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बर्फवारी पहाड़ों के बागानों के लिए संजीवनी साबित होगी, काश्तकारों के चेहरे खिले
बर्फवारी पहाड़ों के बागानों के लिए संजीवनी साबित होगी, काश्तकारों के चेहरे खिले
काश्तकारों ने कहा-बर्फबारी से इस साल सेब का उत्पादन भी ज्यादा होगा
सीएन, नैनीताल। इस बार नैनीताल व अन्य आसपास के क्षेत्रों में हुई भारी बर्फबारी से काश्तकारों के चेहरे खिले हुए है। बर्फबारी बागानों के लिए संजीवनी साबित होगी। बागवान बागों को तैयार करने में जुट गये है। बीते दिन हुई बर्फबारी जिले के मुक्तेश्वर, रामगढ़, धानाचूली, पहाड़पानी, धारी, पदमपुरी, गागर, नथुवाखान, नैनीताल, पंगूट सहित अन्य फल उत्पादक इलाकों में सेब व अन्य फलों की खेती के लिए मुफीद मानी जा रही है। काश्तकारों की माने तो इस बर्फबारी से इस साल सेब का उत्पादन भी ज्यादा होगा। मालूम हो कि सेब एक ऐसा फल है जिसे बहुत की देखरेख की जरूरत होती है सेब ज्यादा सुंदर और मीठा हो इसके लिए उसे करीब तीन महीने कूलिंग पॉइंट चाहिए। इसके अलावा फूल व फल आने तक खेतों में नमी की भी जरूरत होती है। पिछले लम्बे समय बाद सही समय पर बर्फबारी हुई। दरअसल जब कम बर्फबारी होती है तो इसका असर भी सेब के उत्पादन पर पड़ता है। सेब ही नही बल्कि अन्य फसलों और सब्जियों के लिए भी बर्फबारी काफी फायदेमंद मानी जाती है। बर्फबारी के बाद जमीन में नमी कई दिनों तक रहती है। नैनीताल ही नही बल्कि प्रदेश में हर्षिल, रानीखेत, मुनस्यारी, चकराता, टिहरी, धनौल्टी, जोशीमठ में भी बर्फबारी हुई है। इस बर्फबारी का सबसे ज्यादा फायदा सेब की फसल को होगा क्योंकि अब सेब के पेड़ों में बीमारी नही लगेगी और फूल भी सही समय पर आ जाएंगे। काश्तकार जगत सिंह ने कहा कि अगर ओलावृष्टि नही हुई तो सेब और अन्य फसलों की बंपर पैदावार होगी। क्षेत्र के बागवान हरेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि इस बार सेब के लिए ये बर्फबारी बहुत फायदेमंद है। उनका कहना है कि तीन माह की कूलिंग मिलने से फल न केवल रोग मुक्त होंगे बल्कि इनकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा। काश्तकार पिछले लम्बे समय से मौसम का लाभ नही ले पा रहे थे।
मौसम व जानवरों के डर से बागवानों ने जमीनें बेच डाली
नैनीताल। तीन दशक पूर्व जिले के भवाली, निंगलाट, मुक्तेश्वर, रामगढ़, धानाचूली, पहाड़पानी, धारी, पदमपुरी, गागर, नथुवाखान, पंगूट सहित पहाड़ों में सेब के बागान फलों से लकदक रहते थे अनुकूल मौसम के चलते भरपूर फल उत्पादन होता था। खास बात यह है कि इन बागानों के खेतों में काश्तकार मिश्रित खेती कर सब्जी व मटर का उत्पादन भी कर दोहरा लाभ उठाते है। लेकिन लम्बे समय से पर्याप्त वर्षा व बर्फबारी नही होने से काश्तकार न तो फलों से लाभ पा रहे थे और नही मिश्रित खेती कर पा रहे थे। लिहाजा लोगों ने बिल्डरों व बाहर से आये नवधनाढ्यों को अपनी जमीनें बेच डाली। आज कई बागानों में कंक्रीट के जंगल खड़े हो गयो है। अब सीमित स्थानों में ही बागान दिखाई देते हैं। इस साल नैनीताल जिले की फ्रूट बेल्ट में सेब आड़ू, खुमानी, कीवी जैसी फसलों के लिए लिए बर्फबारी काफी फायदेमंद मानी जा रही है।