धर्मक्षेत्र
13 साल बाद 26 फरवरी को बनेगा शुभ संयोग, पूजा से मिलेगा लाभ
13 साल बाद 26 फरवरी को बनेगा शुभ संयोग, पूजा से मिलेगा लाभ
सीएन, उज्जैन। हिंदू पंचांग के अनुसार, एक साल में 12 महीने होते हैं। इनमें से 12वें यानी अंतिम महीने का नाम फाल्गुन है। इस महीने में भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार फाल्गुन मास में सूर्य पूजा का एक शुभ योग कई सालों के बाद बन रहा है। इस शुभ योग में की गई सूर्य पूजा सुख-समृद्धि देने वाली रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार 26 फरवरी, रविवार को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि रहेगी। रविवार को सप्तमी तिथि होने से ये भानु सप्तमी कहलाएगी। सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्यदेव हैं और रविवार भी सूर्य पूजा के लिए शुभ माना गया है। जब भी रविवार को सप्तमी तिथि का संयोग बनता है तो इसे भानु सप्तमी कहते हैं, इस बार ये संयोग 26 फरवरी को बनेगा। वैसे तो साल में 2-3 बार भानु सप्तमी का योग बन ही जाता है, लेकिन फाल्गु मास में ये योग 13 साल बाद बना है। इसके पहले फाल्गुन मास में भानु सप्तमी का योग 21 फरवरी 2010 को बना था और अब ऐसा संयोग 14 साल बाद यानी 22 फरवरी 2037 को बनेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास में भानु सप्तमी के शुभ संयोग में की गई सूर्य पूजा हर तरह से सुख-समृद्धि देने वाली मानी गई है। 26 फरवरी को भानु सप्तमी पर इंद्र नाम का शुभ योग सुबह सूर्योदय से लेकर शाम 04:26 तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर त्रिपुष्कर नाम का एक अन्य शुभ योग भी बनेगा। त्रिपुष्कर योग में की गई पूजा का तीन गुना फल प्राप्त होता है, ऐसा ज्योतिष शास्त्र में लिखा है। इस दिन गुरु स्वराशि में और शुक्र अपनी उच्च राशि में रहेंगे, जिससे इस भानु सप्तमी का महत्व और भी बढ़ गया है। भानु सप्तमी पर स्नान-दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें और इस दौरान सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। स्नान आदि करने के बाद जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, बर्तन आदि चीजों का दान करें। इतना अधिक न कर पाएं तो किसी एक ब्राह्मण को अपनी इच्छा अनुसार दान-दक्षिणा भी दे सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थान पर हो, उसे इस दिन ये उपाय जरूर करना चाहिए।
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