अंतरराष्ट्रीय
कीव में जगह जगह तबाही के निशान, बिखरे पड़े शव
कीव के साथ जाइतोमिर, खारकीव, निप्रो और पोल्टावा भी निशाने पर
सीएन, कीव। रूस यूक्रेन जंग का आज 36 वां दिन है. कीव में जबरदस्त धमाके हो रहे हैं. रूस ने हमले कम करने का अपना वादा तोड़ दिया. कीव में रूस ने एक पुल को नेस्तनाबूद कर दिया, जिसकी वजह से आवाजाही रूक गई. कीव में जगह जगह तबाही के निशान दिख रहे हैं, कई जगह पर शव पड़े दिखे. कीव के साथ जाइतोमिर, खारकीव पर भी हमले हो रहे हैं. निप्रो और पोल्टावा भी निशाने पर हैं. तमाम शहरों पर रूस के मिसाइल हमले जारी हैं. यूक्रेन में भारी तबाही हुई है. डोनेस्त्क में रूस की जवाबी कार्रवाई हो रही है, टैंकों से हमले की तैयारी की जा रही है. डोनेत्स्क में यूक्रेन ने एक रूसी टैंक को तबाह कर दिया. डोनेत्स्क में आजतक की टीम मौजूद है.
हथियारों के बाज़ार में सबसे बड़ा खिलाड़ी कौन
रूस और यूक्रेन के बीच जंग की असली वजह है ‘डर’. रूस को ‘डर’ है कि यूक्रेन नेटो का सदस्य बनता है तो उसकी सुरक्षा को ख़तरा होगा. वहीं, यूक्रेन को रूस का ‘डर’ है. इसी ‘डर’ की वजह से वो नेटो की सदस्यता चाह रहा था और उसका डर, आख़िरकार हक़ीक़त में बदल ही गया. रूस यूक्रेन की जंग के बीच एक और ‘डर’ की चर्चा हो रही है – वो है तीसरे विश्व युद्ध की संभावना का ‘डर’. हालांकि इस डर का फिलहाल कोई ठोस आधार नहीं है, लेकिन अलग-अलग देशों ने इस ‘डर’ के मद्देनज़र रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने का फ़ैसला भी ले लिया है. ताज़ा उदाहरण जर्मनी और चीन का है. किसी भी बड़ी जंग के डर को दूर करने का दुनिया के मुल्कों के पास एक ही तरीका है -वो है हथियार. जिस देश के पास हथियारों का जितना बड़ा ज़खीरा है, दुश्मन से लड़ाई में वो देश ख़ुद को उतना ही सशक्त मानता है. इसलिए दुनिया के ‘डर के इस बाज़ार’ यानी ‘हथियारों के बाज़ार’ को समझना ज़रूरी है.