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केरल में समय पर पहुंचा मानसून, पूर्वोत्तर भारत में भी एक साथ सक्रिय

केरल में समय पर पहुंचा मानसून, पूर्वोत्तर भारत में भी एक साथ सक्रिय
सीएन, तिरूवनन्तपुरम।
दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से थोड़ा पहले आज ही केरल की मुख्य भूमि पर पहुँच गया है। स्काईमेट ने 3 दिन के त्रुटि मार्जिन के साथ 01 जून को मानसून के आने का पूर्वानुमान लगाया था। वैसे बता दे मानसून आने की निर्धारित तारीख 1 जून है। लेकिन, यह तीन दिन पहले और 3 दिन बाद में भी सकता है। इस प्रकार मानसून ने समय पर केरल में दस्तक दी है। एक और अनूठी विशेषता यह है कि इस बार मानसून का केरल के साथ पूर्वोत्तर भारत में भी एक ही समय पर आया है। मानसून की उत्तरी सीमा अमिनी देवी, कन्नूर, कोयंबटूर, कन्याकुमारी, अगरतला और धुबरी से होकर गुजरती है। पिछली बार ऐसा 2017 में हुआ था, जब केरल और पूर्वोत्तर भारत में मानसून का आगमन एक साथ हुआ था। लेकिन पिछली बार मणिपुर और मिजोरम का बहुत ही कम हिस्सा कवर हुआ था, मतलब इन दोनों क्षेत्रों में बारिश कम हुई थी। लेकिन इस बार पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में मानसून एक साथ पहुंचा है, जो एक अनूठी घटना है। मानसून निर्धारित समय से थोड़ा पहले 19 मई को ही दक्षिण अंडमान सागर में आ गया था। यह आम तौर पर 05 जून तक पूर्वोत्तर राज्यों को कवर करता है, जो कि केरल पहुंचने से लगभग 5 दिन बाद होता है। इसकी आगे की प्रगति धीमी और कमजोर भी हो सकती है। सामान्य तारीख के अनुसार मानसून 05 जून तक गोवा पहुंच जाता है। फिर 10 जून तक कोंकण, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के छोटे हिस्से को कवर कर लेता है। पूर्वोत्तर भारत में अगले एक सप्ताह तक अच्छी बारिश होगी। हालांकि, दक्षिण प्रायद्वीप दक्षिण भारत में उतनी अच्छी बारिश नहीं होगी। जिसमें तमिलनाडु, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और रायलसीमा क्षेत्र शामिल हैं। मानसून की प्रगति के मुख्य कारक या तो अरब सागर के ऊपर केरल.तटीय कर्नाटक के पास स्थित तटवर्ती गर्त होते हैं या फिर केरल और कर्नाटक तट के साथ चलने वाला कोई चक्रवातीय क्षेत्र। इसके अलावा, बंगाल की खाड़ी में कोई परिसंचरण या निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना होती है जो मानसून को दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के आंतरिक हिस्सों तक आगे बढ़ाने में मदद करता है। अन्यथा, यदि मानसून की प्रगति होती भी है तो वह कमजोर होगी और बारिश बिखरी हुई होगी।

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