अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तान का शिमला समझौता रद्द करना भारत के लिए फायदेमंद, अब पाकिस्तान से संधि खत्म
पाकिस्तान का शिमला समझौता रद्द करना भारत के लिए फायदेमंद, अब पाकिस्तान से संधि खत्म
सीएन, नईदिल्ली। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव बढ़ गया है। ऑटोमेटिक असॉल्ट राइफलों से लैस आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के एक पर्यटन स्थल को निशाना बनाया, जिसमें 26 लोग मारे गए। इस हमले के बाद भारत के लोग बदले की भावना से सरकार पर दबाव बना रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े कदम उठाए हैं जबकि इस्लामाबाद ने भी जवाब में कुछ फैसले लिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक घंटे लंबी बैठक के बाद, नकदी की कमी से जूझ रहे देश ने भारत के खिलाफ उठाए जाने वाले कई फैसलों की घोषणा की। पाकिस्तान ने न केवल भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ सभी व्यापार को खत्म कर दिया, बल्कि उसने 1972 के शिमला समझौते सहित नई दिल्ली के साथ सभी द्विपक्षीय संधियों को भी रोक दिया। पाकिस्तान भारत के हमलों का कड़ा जवाब देना चाहता था, लेकिन उसने अनजाने में 1972 के समझौते को स्थगित करके भारत को तीन बड़े फायदे दे दिए। इससे पहले कि हम उन फायदों पर चर्चा करें, यह समझना जरूरी है कि शिमला समझौते में क्या-क्या शामिल है। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। 28 जून से 2 जुलाई 1972 तक शिमला हिमाचल प्रदेश में कई दौर की चर्चाएं हुईं। तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते का उद्देश्य युद्ध के बाद के तनाव को कम करना और शांतिपूर्ण सह.अस्तित्व को बढ़ावा देना था। भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराया था और एक स्वतंत्र बांग्लादेश बनाने में मदद की थी। 93,000 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया गया था और भारत ने पाकिस्तान के लगभग 5,000 वर्ग मील क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। समझौते में था कि विवादों का द्विपक्षीय समाधान किया जाएगा। भारत और पाकिस्तान सभी विवादों, खासकर जम्मू-कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल करने पर सहमत हुए थे। इस खंड ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों से कश्मीर मुद्दे को प्रभावी रूप से हटा दिया। हालांकि दशकों पुराने इस डील के निलंबन से दोनों देशों के द्विपक्षीय कूटनीतिक रास्ते बाधित हुए हैं, लेकिन इससे नई संभावनाओं के द्वार खुल गए हैं। समझौते में था कि भारतीय और पाकिस्तानी सेनाएं अंतर्राष्ट्रीय सीमा के अपने-अपने पक्ष में वापस चली जाएंगी। हालांकि अब यह रद्द कर दिया गया है। शिमला समझौते के निलंबन के साथ ही संधि की वैधता पर सवाल उठने लगे हैं। अब कोई भी पक्ष खास तौर पर भारत, संधि को एकतरफा तरीके से बदलने के लिए उचित कदम उठा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने पहले भी शिमला समझौते का उल्लंघन किया है।
1984 में पाकिस्तान ने कराची समझौते के तहत सीमांकित भारतीय क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने की कोशिश की थी। जवाब में भारत ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया और ग्लेशियर पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया। अब जहां हाल ही में हुए निलंबन के बाद अब दोनों देश एलओसी का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। शिमला समझौते में कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे। लेकिन अब भारत किसी भी संधि का उल्लंघन किए बिना सैन्य विकल्प अपना सकता है, क्योंकि समझौता रद्द कर दिया गया है। साथ ही वह आतंकवादी घुसपैठ से अक्सर प्रभावित होने वाले क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए सैन्य विकल्प अपनाया जा सकता है। समझौता में भारत और पाकिस्तान, वैश्विक नेताओं के हस्तक्षेप के बिना द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने के लिए बाध्य हैं। लेकिन अब समझौका रद्द हो चुका है और जब समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तब पाकिस्तान पश्चिमी देशों के साथ अच्छे संबंध में थाए लेकिन तब से चीजें बदल गई हैं, भारत अब अमेरिका, इजरायल और पश्चिम एशियाई और यूरोपीय देशों में ट्रंप प्रशासन सहित प्रमुख शक्तियों पर अपने प्रभाव का उपयोग करके पाकिस्तान को पूरी तरह से अलग-थलग कर सकता है। इसके बावजूद, पाकिस्तान ने कभी भी संधि का सम्मान नहीं किया और मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले गया, जिसमें सबसे हालिया मामला अनुच्छेद 370 को हटाने पर पाकिस्तान का आक्रोश है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत वैश्विक क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है और कई पश्चिमी बड़े नेताओं का समर्थन प्राप्त कर लिया है।
उदाहरण के लिए जब न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि पहलगाम के पर्यटकों को कश्मीर में मिलिटेंट द्वारा गोली मार दी गई थी, तो यूएस हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने हेडलाइन को सही करते हुए बंदूकधारियों को आतंकवादी के रूप में बताया। भारत को इस समय अमेरिका, रूस, इजरायल समेत पश्चिम एशिया के कई देशों और यूरोपीय देशों का समर्थन प्राप्त है। इतना ही नहीं चीन के साथ भी उसके संबंध सुधर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है। शिमला समझौते को स्थगित करने से पाकिस्तान के साथ भारत के स्पष्ट लाभ होने के बावजूद, यह भविष्य के गर्भ में है कि इसका दोनों देशों पर क्या असर होगा।
