Connect with us

अंतरराष्ट्रीय

इजरायल-हमास की लड़ाई का भारत पर क्या और कैसे असर पडे़गा

इजरायल-हमास की लड़ाई का भारत पर क्या और कैसे असर पडे़गा
सीएन, नईदिल्ली।
इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग का असर भारत और दूसरे देशों पर पड़ना तय है। अर्थशास्त्री लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर जंग वेस्ट एशिया तक आई, तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी तय है। तेल की सप्लाई को लेकर भी चुनौतियां सामने आ सकती हैं। लेकिन इसके बारे में विस्तार से जानने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अगर जंग वेस्ट एशिया तक फैलती है तो इसका आकार व्यापक हो सकता है। कई और देश भी जंग में कूद सकते हैं। कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर दुनिया के सामने चुनौतियां आ सकती हैं। ओपेक प्‍लस पहले ही कटौती कर चुका है। जो पेट्रोलियम निर्यातक और अन्य तेल उत्पादक देशों का संगठन है। उसकी कटौती के कारण ही कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है। जियोपॉलिटिकल की दिशा में जाने पर जंग का असर ग्लोबल इकोनॉमी पर भी हो सकता है। जिससे महंगाई के अलावा ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है। मंदी का कारण भी जंग बन सकती है। जिसका सीधा असर भारतीय रुपये पर हो सकता है। भारत का मौजूदा व्यापार इजरायल से 10 बिलियन डॉलर का है। मौजूदा साल में इजरायल से निर्यात 8.5 डॉलर का रहा है।
वहीं आयात के हिसाब से बात करें तो यह 2.3 बिलियन डॉलर का रहा है। अर्थशास्त्री तेल की कीमत और मुद्रा के जरिए ही आर्थिक प्रभावों का आकलन करते हैं। अगर वेस्ट एशिया तक लड़ाई फैलती है तो कई प्रकार की बाधाएं दुनिया के सामने आएंगी। सरकार की ओर से कुछ कदम लोगों को राहत देने के लिए उठाए जा सकते हैं। वहीं सोने की कीमतों में भी इजाफा हो सकता है। जंग के कारण शनिवार को भी सोने के भाव कुछ बढ़ गए थे। इसके अलावा कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर चुनौती आ सकती है। सोने के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। कई और देश भी जंग में कूद सकते हैं। जियोपॉलिटिकल वार के बाद ग्लोबल इकोनॉमी पर असर हो सकता है। भारत-इजरायल व्यापार पर असर हो सकता है।
नेतन्याहू हमास क्या सियासत के लिए लड़ रहे युद्ध
इजरायल-फिलिस्तीन संकट ने एक बार फिर दशकों पुरानी दुश्मनी, दो इंतिफादा विद्रोह चार गाजा युद्ध और हर दिन के तनावपूर्ण रिश्तों का कच्चा-चिट्ठा सबके सामने खोल कर रख दिया है। रोजाना सैकड़ों-हजारों रॉकेट गाजा में गिरने की खबरें आ रही हैं। गाजा से हमास भी रॉकेट दाग रहा है, लेकिन कोई इक्का.दुक्का ही इजरायल के क्षेत्र में गिर रहा है। स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोशिश कर रहा है, पर कोई उत्साह या तात्कालिकता नहीं दिखती है। लड़ाई की वजह बने जेरुसलम में फिलिस्तीनी और इजरायली लोग एक.दूसरे पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन ये हालात इतने कैसे बिगड़ गए और इसका अंत कैसे और क्या हो सकता है, एक.एक करके समझते हैं। अभी चल रही लड़ाई और तनाव की वजह इजरायली पुलिस का अल-अक्सा मस्जिद में कार्रवाई करना और शेख जर्राह इलाके से फिलिस्तीनी परिवारों को निकालना है। 7 मई को जेरुसलम स्थित अल.अक्सा मस्जिद में इजरायली पुलिस और फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। इनमें 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 7 मई को रमजान महीने का आखिरी शुक्रवार भी था, जिसकी वजह से पुलिस का मस्जिद में घुसना प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण घटना बनी। साल 2000 में अल.अक्सा मस्जिद से ही दूसरा फिलिस्तीनी इंतिफादा विद्रोह शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत इजरायल के दक्षिणपंथी नेता एरियल शेरोन के मस्जिद का दौरे करने से हुई थी। 7 मई से पहले भी जेरुसलम में कई हफ्तों से तनाव चल रहा था क्योंकि इजरायल ने शहर के कुछ हिस्सों को प्रतिबंधित कर दिया था। इन हिस्सों में रमजान के महीने में फिलिस्तीनी लोग नमाज के बाद जमा होते थे। काफी दिनों तक चले तनाव और झड़प के बाद इजरायल ने ये प्रतिबंध हटा लिए थे। लेकिन फिर इजरायल ने पूर्वी जेरुसलम के शेख जर्राह इलाके से कई फिलीस्तीनियों को जबरन हटाने की मुहिम चलाई। लंबे समय से इजरायल इस इलाके में अपने लोगों को बसाने की कोशिश कर रहा है। इस मुद्दे पर 10 मई को इजरायली सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना था, जिसे अब टाल दिया गया है।

More in अंतरराष्ट्रीय

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING