Connect with us

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: आस्था के कपाट कभी बंद नहीं होते….कपाट बंद होना महज एक अनादि व्यवस्था

उत्तराखंड: आस्था के कपाट कभी बंद नहीं होते….कपाट बंद होना महज एक अनादि व्यवस्था
लोकेंद्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के प्रयासों से चारधाम यात्रा को बारह महीनों जारी रखने के प्रयासों की चहुंओर प्रशंसा हो रही है। जैसा कि मैने पहले भी लिखा था कि…आस्था के कपाट कभी बंद नहीं होते….कपाट बंद होना एक व्यवस्था है जो अनादिकाल से चलती आ रही है। यह व्यवस्था हिमालय के बदलते मौसम ओर मिजाज के चलते बनाई गई है। अपने उत्तराखंड में स्थित सभी चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जी के अलावा देवभूमि में स्थित हेमकुंड साहिब, मद महेश्वर, बैकुंठ भैरवनाथ, डोडिताल की अन्नपूर्णा मंदिर, तुंगनाथ जी, त्रिजुगीनारायण जी, कल्पेश्वर, रुद्रनाथ जी और अन्य जो  भी आस्था के केंद्र हैं वे समुद्रतल से 3000 मीटर और उससे अधिक ऊंचाई पर बसे हैं। शीतकाल में बर्फबारी के चलते इन आस्था के द्वार तक पहुंचना मानव के वश में नहीं था और न हीं है, इसलिए आस्था और धर्म के प्रति आस्था बनी रहे और तीर्थों की पूजा अर्चना होती रहे। दिया और बाती जलती रहे, आस्था की लौ कभी बुझे नहीं इसलिए इन धामों में अखण्ड दीप जलाए जाते हैं जो 6 महीनों के बाद कपाट खुलने के बाद भी जलते रहते हैं। यही तो आस्था और विश्वास का केंद्र हैं कि बिना देखरेख के लौ जलती रहती है इन धामों में। इसीलिए तो अपने उत्तराखंड को देवभूमि कहते हैं। लेकिन विपरीत मौसम के चलते लोगों को इन तीर्थों के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं। इसलिए आस्था के द्वार पर श्रद्धालुओं का आना जाना वर्षभर बना रहता है तो इस आस्था और विश्वास के लिए दर्शनों की अलग से व्यवस्था बनाई गई है। मां यमुना जी की भोग मूर्ति के दर्शन 6 महीनों तक खरसाली में किए जाते रहते है। मां गंगा जी के दर्शन गंगोत्री के बजाय मुखवा  के गंगा मंदिर में मां गंगा जी विराजमान होती हैं। ठीक इसी तरह बाबा केदारनाथ जी के दर्शन ऊखीमठ के केदार मंदिर में और भगवान बद्रीश बद्रीनाथ जी के दर्शन जोशीमठ में करने की व्यवस्था है। इसलिए कपाट कभी बंद नहीं होते हैं बल्कि दर्शनों की व्यवस्था ओर स्थान बदल दिए जाते हैं ताकि श्रद्धालु वर्षभर इन तीर्थों के दर्शन करने का लाभ लेते रहें। पूजा अर्चना और दर्शनों की व्यवस्था ओर परंपरा में कोई अंतर ओर भेद नहीं है। भेद है तो सिर्फ स्थल ओर जगह बदलने का। और ये व्यवस्था और परंपरा आज से नहीं अनादिकाल  से बदस्तूर जारी है जो आज भी जारी है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने पहाड़ के स्थानीय लोगों के हितों को मध्यनजर रखते हुए उत्तराखंड के चार धामों में शीतकाल यात्रा ओर पर्यटन को जारी रखने की ओर एक महत्वपूर्ण पहल की है। इसी के तहत आज गंगोत्री के मुखवा क्षेत्र में शासन से सचिव सी रविशंकर को शीतकालीन यात्रा व्यवस्था देखने के लिए भेजा। भारी बर्फबारी के बीच हर्षिल घाटी उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किये।

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING