अंतरराष्ट्रीय
चार महीने की यात्रा में क्या करेगा आदित्य-एल1, कितने साल तक करेगा काम
चार महीने की यात्रा में क्या करेगा आदित्य-एल1, कितने साल तक करेगा काम
सीएन, बंगलुरू। आदित्य एल.1 को लैंग्रेंजियन बिन्दु 1 एल1 तक पहुंचने में करीब चार महीने का समय लगेगा। इस दौरान यह 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करेगा। चंद्रयान.3 की तरह यह भी अलग.अलग कक्षा से गुजरकर अपने गंतव्य तक पहुंचेगा। इसरो अपने सूर्य मिशन के जरिए सूरज की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। आदित्य एल.1 सूर्य के कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करेगा। साथ ही वो इन.सीटू पार्टिकल और प्लाज्मा वातावरण का अध्ययन करेगा। यह सूर्य के वायुमंडल के सबसे बाहरी भाग की बनावट, तापमान प्रक्रिया, सौर तूफान की उत्पत्ति, कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट आदि की जांच करेगा। इसरो के अनुसार सूरज का संस्कृत मान आदित्य होता है, जिसे देखते हुए मिशन के नाम में आदित्य शब्द को जोड़ा गया। वहीं एल.1 नाम सूरज की कक्षा से लिया गया है। दरअसल सूरज के लैग्रेंज प्वाइंट.1 वाली कक्षा में रहते हुए भारत का सूर्य मिशन अपने सेटेलाइट के माध्यम से चक्कर लगाने वाला है। इसीलिए एल.1 नाम को इसमें जोड़ा गया। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। आदित्य.1 का प्रक्षेपण आज सुबह 11.50 बजे किया गया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल1 का प्रक्षेपण किया गया। भारत का आदित्य एल1 अभियान सूर्य की अदृश्य किरणों और सौर विस्फोट से निकली ऊर्जा के रहस्य सुलझाएगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य.पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 एल1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। दरअसल लैग्रेंजियन बिंदु वे बिंदु हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक.दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है। भारत का महत्वाकांक्षी सौर मिशन आदित्य एल.1 सौर कोरोना, सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग की बनावट और इसके तपने की प्रक्रिया, इसके तापमान, सौर विस्फोट और सौर तूफान के कारण और उत्पत्ति, कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट, वेग और घनत्व, कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र की माप, कोरोनल मास इजेक्शन सूरज में होने वाले सबसे शक्तिशाली विस्फोट जो सीधे पृथ्वी की ओर आते हैं की उत्पत्ति, विकास और गति, सौर हवाएं और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करेगा।