवे के समानान्तर किया जा रहा है। मालूम हो कि प्रस्तावित टनकपुर.बागेश्वर रेलवे लाईन सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। 21 वीं सदी की युद्ध नीति में इसका बहुआयामी उपयोग किया जा सकता है। टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन के यात्रा पथ में महाकाली के नदी के समानान्तर 154. 58 किमी की यह रेल लाईन प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी। टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन से पर्यटन, बागवानी, खनिज उत्पादन, धार्मिक पर्यटन आदि में बहुउपयोगी लाभ मिल सकता था। इन सबके अतिरिक्त इस रेल लाईन से अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत व चमोली गढ़वाल जनपद के सघन बसाव क्षेत्र की 30 लाख से अधिक की जनसंख्या को सरल व महत्वपूर्ण परिवहन तंत्र की सुविधा मिल सकती है। प्रस्तावित टनकपुर.बागेश्वर रेलवे लाईन सर्वे पर वरिष्ठ पत्रकार चन्द्रेक बिष्ट का एक विश्लेषण।
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। बीते दिनों रेल मंत्री वैष्णव व उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के बीच वार्ता के दौरान रेल मंत्री द्वारा कुमाऊं के टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन का सर्वे को 28.95 करोड़ स्वीकृत किये जाने व अब फाईनल सर्वे कार्य शुरू हो जाने के बाद कुमाऊ व गढ़वाल के लोगों व इस क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों को अब रेल लाईन बिछाने की आस जग गई है। बता दें कि टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन का फाईनल सर्वे कार्य नोयडा की स्काईलार्क कंपनी ने शुरू कर दिया है। सर्वे का कार्य इन दिनों टनकपुर से लोहाघाट नेशनल हाईवे के समानान्तर किया जा रहा है। मालूम हो कि प्रस्तावित टनकपुर.बागेश्वर रेलवे लाईन सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। 21 वीं सदी की युद्ध नीति में इसका बहुआयामी उपयोग किया जा सकता है। टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन के यात्रा पथ में महाकाली के नदी के समानान्तर टनकपुर से पंचेश्वर तक 67 किमी की यह रेल लाईन प्रस्तावित पंचेश्वर बांध के लिए भी मील का पत्थर साबित होगी। टनकपुर से बागेश्वर तक इस रेल लाइन की लंबाई 154.58 किमी लम्बी होगी। खास बात यह है कि यह रेल लाईन 67 किमी अंर्तराष्ट्रीय सीमा के समानान्तर आयेगी। यह रेल लाईन से धौलीगंगा व अन्य परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन से पर्यटन, बागवानी, खनिज उत्पादन, धार्मिक पर्यटन आदि में बहुउपयोगी लाभ मिल सकता था। इन सबके अतिरिक्त इस रेल लाईन से अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत व चमोली गढ़वाल जनपद के सघन बसाव क्षेत्र की 30 लाख से अधिक की जनसंख्या को सरल व महत्वपूर्ण परिवहन तंत्र की सुविधा मिल सकती है। यहां बता दें कि अंग्रेजी शासनकाल में टनकपुर.बागेश्वर रेलवे लाईन प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व 1888 में पहल की गई थी। बागेश्वर रेलवे लाइन के लिए सन् 1911.12 में अंग्रेज शासकों द्वारा तिब्बत व नेपाल से सटे इस भू भाग में सामरिक महत्व व सैनिकों के आवागमन तथा वन संपदा के दोहन के लिये टनकपुर.बागेश्वर रेलवे लाइन का सर्वेक्षण शुरू किया था। लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के कारण उपजी दीर्घ समस्याओं के चलते यह योजना ठंडे बस्ते में चले गयी। सांसद अनिल बलूनी के प्रयासों के बाद टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन के सर्वे की स्वीकृति मिलने के बाद अब लोगों को भरोसा है कि जल्द ही इस पर काम हो सकेगा। बागेश्वर के लोगों के साथ ही एक वृहद क्षेत्र के लोगों को भी इसका बड़ा लाभ मिल सकेगा।
टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन के लिए पीएमओ ने दी थी सहमति
नैनीताल। पांच वर्ष पूर्व कुमाऊं विश्वविद्यालय डीएसबी परिसर के भूगोल विभाग के पूर्व प्रोफेसर दिवंगत प्रो. जीएल साह द्वारा टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन का विस्तृत अध्ययन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रेलमंत्री को दो वर्ष भेजे गये उत्तराखंड राज्य में प्रस्तावित टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन व महत्वाकांक्षी हिमालयी रेल परियोजना के प्रतिवेदन पर रेल मंत्रालय ने अपनी हामी ही नही भरी है बल्कि प्रोजेक्ट के मूल्यांकन व निष्कर्ष पर भी अपनी सहमति दे दी थी। प्रो. साह ने अपने प्रोजेक्ट में न केवल टनकपुर.बागेश्वर रेल लाईन के बावत विस्तार से जानकारी दी है वरन सम्पूर्ण परियोजना की व्यवहारिकता के पक्ष में विस्तृत सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय व तकनीकि पक्षों का भी मूल्यांकन व निष्कर्ष निकाला है। मालूम हो कि प्रो. साह ने अपना प्रोजेक्ट जीआईएस प्रणाली, उपलब्ध मानचित्र, उपग्रह चित्र, भौतिक सर्वेक्षणों व क्षेत्रीय जनता से प्राप्त सूचनाओं को लेकर लंबे शोध के बाद टनकपुर.बागेश्वर रेलवे लाइन का प्रोजेक्ट बनाकर प्रधानमंत्री व रेल मंत्रालय को भेजा था। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रोजेक्ट को बेहतर बताते हुए उसे सर्वे में शामिल करने की हामी भरी थी।
रेल मार्ग निर्माण को 1980 से चल रहा है संघर्ष
नैनीताल। वर्ष 1980 में बागेश्वर आई इंदिरा गांधी को इस मामले में ज्ञापन भी दिया गया। सन् 1984 में भी इस लाइन के सर्वे की चर्चा हुई लेकिन इस पर कार्य नही हो पाया। इस पर कई बार घोषणाएं भी हुई। लेकिन निराश जनता ने बागेश्वर में रेल मार्ग निर्माण संघर्ष समिति का भी गठन किया गया। इस समिति द्वारा टनकपुर.बागेश्वर सहित ऋषिकेश.कर्णप्रयाग व रामनगर.चैखुटिया रेल मार्गों के सर्वे की मांग को लेकर अपना संघर्ष जारी रखा। 2008 से 2010 तक आन्दोलन चले। दिल्ली में धरना प्रर्दशन भी किये गये। 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने चारों रेल लाईनों का सर्वे कराने का निर्णय लिया लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद सर्वे का कार्य फिर ठंडे बस्ते में चला गया। अब इनमें से ऋषिकेश.कर्णप्रयाग रेल लाईन को हरी झंडी मिल चुकी है तो अब टनकपुर.बागेश्वर रेल मार्ग निर्माण को फाईनल सर्वे भी शुरू हो गया है।
बागेश्वर.टनकपुर रेल लाईन की लंबाई महज 154.58 किमी
नैनीताल। चिरप्रतीक्षित टनकपुर.बागेश्वर व रामनगर.चौखुटिया रेल लाईनों के निर्माण में भारी भरकम बजट की जरूरत नही होने व टनकपुर.बागेश्वर रेल मार्ग का सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के बाद भी केन्द्र द्वारा इसे महत्व न देना लोगों के लिए आश्चर्य बन गया है। इस क्षेत्र में कार्य कर चुके भूगोल विभाग के पूर्व प्रोफेसर स्व. प्रो. जीएल साह का मानना था कि यह रेल लाईन सरयू व शारदा नदी के सामान्तर होगी। इस रेल लाइन की लंबाई 154.58 किमी लम्बी होगी। खास बात यह है कि यह रेल लाईन 67 किमी अंर्तराष्ट्रीय सीमा के समानान्तर आयेगी। इस रेल लाईन में केवल चार पुलों का निर्माण ही किया जा सकता है। इस तरह इस रेल लाईन में केवल छह स्टेशनों का निर्माण होगा। ऋषिकेश.कर्णप्रयाग रेल लाईन की अपेक्षा इस लाईन को भारी भरकम बजट की जरूरत भी नही है। यह लाइन प्रदेश के चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर पिथौरागढ़ जिलों में अधिक व नैनीताल, चमोली जनपद के क्षेत्रों को आंशिक रूप से लाभ पहुंचा सकती है।