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भूकंप आया तो हिल जाएगा चीन का बांध, भारत व बंगलादेश को होगा भारी नुकसान

भूकंप आया तो हिल जाएगा चीन का बांध, भारत व बंगलादेश को होगा भारी नुकसान
सीएन, नईदिल्ली।
ब्रह्मपुत्र नदी में चीन दुनिया का सबसे बड़ा बांध यानी डेम बना रहा है। जिससे भारत व बांग्लादेश को भारी खतरा होगा। लेकिन चीन ने कहा है कि ब्रह्मपुत्र पर बनने वाले बांध से भारत में पानी का प्रवाह प्रभावित नहीं होगा। इस बांध से बांग्लादेश भी चिंतित है। चीन भारत की सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने का प्लान बना रहा है। इसने भारत के साथ.साथ बांग्लादेश की भी चिंता बढ़ा दी है। हालांकि चीन ने कहा है कि नदी प्रवाह के निचले इलाकों में स्थित दोनों देशों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस योजना में चीन लगभग 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करने वाला है। चीन जहां यह निर्माण करने जा रहा है वह जगह नाजुक हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप के झटके आते रहते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के नए प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने मामले को लेकर मीडिया में बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यारलुंग सांगपो नदी यानी ब्रह्मपुत्र नदी के निचले क्षेत्र में चीन द्वारा किए जा रहे हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के निर्माण की वैज्ञानिकों ने गहराई से जांच की है। इसके बाद यह बात सामने आई कि इससे निचले हिस्से में स्थित देशों के इकोलॉजिकल एनवायरनमेंट, जियोलॉजी और वाटर रिसोर्स पर कोई नेगेटिव इम्पैक्ट नहीं पड़ेगा। बांध का निर्माण हिमालय क्षेत्र में एक विशाल घाटी पर बनाने का प्लान चीन कर रहा है। यहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने और बांग्लादेश में बहने से पहले एक तीव्र यू.टर्न लेती है। ब्रह्मपुत्र बांध के निर्माण में इंजीनियरों को बहुत दिक्कत आएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह भूकंप के लिए संवेदनशील टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है। टेक्टोनिक प्लेटों के ऊपर स्थित होने के कारण तिब्बती पठार पर अक्सर भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं। ब्रह्मपुत्र तिब्बती पठार से होकर बहती है जो भारत में प्रवेश करने से पहले 25,154 फीट से गिरती है। यह दुनिया की सबसे गहरी घाटी बनाती है। बांध का निर्माण जहां हो रहा है वह चीन के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में स्थित है। पिछले साल दिसंबंर के महीने में चीन ने तिब्बत में भारतीय सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र नदी पर यारलुंग जांगबो नामक एक बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। विशाल बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा। यहां से ब्रह्मपुत्र अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में पहुंचती है। प्रस्तावित बांध पर तीन जनवरी को अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारत ने चीन से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह वाले निचले इलाकों के हितों को ऊपरी इलाकों में होने वाली गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में मीडिया से कहा हम अपने हितों की रक्षा के लिए निगरानी जारी रखेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे। जायसवाल ने कहा नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में जल के उपयोग का अधिकार रखने वाले देश के रूप में हमने विशेषज्ञ स्तर के साथ.साथ कूटनीतिक माध्यम से चीनी पक्ष के समक्ष उसके क्षेत्र में नदियों पर बड़ी परियोजनाओं के बारे में अपने विचार और चिंताएं लगातार व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा हालिया रिपोर्ट के बाद इन बातों को दोहराया गया है। साथ ही नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ पारदर्शिता बरतने और परामर्श की जरूरत बताई गई है। उन्होंने कहा चीनी पक्ष से आग्रह किया गया है कि ब्रह्मपुत्र के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के हितों को नदी के प्रवाह के ऊपरी क्षेत्र में गतिविधियों से नुकसान नहीं पहुचे, इससे पहले 27 दिसंबर को विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की चीन की योजना का बचाव करते हुए कहा था कि परियोजना का नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीन नदी के प्रवाह के निचले क्षेत्रों में स्थित देशों के साथ संवाद जारी रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लाभ के लिए आपदा निवारण व राहत पर सहयोग बढ़ाएगा।

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