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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड आने वाले वाहनों को एक जनवरी से देना होगा 80 से 700 रूपया ग्रीन सेस शुल्क

सीएन, देहरादून। उत्तराखंड सरकार जल्द से जल्द राज्य में बाहर से आने वाले निजी वाहनों पर ‘ग्रीन सेस’ वसूलने की व्यवस्था लागू करने जा रही है। इस पहल का मकसद पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और सड़क सुरक्षा से जुड़ी गतिविधियों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा इस योजना में हो रही देरी पर नाराजगी जताए जाने के बाद परिवहन विभाग ने प्रक्रिया को तेज करते हुए आवश्यक सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है। जिसका फिलहाल परीक्षण जारी है। अब तक उत्तराखंड में दूसरे राज्यों से आने वाले केवल वाणिज्यिक वाहनों से ही ग्रीन सेस वसूला जा रहा था। लेकिन नई व्यवस्था के तहत निजी वाहन भी इसके दायरे में आएंगे। इस सेस से मिलने होने वाली राशि का उपयोग सड़क सुरक्षा उपायों और वृक्षारोपण अभियानों में किया जाएगा। परिवहन विभाग ने इस प्रणाली के संचालन के लिए एक निजी एजेंसी के साथ समझौता किया है। राज्य की सीमाओं पर लगाए गए 15 ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरों के जरिए बाहर से आने वाले वाहनों की पहचान की जाएगी। ये कैमरे वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर पढ़कर यह तय करेंगे कि वाहन राज्य के बाहर का है या नहीं। इसके बाद टोल टैक्स की तर्ज पर ग्रीन सेस की राशि वाहन में लगे FASTag (फास्टैग) खाते से खुद-ब-खुद कट जाएगी। यह सेस 24 घंटे के लिए मान्य होगा। परिवहन विभाग ने ग्रीन सेस से कुछ श्रेणियों के वाहनों को छूट देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें दोपहिया और तिपहिया वाहन, इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले वाहन शामिल हैं। इसके अलावा सरकारी वाहन, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस सेवाओं को भी इस सेस से मुक्त रखा जाएगा। ताकि आवश्यक और आपात सेवाओं पर कोई असर न पड़े। नई व्यवस्था के तहत लाइट मोटर व्हीकल्स, जैसे कार और हल्के मालवाहक वाहनों से 80 रुपये का ग्रीन सेस लिया जाएगा। 12 से अधिक सीटों वाली बसों पर 140 रुपये और सात एक्सल वाले भारी वाहनों पर 700 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है। यह शुल्क 24 घंटे के लिए वैध होगा। बार-बार उत्तराखंड आने वाले वाहनों की सुविधा के लिए विभाग ने पास सिस्टम भी तैयार किया है। अगर कोई वाहन 20 दिनों के सेस के बराबर एकमुश्त राशि जमा करता है तो उसे तीन महीने के लिए वैध पास मिलेगा। वहीं, 60 दिनों के सेस के बराबर भुगतान करने पर पूरे एक साल के लिए ग्रीन सेस से छूट दी जाएगी। इस नई व्यवस्था के साथ सरकार को उम्मीद है कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी और राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों पर बेहतर निगरानी भी सुनिश्चित की जा सकेगी। 

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