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सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद चंद्रयान-3 मिशन का क्या है मकसद

सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद चंद्रयान-3 मिशन का क्या है मकसद
सीएन, नईदिल्ली।
चंद्रयान 3 का मकसद चांद के दक्षिणि ध्रुव पर ऑक्सीजन और पानी की खोज करना है। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित के मुताबिक, इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को ये दिखाना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने का दमखम है। इससे भारत की स्पेस कैपेबिलिटी पर दुनिया का विश्वास और मजबूत होगा, जिससे कमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद मिलेगी। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट-लैंडिंग के साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। बुधवार (23 अगस्त) की शाम करीब छह बजे के आसपास भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की ओर से चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर कराई गई। इस सफलता का उत्साह देश और दुनियाभर में है लेकिन सबके जहन में एक ही सवाल है कि अब आगे क्या होगा? चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम और उसमें सवार होकर गया रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर क्या काम करेगा? आइये जानते हैं। चंद्रमा पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान का मिशन जीवन एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन) का है. हालांकि, इसरो के वैज्ञानिकों ने इस अवधि से ज्यादा इनके जीवंत रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है। लैंडर और रोवर सौर ऊर्जा से संचालित हैं। ये पृथ्वी के करीब 2 हफ्ते तक चंद्रमा पर भारत के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाएंगे। मिशन में वैज्ञानिक पेलोड शामिल हैं। मिशन का उद्देश्य रोवर और लैंडर के माध्यम से चंद्र सतह का इन-सीटू (यथास्थान) रासायनिक विश्लेषण करना है। प्रज्ञान रोवर में छह पहिए लगे हैं। इसमें पेलोड के साथ कॉन्फिगर किए गए इंस्ट्रूमेंट लगे हैं। इनके जरिये चंद्रमा के वायुमंडल की मौलिक संरचना की जानकारी जुटाई जाएगी। आयनों और इलेक्ट्रॉनों से बने चंद्र सतह के प्लाज्मा के घनत्व को मापा जाएगा। चंद्रमा की थर्मल प्रॉपर्टीज यानी तापीय गुणों को मापा जाएगा। चंद्रमा पर सिस्मीसिटी यानी सतह के भीतर होने वाली हलचल (भूकंपीयता) को मापा जाएगा। रीगोलिथ (चंद्र परत) की संरचना और आवरण का अध्ययन किया जाएगा। इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप और अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर नाम दो मुख्य उपकरण रोवर प्रज्ञान में शामिल हैं। एलआईबीएस का इस्तेमाल किसी जगह पर तत्वों और उनकी प्रॉपर्टीज (गुणों) की पहचान करने के लिए होता है। यह इंस्ट्रुमेंट चंद्र सतह पर तेज लेजर फायर करेगा, जिससे सतह की मिट्टी पिघलेगी और प्रकाश का उत्सर्जन होगा। इस दौरान उत्पन्न हुई वेबलेंथ का विश्लेषण कर एलआईबीएस वहां मौजूद रासायनिक तत्वों और सामग्रियों की जानकारी जुटाएगा। यह चंद्र सतह पर मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन जैसे तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा। रोवर के दूसरे उपकरण एपीएक्सएस के माध्यम से चंद्र सतह की मिट्टी और पत्थरों में मौजूद रासायनिक यौगिकों को जानकारी जुटाई जाएगी। इससे चंद्रमा की मिट्टी के बारे में गहन विश्लेषण हो पाएगा। रोवर चंद्र सतह पर जो भी जानकारी एकत्र करेगा, उसे लैंडर तक पहुंचाएगा। लैंडर उस डेटा को भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क में भेजेगा, जिसका विश्लेषण इसरो के वैज्ञानिकों की ओर से किया जाएगा।

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