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नैनीताल

मौसम की भविष्यवाणी: अब तो ठंड जा रही, इस बार भीषण गर्मी के लिए रहें तैयार

मौसम की भविष्यवाणी: अब तो ठंड जा रही, इस बार भीषण गर्मी के लिए रहें तैयार
सीएन, नईदिल्ली/नैनीताल। सर्दियों का मौसम अब खत्म होने वाला है और गर्मियां आने वाली हैं। इस बार भीषण गर्मी पड़ सकती है। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है और कहा है कि अल नीनो की वजह से इस साल बारिश कम होगी और गर्मी ज्यादा पड़ेगी। ठंड अब देश छोड़कर जाने को तैयार है और गर्मी अब दस्तक देने वाली है। हालांकि पहाड़ी इलाकों में अभी बर्फबारी जारी है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस साल काफी ज्यादा गर्मी पड़ेगी। इसकी वजह अल नीनो को बताया गया है। वैज्ञानिकों को मिले प्रारंभिक डेटा के मुताबिक इस वर्ष अल नीनो जलवायु पैटर्न की वजह से संभावित रूप से मौसम बेहद गर्म रहने की संभावना है और भीषण गर्मी  की चेतावनी दी गई है, हालांकि वे स्वीकार करते हैं कि समय से पहले वार्षिक मानसून और बारिश पर अल नीनो के प्रभाव का आकलन करना सटीक नहीं भी हो सकता है। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के नवीनतम संभावित अनुमानों के अनुसार, जून, जुलाई और अगस्त के महीनों के दौरान अल नीनो की स्थिति के प्रबल होने की लगभग 50 प्रतिशत संभावना है और जुलाई, अगस्त सितंबर में 58 प्रतिशत रहने की संभावना है। ला नीना प्रभाव के लगातार तीन वर्षों के बाद, दुनिया भर के वैज्ञानिक अल नीनो की स्थितियों के उभरने का अनुमान लगा रहे हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, मार्च-अप्रैल-मई में ऐसा होने की कम संभावना है, जो अप्रैल-मई-जून में लगभग 15 प्रतिशत और मई-जून-जुलाई में लगभग 37 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अल नीनो का प्रभाव भारत में दिखेगा क्योंकि देश में अल नीनो का गर्मी और कमजोर मानसूनी बारिश के साथ गहरा संबंध है। भारत मौसम विज्ञान विभाग या आईएमडी का भी यही मानना है। आईएमडी के मुताबिक ला नीना की स्थिति कमजोर हो रही है। प्री-मानसून सीज़न और इसके बाद मानसून के दौरान अल नीनो की स्थिति बनने की 50 प्रतिशत संभावना है। आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि अल नीनो के प्रभाव पर तुरंत टिप्पणी करना तो मुश्किल है। भारत में अल नीनो सीजन शुरू होने में अभी भी तीन-चार महीने का समय है तो पूर्वानुमान सटीक नहीं भी हो सकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा है कि वर्तमान में ला नीना अपेक्षाकृत कमजोर लेकिन असामान्य रूप से लंबा रहा है। यह 2020 में शुरू हुआ था और अब एक मध्यम अल नीनो मानसून को प्रभावित कर सकता है। यह वर्षा की मात्रा को कम कर सकता है, लेकिन फिलहाल, यह कहना मुश्किल है कि यह कितना प्रभावित करेगा और मानसून सामान्य से कम रहेगा या नहीं। यदि उन महीनों के दौरान सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव की स्थिति होती है तो इससे मानसून को मदद मिल सकती है। हमें अन्य मापदंडों की भी बारीकी से निगरानी करनी होगी। राजीवन ने कहा कि यह निश्चित है कि 2023 में कड़ाके की गर्मी देखने को मिलेगी और उन्होंने शुरुआती अनुकूलन योजनाओं की सिफारिश की है और कहा है कि मुझे पूरा यकीन है कि इस साल भीषण गर्मी होगी और प्रशांत महासागर के गर्म होने का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह महत्वपूर्ण है कि हमारे पास ताप अनुकूलन योजनाएं हों।

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