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अडानी को हुआ तीन दिन में 34 बिलियन डॉलर का नुकसान, सबसे अमीर की सूची में 11वें नंबर पर फिसले

सीएन, नईदिल्ली। गौतम अडानी दुनिया के टॉप 10 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं। दरअसल, तीन दिन के भीतर अडानी को 34 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है, जिसके बाद वह टॉप 10 सबसे अमीर की सूची में फिसलकर 11वें पायदान पर पहुंच गए हैं। उनके ग्रुप के शेयरों में अगर यह गिरावट जारी रही तो जल्द ही अडानी एशिया के सबसे धनी व्यक्ति की जगह भी खो देंगे। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स पर भारतीय टाइकून चौथे स्थान से गिरकर 11वें स्थान पर आ गया है, केवल तीन कारोबारी दिनों में 34 बिलियन डॉलर की निजी संपत्ति का सफाया हो गया है। 84.4 बिलियन डॉलर की वर्तमान संपत्ति के साथ, अडानी अब अपने प्रतिद्वंद्वी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष मुकेश अंबानी से सिर्फ एक पायदान ऊपर है, जिनकी कुल संपत्ति 82.2 बिलियन डॉलर है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट की मानें तो सिर्फ तीन दिनों में ही अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में बिकवाली में गिरावट आई है, जिसने $68 बिलियन से अधिक का मार्केट वैल्यू खत्म कर दिया है। अरबपतियों की सूची अडानी अब मैक्सिको के कार्लोस स्लिम, गूगल के सह-संस्थापक सर्गेई ब्रिन और माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व सीईओ स्टीव बाल्मर से नीचे आ गए हैं।
साइकिल से घर-घर बेचते थे साड़ियां
गौतम अडानी जब 15 साल के थे तो वो साइकिल से घर-घर जाकर कपड़े, साड़ियां बेचा करते थे । अहमदाबाद के पुराने शहर में आज भी ‘अदानी टेक्सटाइल्स’ की दुकान आपको दिख जाएगी, जिसे गौतम अडानी के पिता उस वक्त चलाते थे। गौतम अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए साइकिल पर कपड़े, साड़ियां लादकर घर-घर बेचने जाते थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात मलय महादेविया से हुई। दोनों में दोस्ती हो गई। आज भी दोनों साथ हैं। अहमदाबाद में काम आगे नहीं बढ़ रहा था तो उन्होंने मुंबई का रुख कर लिया। 16 साल की उम्र में घर से जेब में 10 रुपये लेकर निकले गौतम अडानी ने मुंबई में एक हीरा कारोबारी के यहां नौकरी की। कुछ महीने वहां काम किया, फिर उनके भाई मनसुखलाल ने गौतम अडानी को वापस अहमदाबाद बुला लिया, जहां उन्होंने भाई के साथ प्लास्टिक बनाने की फैक्ट्री में काम किया। भाई के साथ उनकी फैक्ट्री में काम करने के साथ-साथ उन्होंने साल 1988 में अडानी एंटरप्राइजेज की नींव रखी। उन्होंने एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट- कंपनी के जरिए कारोबारी जगत में कदम रखा। 1990 के आर्थिक सुधारों से उनके कारोबार में पंख लग गए। 1995 में अडानी को गुजरात के मुंद्रा पोर्ट का कॉन्ट्रैक्ट मिला। ये कॉन्ट्रैक्स पोर्ट कारोबार में अडानी की बादशाहत का पहला अध्याय था। उनकी शोहतर इतनी बढ़ी की साल 1998 में उन्हें फिरौती के लिए किडनैप कर लिया गया। साल 2008 में वो 26/11 में वो होटल ताज पर हुए आतंकी हमले के गवाह बने। जब होटल ताज पर आतंकियों ने हमला किया, वो उस वक्त वहीं मौजूद थे। अगले दिन उन्हें वहां से रेस्क्यू किया गया था।
आम आदमी से जुड़े कारोबार पर फोकस
अडानी ने अपने कारोबार का फोकस आम आदमी से जुड़ी चीजों पर रखा। उन्होंने थर्मल पावर, एग्रो प्रोडक्ट्स, नेचुरल गैस में निवेश किया। हर दिन आपके किचन में जो फॉर्च्यून तेल , आटा, रिफाइन, सोयाबीन आप इस्तेमाल करते हैं, वो गौतम अडानी की कंपनी विल्मर तैयार करती है। उन्होंने रियल स्टेट, इंफ्रास्चक्चर जैसे सेक्टर में कदम बढ़ाया। देश के सात बड़े हवाई अड्डों पर अडानी समूह के पास है। अडानी एंटरप्राइज लिमिटेड गुवाहाटी, जयपुर, मंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डों की देखरेख करती है। वर्तमान में अडानी समूह कोल ट्रेडिंग एंड माइनिंग, पेट्रो कैमिकल, पोर्ट, मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक, पावर, रियल स्टेट, नेचुरलस गैस और ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में फैला है। उनके पास देश की सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कंपनी है। महज 30 से 35 सालों में उन्होंने सफलता की नई कहानी लिख दी। कभी साइकिल से सफर करने वाले गौतम अडानी लग्जरी कारों, प्राइवेट जेट के मालिक है। गुजरात, दिल्ली, गुड़गांव जैसे शहरों में उनके पास महलों जैसा घर है। फिलहाल वो अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में रहते हैं।

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