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आज 29 जुलाई को है अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस :  बाघों की संख्या में काफी गिरावट आना चिंतनीय

आज 29 जुलाई को है अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस :  बाघों की संख्या में काफी गिरावट आना चिंतनीय
सीएन, नैनीताल।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का संक्षिप्त विवरण प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को पूरे विश्व में विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। अवैध शिकार और वनों के कटने के कारण विश्व के कई देशों में बाघों की संख्या में काफी गिरावट आई है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में जंगली बाघों के निवास के संरक्षण, विस्तार तथा उनकी स्थिति के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फण्ड फॉर नेचर एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है यह संगठन वन्य जीवों के संरक्षण के लिए कार्य करता है। इसकी स्थापना 29 अप्रैल 1961 में की गयी थी। इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के रुए मौवेर्नी में स्थित है। इस संगठन का उद्देश्य वन्यजीवों का संरक्षण तथा पर्यावरण पर मानव के प्रभाव को कम करना है।  वर्ष 1998 से हर दो साल के उपरांत लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट प्रकाशित करता है। वर्तमान में बाघों की संख्या अपने न्यूनतम स्तर पर है। बाघों की कुछ प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। पूरी दुनिया में बाघों की कई तरह की प्रजातियां मिलती हैं। इनमें 6 प्रजातियां मुख्य हैं। इनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ शामिल हैं। बंगाल टाइगर या पेंथेरा टिगरिस, प्रकृति की सबसे सुन्दर प्रजातियों में से एक है। यह बाघ परिवार की एक उप.प्रजाति है और भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार एवं दक्षिण तिब्बत के क्षेत्रों में पाई जाती है। इसके शौर्य, सुंदरता और बलशाली रूप को देखते हुए बंगाल टाइगर को भारत के राष्ट्रीय पशु के सम्मान से भी नवाज़ा गया है। अन्य जीवों की अपेक्षा बाघों की देखने और सुनने की शक्ति कहीं ज्यादा होती है। इंडोचाइनीज टाइगर बाघ की यह प्रजाति थाईलैंड, कंबोडिया, चीन, बर्मा और वियतनाम देशो ही में पाई जाती है। इस प्रजाति के बाघ पहाड़ों पर ही रहते हैं। मलयन टाइगर बाघ की प्रजाति मलय प्रायद्वीप में पाई जाती है। साइबेरिया टाइगर की प्रजाति साइबेरिया के सुदूर पूर्वी इलाके अमर.उसर के जंगलों में पाई जाती है। यह उत्तर कोरिया की सीमा के पास उत्तर.पूर्वी चीन में हुंचुन नेशनल साइबेरियन टाइगर नेचर रिजर्व में कुछ संख्या में हैं और इनकी कुछ संख्या रूस के सुदूर पूर्व में भी पाई जाती है। ये बाघ सिर्फ सुमात्रा आइसलैंड में पाए जाते हैं। साल 1998 में इसे एक विशिष्ट उप-प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। यह प्रजाति भी भारत की लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल है। साउथ चाइना टाइगर इस प्रजाति के नर बाघों की लंबाई 230 से 260 सेंटीमीटर और वजन लगभग 130 से 180 किलोग्राम होता है। वहीं मादा बाघ की लंबाई 220 से 240 सेंटीमीटर और वजन लगभग 100 से 110 किलोग्राम होता है।
बाघों की आबादी में कमी के मुख्य कारण

वर्ष 1915 में बाघों की कुल संख्या एक लाख थी। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम के 2016 के आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में लगभग 6000 बाघ ही बचे हैं इस प्रकार हम ये कह सकते है कि पिछले 100 सालो में टाइगरों की आबादी का लगभग 97 प्रतिशत समाप्त हो चुकी है। भारत उन देशों में शामिल है जिसमे बाघों की जनसंख्या सबसे अधिक है। साल 2016 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 3,891 बाघ हैं। भारत, नेपाल, रूस एवं भूटान में पिछले कुछ समय से बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक है। बाघ भारतीय उपमहाद्वीप का प्रतीक है और उत्तर.पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है। बाघों की आबादी में कमी होने का मुख्य कारण मनुष्यों द्वारा शहरों और कृषि का विस्तार है जिसकी वजह से बाघों का 93 प्रतिशत प्राकृतिक निवास स्थान समाप्त हो चुका है। बाघों की अवैध शिकार भी एक बड़ी वजह है जिसकी वजह से बाघ अब आईयूसीएन के लुप्तप्राय श्रेणी में आ चुके हैं। बाघ के चमड़े, हड्डियों एवं शरीर के अन्य  भागों का इस्तेमाल परंपरागत दवाइयों को बनाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन भी बहुत बड़ी वजह है जिससे जंगली बाघों की आबादी कम हो रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है जिससे जंगलों के खत्म होने का खतरा पैदा हो गया है। बाघ अपने मजबूत पैरो की सहायता से बड़ी आसानी से अपने शिकार को पकड़ लेता है। लेकिन क्या आप जानते है कि बाघ के पैर इतने मजबूत होते हैं, कि वह मरने के बाद भी खड़ा रह सकता है।
अगर आपका सामना कभी बाघ से हो और यदि आप सीधे बाघ की आंखों में देखेंगे तो वह आप पर हमला करने से पहले सोचेगा या ये भी हो सकता है कि वह आप पर हमला करने का इरादा बदल दे। बाघ जब जन्म लेते है तो वह अंधे होते हैं, बाघ अपने जन्म के एक सप्ताह तक देख नहीं सकते है। वहीं, आधे से ज्यादा बाघ युवावस्था में ही मर जाते हैं। बाघ करीब 5 मीटर तक की ऊंचाई कूद सकते है और वह 6 मीटर तक की चौड़ाई भी आराम से फांद सकते है। बाघ का वजन 300 किलो तक का होता है। वहीं उनका दिमाग 300 ग्राम का होता है। बाघ एक शानदार तैराक होते हैं। वह 6 किलोमीटर तक की दूरी आराम से तैर सकते हैं। आज से करीब 100 साल पहले बाघ की 9 उपजाति पाई जाती थी। पिछले 80 सालों में बाघों की तीन उप जातियां खत्म हो चुकी हैं और आज के समय में सिर्फ 6 प्रजातियाँ ही रह गई है। बाघ काफी तेजी से दहाड़ते है। लेकिन एक बंगाल टाइगर की दहाड़ रात के समय 2 किलोमीटर तक की दूरी पर भी आसानी से सुनाई दे सकती है।

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