अंतरराष्ट्रीय
चांद के बाद आज सूरज की बारी! कम बजट में तैयार भारत का आदित्य-एल 1
चांद के बाद आज सूरज की बारी! कम बजट में तैयार हुआ भारत का आदित्य-एल 1
सीएन, बंगलुरू। भारत ने अभी.अभी चंद्रयान 3 के जरिए चांद पर पैर रखा ही था कि इसरो ने सूरज को छूने की तैयारी कर भी ली। आज 2 सितंबर 20.23 यानी शनिवार को इसरो अपना सूर्य मिशन आदित्य एल 1 सुबह 11.50 मिनट पर श्रीहरिकोटा से लॉन्च करने जा रहा है। ख़ास बात यह है कि इसरो ने आदित्य एल 1 को चंद्रयान.3 से भी कम के बजट में तैयार किया है, जबकि नासा ने अपने सूर्य मिशन के लिए चंद्रयान 3 के बजट से 30 गुना ज्यादा पैसा खर्च किया था। आदित्य एल 1 यानी आदित्य लैगरेंज बिंदु भारत के लिए एक नई उम्मीद की किरण है क्योंकि चांद के साउथ पोल पर तो भारत ने कदम रख लिया है लेकिन अब बात सूर्य मिशन की है। गौरतलब है कि आदित्य एल 1 को चंद्रयान.3 से भी कम के बजट में तैयार किया है। चंद्रयान.3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए था जबकि आदित्य एल 1 का बजट महज़ 400 करोड़ बताया जा रहा है, जो कि आदिपुरुष 700 करोड़ और आरआरआर 550 करोड़ जैसी फिल्मों से काफी ज्यादा कम है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने सूर्य मिशन के लिए आदित्य एल 1 को महज़ 400 करोड़ रुपए में तैयार किया है वहीं नासा द्वारा सूर्य मिशन के लिए सोलर प्रोब पर 12.300 करोड़ रुपए खर्च किये थे, जो कि अब तक का सबसे महंगा प्रोजेक्ट था। सोलर प्रोब को 2018 में लांच किया गया था और सूर्य तक पहुंचने में इसे 3 साल लग गए थे, यानी 2021 में इसने सूर्य की बाहरी सतह को छुआ था। बता दें कि आदित्य एल 1 चंद्रयान 3 की ही तरह अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाते हुए आगे बढ़ेगा। सूर्य पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। ऐसे में आदित्य 15 लाख किलोमीटर दूर जा कर रिसर्च करना शुरू करेगा और उम्मीद है कि वह जनवरी 2024 के पहले हफ्ते में वहां पहुंच जाएगा। सोलर की ऊपरी वायुमंडलीय की गतिशीलता का अध्ययन क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी कोरोनल द्रव्यमान इजेक्शन की शुरुआत और फ्लेयर्स सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा भेजने वाले इन.सीटू कण और प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण सोलर कोरोना का भौतिकी और इसके तापन तंत्र का अध्ययन सीएमई का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति क्रोमोस्फीयर, बेस और विस्तारित कोरोना जैसे परतों पर होने वाली प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान जिनके कारण सोलर विस्फोट की घटनाएं होती हैं। बता दें कि सूर्य पृथ्वी से 109 गुना ज्यादा बड़ा है और इसके अंदर का तापमान करीब 14.99 लाख डिग्री तक होता है और इसके बाहर 5507 डिग्री सेल्सियस रहता है और इसका प्रकाश पृथ्वी पर 8.3 मिनट में पहुंच जाता है।

























































