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इस बार मानसून की बारिश में होगी थोड़ी देरी, अलनीनो के कारण सामान्य होगी वर्षा
इस बार मानसून की बारिश में होगी थोड़ी देरी, अलनीनो के कारण सामान्य होगी वर्षा
सीएन, नईल्ली भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश 2023 में थोड़ी देरी होने की संभावना है और अनुमान है कि ये 5 जून को केरल तट पर पहुंचेगा। आईएमडी के पूर्वानुमान में प्लस और माइनस चार दिनों की मॉडल एरर रहता है और यह पूर्वानुमान एक निजी एजेंसी स्काईमेट के बाद आया है, उसमें भी कहा गया था कि मानसून की बारिश में देरी हो सकती है और यह सामान्य होगी। बारिश आमतौर पर 1 जून को आती है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, आईएमडी एक स्वदेशी रूप से विकसित सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर मानसून की शुरुआत का पूर्वानुमान देता है, यह मॉडल छह मापदंडों का उपयोग करता है। आईएमडी ने कहा कि 2005 से 2022 तक पिछले 18 वर्षों में 2015 को छोड़कर उनका पूर्वानुमान हर बार सही रहा है। इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत पर पैनी नजर रखी जा रही है क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप में बारिश कब होगी और अभी क्या हालात बन रहे हैं, उसको लेकर एक प्रारंभिक संकेत दे सकता है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अल नीनो से लगाए गए अनुमान के मुताबिक 2023 में भारत उपमहाद्वीप में बारिश सामान्य होगी। दक्षिण-पश्चिम मानसून की खराब सामान्य का मतलब यह नहीं है कि बारिश कम होगी। किसी भी साल में अच्छी खेती की उपज प्राप्त करने के लिए समय पर और अच्छी तरह से वितरित बारिश महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब कुछ पूर्वानुमानकर्ता 2023 में सामान्य से कम मानसून की भविष्यवाणी कर रहे हैं। आईएमडी ने अप्रैल में जारी 2023 के अपने पहले मानसून पूर्वानुमान में कहा था कि इस साल जून से सितंबर तक मानसून का मौसम लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 96 प्रतिशत पर ‘सामान्य’ रहने की उम्मीद है। पूर्वानुमान में प्लस और माइनस पांच प्रतिशत का मॉडल एरर रहता है और 1971-2020 के लिए एलपीए 87 सेंटीमीटर है। इसका मतलब है, आईएमडी के अनुसार, भारत में जून से सितंबर की अवधि में कुल वर्षा लगभग 83.5 सेंटीमीटर होगी। विभाग ने दो सकारात्मक मौसम पैटर्न के आधार पर भविष्यवाणी की है। ये पैटर्न आने वाले महीने के मानसून के दौरान विकसित होंगे। इसमें कहा गया है कि हिंद महासागर डिपोल (आईओडी), जो अब एक न्यूट्रल स्थिति में है, उसके जून से शुरू होने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून मौसम के दौरान सकारात्मक होने की उम्मीद है। आईएमडी ने कहा कि उत्तरी गोलार्ध और यूरेशिया पर फरवरी और मार्च 2023 में औसत से कम बर्फ गिरी है। अक्सर देखा जाता है कि यहां कि बर्फ भारतीय मानसून पर असर डालती है लेकिन इस बार कम बर्फ पड़ने के चलते ये हालात मानसून को सामान्य बनाने में मदद करेंगे। इसके उलट, स्काईमेट ने कहा था कि अल नीनो के प्रभाव के कारण 2023 में दक्षिण-पश्चिम मानसून एलपीए के 94 प्रतिशत पर सामान्य से नीचे रहने की उम्मीद है। अल नीनो लगातार चार सालों में सामान्य से अधिक बारिश के बाद उभरा है। मात्रा के हिसाब से बात करें, तो निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ने कहा कि जून से सितंबर की अवधि में बारिश जो देश की सालाना बारिश का 70 प्रतिशत होती है, 868.8 मिलीमीटर के सामान्य के मुकाबले 816.5 मिलीमीटर होने की उम्मीद है। स्काईमेट के पूर्वानुमान में प्लस और माइनस पांच फीसदी का एरर मार्जिन रहता है। आईएमडी इस महीने के अंत तक अपने क्षेत्रवार मानसून पूर्वानुमान को लेकर आएगा। अल नीनो एक मौसम संबंधी घटना है, जो तब होती है जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। ये वार्मिंग वायुमंडलीय पैटर्न में बदलाव का कारण बनती है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप पर मानसून का सर्कुलेशन कमजोर हो जाता है। नतीजतन, अल नीनो वाले वर्षों के दौरान मानसून कमजोर और कम भरोसेमंद हो जाता है। एल नीनो को सामान्य से ऊपर तापमान बढ़ोतरी के नतीजे के मुताबिक कमजोर, मध्यम या मजबूत के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। मौसम मॉडल से संकेत मिल रहे हैं कि 2023 अल नीनो कमजोर हो सकता है।