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सूर्ययान आदित्य-एल1 ने सूरज की ओर एक और कदम बढ़ाया

सीएन, बंगलुरू। सूर्ययान आदित्य-एल1 ने सूरज की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है. पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे इस स्पेसक्रॉफ्ट ने नया ऑर्बिट हासिल कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ये जानकारी दी है.इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर जानकारी देते हुए बताया कि आदित्य-एल1 मिशन ने दूसरा अर्थ बाउंड मैन्यूवर पूरा कर लिया है. इसका मतलब ये हुआ कि सूर्ययान ने पृथ्वी का दूसरा चक्कर पूरा कर लिया.सीएन, बंगलुरू। सूर्ययान आदित्य-एल1 ने सूरज की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है. पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे इस स्पेसक्रॉफ्ट ने नया ऑर्बिट हासिल कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ये जानकारी दी है.

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर जानकारी देते हुए बताया कि आदित्य-एल1 मिशन ने दूसरा अर्थ बाउंड मैन्यूवर पूरा कर लिया है. इसका मतलब ये हुआ कि सूर्ययान ने पृथ्वी का दूसरा चक्कर पूरा कर लिया.इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) ने इस ऑपरेशन को संचालित किया. इसरो ने बताया कि आईएसटीआरएसी के मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर स्थित ग्राउंड स्टेशन ने सैटेलाइट को ट्रैक किया है. इसरो के मुताबिक आदित्य-एल1 ने 5 सितंबर (मंगलवार) सुबह तड़के 2.45 बजे पृथ्वी के नए ऑर्बिट में प्रवेश कर लिया. नया ऑर्बिट 282 किमी X 40,225 किमी का है. इसे आसानी से ऐसे समझ सकते हैं कि इस ऑर्बिट (कक्षा में) की पृथ्वी से कम से कम दूरी 282 किमी, जबकि अधिकतम दूरी 40,225 किमी पर है.  इसके पहले सूर्ययान ने 3 सितम्बर को पहला चक्कर पूरा करके 245किमी x  22,459 किमी का ऑर्बिट हासिल किया था. आदित्य-एल1 पृथ्वी की अगली कक्षा में 10 सितम्बर 2023 को भारतीय समयानुसार सुबह 2.30 बजे भेजे जाने की योजना है.  भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 को शनिवार (2 सितम्बर) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. इसरो के पीएसएलवी-सी57 रॉकेट की मदद से इसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया था. इसका शुरुआती ऑर्बिट 235 किमी x 19000 किमी था. सूर्ययान को पृथ्वी की कक्षा में कुल 16 दिनों (18 सितम्बर) तक रहना है. इसके बाद ये बाहर निकलकर सूर्य की तरफ लैग्रेंज-1 (एल1) प्वाइंट को रवाना होगा. एल1 प्वाइंट धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर वो स्थान है, जहां सूर्य और पृथ्वी एक दूसरे के गुरुत्वाकर्षण को बेअसर कर देते हैं, जिससे वस्तुएं बहुत कम ऊर्जा करके यहां बनी रह सकती हैं. पृथ्वी से एल1 प्वाइंट तक पहुंचने में सूर्ययान को कुल 125 दिनों का सफर तय करना है.

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