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आज है विश्व नारियल दिवस 02 सितम्बर, इतिहास, महत्व, थीम

आज है विश्व नारियल दिवस 02 सितम्बर, इतिहास, महत्व, थीम
सीएन, नईदिल्ली।
विश्व नारियल दिवस प्रत्येक वर्ष 2 सितंबर को मनाया जाता है। नारियल दिवस के दिन नारियल से बनी विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनियाँ लगाई जाती हैं। नारियल एक ऐसा फल है, जिसके प्रत्येक भाग का हम तरह.तरह से उपयोग करते हैं। नारियल दिवस नारियल की महत्ता को रेखांकित करता है। यह मिल.बैठकर यह पता लगाने का दिवस है कि किस प्रकार से हम इसे और उपयोग में ला सकते हैं। आजकल हमारा देश पॉलिथीन के कहर से गुजर रहा है, जो सड़ता नहीं है और नालों, रेल पटरियों तथा सड़क के किनारों को गंदा एवं प्रदूषित कर देता है। पॉलिथीन को हटाकर हम नारियल की जटा से बने थैलों का उपयोग कर सकते हैं। नारियल हर तरह से हमारे लिए उपयोगी है। नारियल का वैज्ञानिक नाम कोकस न्यूसिफेरा है और यह पाम फैमिली से संबंध रखता है। विश्व नारियल दिवस मनाने का उद्देश्य नारियल को उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप उपयोग किए जाने को प्रोत्साहन देना और इसके उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाना है। नारियल का वैज्ञानिक नाम कोकस न्यूसिफेरा है और यह पाम फैमिली से संबंध रखता है। दुनिया के मुख्य नारियल उत्पादक देश फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ़ माइक्रोनेशिया, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, किरिबाटी, मलेशिया, मार्शल आइलैंड, पपुआ न्यू गिनीया, फिलीपिंस, समोआ, सोलोमन आइलैंड, श्रीलंका, थाइलैंड, टोंगा, वनोतु, विएतनाम, जमैका और केनिया हैं, जिनमें सबसे ज्यादा नारियल उत्पादन इंडोनेशिया, फिलीपींस, भारत, ब्राजील और श्रीलंका में होता है। विश्व नारियल दिवस मनाने का उद्देश्य नारियल को उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप उपयोग किए जाने को प्रोत्साहन देना और इसके उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाना है। इससे उद्योगों और नारियल उत्पादक किसानों को फायदा होगा। इसकी शुरुआत एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी ने की थी। इसी दिन एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी की स्थापना हुई थी। इस दिन को उत्सव मनाने का उद्देश्य नारियल के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना, गरीबी दूर करने में इसकी क्षमताए निवेश को प्रोत्साहित करना और सदस्य देशों में नारियल उद्योग के विकास को बढ़ावा देना हैद्य एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटीश् एशिया.प्रशांत में स्थित देशों का संगठन है जो नारियल का उत्पादन करते हैंद्य 12 दिसंबर 1968 को बैंकाक में भारतए इंडोनेशिया और फिलीपींस ने साथ बैठकर श्एशियाई नारियल समुदाय एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटीकी स्थापना करने की संधि में हस्ताक्षर किये और परिणामस्वरूप सितम्बर 1969 में इसकी स्थापना कर दी गई जिसका मुख्यालय जाकार्ता में रखा गया, बाद में जब दूसरे देश इस संस्था से जुड़ने लगे तो इसका नाम बदलकर एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी; रख दिया गया, विश्व का 90 प्रतिशत नारियल उत्पाद और निर्यात इन्ही एशियन एंड पैसिफिक कोकोनट कम्युनिटी देशों से होता है, आज मलेशिया, श्री लंका, जमाईका, फिजी जैसे देश इसके सदस्य हैं। 

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