संस्कृति
बनारस में शिवरात्रि से भी ज्यादा भीड़, 10 दिनों में 52 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन
बनारस में शिवरात्रि से भी ज्यादा भीड़, 10 दिनों में 52 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन
सीएन, वाराणसी। महाकुंभ की भीड़ का असर बनारस में भी दिखाई देने लगा है। पिछले 10 दिनों में 52 लाख लोग बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचे। 8 फरवरी को सबसे ज्यादा भीड़ रही। पर्यटकों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर वाराणसी की सीमा पर ही बाहरी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। शहर में रूट डायवर्जन भी किया गया है इसके बावजूद रोजाना 8 से 10 लाख लोग वाराणसी पहुंच रहे हैं। बाबा के दर्शन के लिए भक्तों को 4 किमी लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। कुल मिलाकर इस महीने में अब तक 52 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। यह अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड है सावन और शिवरात्रि पर भी इतनी भीड़ नजर नहीं आती है। मंदिर के पीआरओ गजेंद्र ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में महाकुंभ के पलट प्रवाह के कारण दर्शनार्थियों की संख्या में वृद्धि हुई है। दर्शनार्थियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए मंदिर प्रशासन ने श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशेष व्यवस्था की है। मंदिर परिसर में अतिरिक्त कार्मिकों की तैनाती, स्वास्थ्य सुविधाएं और स्वच्छता व्यवस्था के लिए अतिरिक्त प्रबंध किए गए हैं। दर्शनार्थियों की सुगमता के लिए विशेष लाइन की व्यवस्था भी की गई है। जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत के बाद 14 जनवरी से बनारस में भी भीड़ बढ़ गई। हर दिन 8 से 10 लाख लोग बनारस में बाबा के दर्शन करने और गंगा में स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं। इसके अलावा काफी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या भी जा रहे हैं। पर्यटकों के आने के कारण रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ नजर आ रही है। बस स्टेशन पर भी भीड़ है। शहर की सीमाओं पर भी वाहनों की कतारें लगी रहती हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन की ओर से सीमा पर बाहरी वाहनों को प्रतिबंधित कर पार्किंग की सुविधा दी है। शहर में रूट डायवर्जन लागू है। मंदिर वाले इलाके को नो व्हीकल जोन में तब्दील किया गया है। इस बार कुंभ के चलते और भी अधिक भीड़ थी। काशी वासियों ने हालांकि संयम का परिचय दिया। इस बार भीड़ 10 लाख से ऊपर थी जो आम तौर पर तीन-चार लाख ही होती थी। इस बार लोकल लोगों ने बाहर के लोगों को वरीयता देते हुए अपने स्नान की व्यवस्था कहीं और की है। बाहर से आए श्रद्धालुओं की ही भीड़ यहां ज्यादा रही और लोकल लोगों ने उनकी व्यवस्था के लिए अच्छी तैयारियां की।
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