अंतरराष्ट्रीय
यह सिर्फ मेरी उड़ान नहीं…..140 करोड़ भारतवासियों के सपने लेकर जा रहा हूं, शुभांशु का आसमान से पहला संदेश
यह सिर्फ मेरी उड़ान नहीं…..140 करोड़ भारतवासियों के सपने लेकर जा रहा हूं, शुभांशु का आसमान से पहला संदेश
सीएन, नईदिल्ली। अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना होते ही भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने दिल छू लेने वाला संदेश जारी किया है। शुभांशु ने कहा, ये कमाल की राइड थी। इस समय हम 750 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। मेरे कंधे पर तिरंगा है। ये अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए सिर्फ मेरी उड़ान नहीं है, बल्कि मैं 140 करोड़ देशवासियों के सपने लेकर जा रहा हूं। ये भारत की स्पेस यात्रा की शुरुआत है। ये हमारे सारे देशवासियों के लिए गर्व से सीना चौड़ा करने का वक्त है। लखनऊ के निवासी शुभांशु शुक्ला एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन पद पर हैं और उन्होंने एक साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद अंतरिक्ष यात्रा के लिए खुद को तैयार किया। उनके साथ हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री भी हैं। शुभांशु शुक्ला 14 दिन के स्पेस मिशन के दौरान कई अहम शोध कार्य करेंगे। उनके गले में एक ग्लूकोज मीटर है, जो अंतरिक्ष में बदलती गुरुत्वाकर्षण शक्ति के दौरान शुगर और ब्लड प्रेशर लेवल पर नजर रखेगी। शुक्ला अपने साथ बैंगन.टमाटर के बीज भी ले गए हैं और वहां इन पौधों को लेकर देखा जाएगा कि वो कैसे बड़े होते हैं। एस्ट्रोनॉट एक बैक्टीरिया को भी साथ ले गए हैं, जहां देखा जाएगा कि अंतरिक्ष में उसके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। ये पृथ्वी के बाहर दूसरे ग्रह में जीवन की संभावनाओं के लिए बेहद अहम होगा। शुभांशु शुक्ला जब अंतरिक्ष मिशन के लिए रवाना हो रहे थे, तब यूपी की राजधानी लखनऊ में उनके परिवार और करोड़ों देशवासियों के लिए गौरव और भावुक क्षण था। लखनऊ के जिस सिटी मांटेसरी स्कूल से शुक्ला ने पढ़ाई की थी, वहां एक भव्य कार्यक्रम रखा गया था। शुभांशु की मां आशा और पिता शंभू दयाल शुक्ला बेटे के स्पेस मिशन को लाइव रवाना होते देख भावुक हो गए। उनकी मां अपने आंसुओं को छिपाने की नाकाम कोशिश करते दिखीं। इस दौरान वहां मौजूद सैकड़ों लोग इस दृश्य को कैमरे में कैद करते रहे। शुभांशु शुक्ला और अन्य एस्ट्रोनॉट्स को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ने में 28 घंटे का वक्त लगेगा, क्योंकि स्पेस स्टेशन भी पृथ्वी के चारों ओर घूम रहा है। इससे अंतरिक्षयान को स्पेस स्टेशन से डॉकिंग के लिए उसी कक्षा और रफ्तार में आना होगा। शुभांशु शुक्ला अगले 24 घंटे में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के अद्भुत क्षण के भी गवाह बनेंगे। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के सोयूज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष में कदम रखा था। उन्होंने भारत का तिरंगा अंतरिक्ष में लहराया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बातचीत में कहा कि सारे जहां से अच्छा। यह भारत के लिए गर्व का पहला क्षण था। अब 41 साल बाद शुभांशु शुक्ला इस विरासत को आगे बढ़ाने जा रहे हैं। वह न केवल अंतरिक्ष में जाएंगे, बल्कि 14 दिन तक रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। ऐक्सिओम मिशन-4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जो एक्सिओम स्पेस, नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से संचालित हो रहा है। यह मिशन भारत, पोलैंड, हंगरी और अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है। शुभांशु इस मिशन के पायलट होंगे और उनके साथ होंग कमांडर पेगी व्हिटसन, पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और अनुभवी कमांडर। स्लावोश उज्नी पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री। तिबोर कपु हंगरी के अंतरिक्ष यात्री। यह मिशन 40 साल बाद इन देशों के लिए पहला सरकारी अंतरिक्ष मिशन है। भारत के लिए यह खास है, क्योंकि शुभांशु पहला भारतीय होंगे जो अंतरिक्ष पर जाएंगे।
