अंतरराष्ट्रीय
खतरे में है पाकिस्तान का परमाणु शस्त्र भंडार, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के हमले से हुआ नुकसान
खतरे में है पाकिस्तान का परमाणु शस्त्र भंडार, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के हमले से हुआ नुकसान
सीएन, नईदिल्ली। भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच अब ये संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि इस्लामाबाद के नूर खान स्थित न्यूक्लियर शस्त्रागार में रिसाव हो रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और फिर कई एयर बेस पर भी हमला किया। इनमें से कई इलाके परमाणु स्टोरेज से जुड़े हुए हैं। खासकर नूर खान एयरबेस पर मची तबाही के बाद चिंता गहरा गई कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार कितने सुरक्षित हैं। इसके बाद मिस्र के वायुसेना कार्गो बोरॉन लेकर पहुंचा है और अब यूएस का विमान भी पाकिस्तान पहुंचा है। भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच अब ये संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि इस्लामाबाद के नूर खान स्थित न्यूक्लियर शस्त्रागार में रिसाव हो रहा है और मिस्र के वायुसेना कार्गो बोरॉन लेकर पहुंचा है और उस के बाद अब यूएस का विमान भी पाकिस्तान पहुंचा है। विमान की लैंडिंग के बाद और पीएम मोदी के कल रात यानी 12 मई को देश के नाम संबोधन में पाकिस्तान को न्यूक्लियर धमकी न देने की चेतावनी के बाद से सोशल मीडिया पर अटकलें तेज हो गईं हैं पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार में लीकेज है। फ्लाइटराडा-24 के आंकड़ों से पता चलता है कि मिस्र की वायुसेना का परिवहन विमान, जिसका कॉल साइन था, 11 मई की दोपहर भुरबन हवाई अड्डे से रवाना हुआ था। विमान चीन से पाकिस्तान पहुंचा, लेकिन उसका अगला गंतव्य कहां था ये पता नहीं चल सका है। किन सोशल मीडिया पर उपग्रह चित्रों की बाढ़ से अफवाहों को हवा मिल रही है। न्यूक्लियर लीकेज से रेडियोएक्टिव पदार्थों या न्यूक्लियर रिसाव से रेडिएशन का खतरा बढ़ जाता है, जिससे कैंसर, आनुवंशिक परिवर्तन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। रेडियोएक्टिव पदार्थ पर्यावरण में फैलकर मिट्टी, पानी और हवा को प्रदूषित कर सकते हैं, रेडियोएक्टिव पदार्थ जल स्रोतों में मिलकर जल प्रदूषण का कारण बन सकते हैं। रेडियोएक्टिव पदार्थ खाने से लेकर जमीन तक में प्रवेश कर सकते हैं और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। न्यूक्लियर लीकेज से निपटने और उसके प्रभावों को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। न्यूक्लियर लीकेज के कारण लोगों में भय, चिंता और तनाव बढ़ सकता है जिससे सामाजिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। न्यूक्लियर लीकेज के प्रभावों को कम करने के लिए तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता होती है। न्यूक्लियर लीकेज रेडिएशन के नुकसान को बोरॉन से कैसे रोका जाता है। बोरॉन का उपयोग न्यूक्लियर लीकेज रेडिएशन के नुकसान को रोकने में किया जा सकता है क्योंकि यह न्यूट्रॉन को अवशोषित करने में सक्षम होता है। बोरॉन न्यूट्रॉन को अवशोषित करता है, जिससे विकिरण के प्रभाव को कम किया जा सकता है। बोरॉन युक्त सामग्री का उपयोग शील्डिंग में किया जा सकता है ताकि विकिरण को रोका जा सके। बोरॉन का उपयोग न्यूक्लियर रिएक्टरों में नियंत्रण छड़ों में किया जाता है ताकि न्यूट्रॉन की संख्या को नियंत्रित किया जा सके। बोरॉन के इन गुणों के कारण, इसका उपयोग न्यूक्लियर लीकेज रेडिएशन के नुकसान को रोकने में किया जा सकता है।
