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उत्तराखण्ड

फूलो की घाटी : चमोली का आकर्षक पर्यटन स्थल पर्यटकों के लिए खुला

फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए चमोली जिले का गोविन्दघाट अन्तिम बस अड्डा
सीएन, चमोली।
चमोली जिले का आकर्षक पर्यटन स्थल फूलों की घाटी आज बुधवार से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्य जीव प्रतिपालक पराग मधुकर धकाते ने बताया कि यह फूलों की घाटी 31 अक्टूबर तक खुली रहेगी। \कोरोना की वजह से यह पार्क पिछले दो साल से बंद पड़ा था। इस वर्ष पार्क बुधवार को खेल दिया है। यहां सभी व्यवस्थाएं दूरस्त कर ली गई है। घाटी में आने वाले लोगों का पंजीयन करने के बाद प्रवेश दिया जायेगा।
विश्व धरोहर स्थल घोषित है फूलो की घाटी
राष्ट्रीय उद्यान जिसे आम तौर पर सिर्फ़ फूलों की घाटी कहा जाता है, भारत का एक राष्ट्रीय उद्यान है, जो उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के हिमालयी क्षेत्र में चमोली जिले में स्थित है। नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं। फूलो की घाटी उद्यान 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है। चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी को विश्व संगठन, यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ, यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया। वैसे तो कहते हैं कि नंदकानन के नाम से इसका वर्णन रामायण और महाभारत में भी मिलता है। यह माना जाता है कि यही वह जगह है जहाँ से हनुमानजी भगवान राम के भाई लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाए थे परन्तु स्थानीय लोग इसे परियों और किन्नरों का निवास समझ कर यहाँ आने से अब भी कतराते हैं, हालाकि आधुनिक समय में ब्रितानी पर्वतारोही फ़्रैंक स्मिथ ने 1931 में इसकी खोज की थी और तब से ही यह एक पर्यटन स्थल बन गया। किंवदंती है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्डसवर्थ ने लगाया था, जो इत्तेफाक से 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे। इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1968 में वैली ऑफ फ्लॉवर्स नाम से एक किताब प्रकाशित करवायी। फूलों की घाटी में भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है। फूलों की घाटी, गोविंदघाट के माध्यम से हेमकुंड साहिब के रास्ते पर स्थित है। घांघरिया गांव से 2 किमी की दूरी पर स्थित, यह क्षेत्र बर्फ से ढकी पहाड़ियों से घिरा है। यात्री यहाँ सफेद और पीले अनेमोनेस, दिंथुस, कैलेंडुला, डेज़ी, हिमालय नीले अफीम और घाटी में स्नेक लिली जैसे फूलों की 300 से अधिक प्रजातियों को देख सकते हैं। फूलों की घाटी तक पहुँचने के लिए चमोली जिले का अन्तिम बस अड्डा गोविन्दघाट 275 किमी दूर है। यहाँ से प्रवेश स्थल की दूरी 13 किमी है जहाँ से पर्यटक 3 किमी लम्बी व आधा किमी चौड़ी फूलों की घाटी में घूम सकते हैं। जोशीमठ से गोविन्दघाट की दूरी 19 किमी है।

यहाँ के फूलों में अद्भुत औषधीय गुण

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कहा जाता है की यहाँ के फूलों में अद्भुत औषधीय गुण होते हैं और यहाँ मिलने वाले सभी फूलों का दवाइयों में इस्तेमाल होता है और हृदय रोग, अस्थमा, शुगर, मानसिक उन्माद, किडनी, लीवर और कैंसर जैसी भयानक रोगों को ठीक करने की क्षमता वाली औषधिया भी यहाँ पाई जाती है | इसके अलवा यहाँ सैकड़ों बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ और वनस्पति पाए जाते हैं जो की अत्यंत दुर्लभ हैं और विश्व में कही और नहीं पाए जाते, जो की इस घटी को और भी अधिक सुन्दर और महत्वपूर्ण बना देते है।

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