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रेत में बसा शहर, पार्टी ऐसी हुई ईरान की सत्ता बदल गई, कैसे एक शाम शाह पर पड़ी भारी
रेत में बसा शहर, पार्टी ऐसी हुई ईरान की सत्ता बदल गई, कैसे एक शाम शाह पर पड़ी भारी
सीएन, दिल्ली। 9 राजा, 5 रानियां, 16 राष्ट्राध्यक्ष और 2 सुल्तान स्वागत है आपका दुनिया की सबसे महंगी और आलीशान पार्टी में। तारीख थी 14 अक्टूबर 1971, ईरान के शाह मोहम्मद रजा पहलवी ने ये पार्टी पारसी एंपायर की 2500वीं वर्षगांठ मनाने के लिए रखी थी। जगह चुनी गई थी प्राचीन शहर पर्सेपोलिस जो उस समय ईरान की ऐतिहासिक राजधानी था। शाही डिनर का आयोजन उस वीरान रेगिस्तान में हुआ जो शीराज़ शहर से करीब 60 किमी दूर था। वहां पानी नहीं था, छांव नहीं थी, लेकिन शाह का ख्वाब था, पर्सेपोलिस को एक बार फिर से जिंदा करना। लिहाजा 160 एकड़ में फैले रेशम के टेंट्स बनाए गए, जिन्हें गोल्डन सिटी कहा गया। 37 किलोमीटर लंबा फ्रेंच सिल्क इस्तेमाल हुआ। 50,000 यूरोपीय चिड़ियों को मंगवाया गया, ताकि संगीत और प्रकृति का संगम हो, हालांकि वे चिड़ियां कुछ ही दिनों में गर्मी से मर गईं। पार्टी के करीब 600 खास मेहमानों में प्रिंसेस ग्रेस और प्रिंस रेनियर, ब्रिटेन की राजकुमारी ऐनी और प्रिंस फिलिप, अमेरिका के उपराष्ट्रपति स्पाइरो एग्न्यू और अफ्रीकी सम्राट हाइले सेलासी जैसे चेहरे मौजूद थे। सेलासी तो 72 लोगों के लाव-लश्कर के साथ पहुंचे। उनका कुत्ता भी साथ था, जिसकी गर्दन पर हीरे जड़ा पट्टा था। भले ही मौका ईरानी इतिहास का था, लेकिन खाना फ्रेंच था, ताकि यह दिखाया जा सके कि ईरान अब एक आधुनिक, परिष्कृत राष्ट्र है। 120 वेटर, 40 शेफ और 150 टन आधुनिक रसोई के सामान फ्रांस से लाए गए। कुल 18 टन खाना, जिसमें 2700 किलो मांस, 30 किलो ईरानी कैवियार, और बर्फ के ट्रक शामिल थे। साथ ही 2,500 बोतल कैंपेन 1,000 बोतल बोर्डो और 1,000 बोतल बर्गंडी वाइन भी थी। शाही भोज 5 घंटे से ज्यादा चला, जो गिनीज बुक में दर्ज हुआ। तीन दिन के इस शाही जलसे के बाद मेहमान तो लौट गए, लेकिन अब शाह को अपने ही देश की जनता का सामना करना था। मीडिया में खबरें आईं कि इस पार्टी पर उस वक्त 10 करोड़ डॉलर खर्च किए गए। यानी आज के हिसाब से करीब 50 करोड़ डॉलर। जब ईरान के गरीब और हाशिये पर जी रहे लोगों को इस खर्चे की भनक लगी तो शाह के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा। शाह के विरोधी और उस वक्त विदेश में निर्वासित जिंदगी बिता रहे शिया धर्मगुरु अयातुल्ला रुहोल्ला खुमैनी को इसका फायदा मिला और उन्हें लोगों का समर्थन मिलने लगा। इस भव्य पार्टी के बाद शाह और राजशाही के खिलाफ प्रदर्शन तेज होते चले गए। हालात यहां तक बिगड़े कि 1979 में शाह को अपने परिवार समेत देश छोड़कर भागना पड़ा। इसी दौरान खुमैनी ईरान लौटे और उनके नेतृत्व में इस्लामी गणराज्य ईरान की स्थापना हुई। पूरे देश में इस्लामी कानून लागू किए गए। महिलाओं पर हिजाब न पहनने जैसी बातों पर सख्त सजाएं तय की गईं। जिनमें 74 कोड़े से लेकर 16 साल तक की जेल तक शामिल थी।
