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गुरु पूर्णिमा : भगवान कृष्ण को गुरु दक्षिणा देने के लिए करना पड़ा यमराज से युद्ध

गुरु पूर्णिमा : भगवान कृष्ण को गुरु दक्षिणा देने के लिए करना पड़ा यमराज से युद्ध
सीएन, उज्जैन।
भगवान कृष्ण ने शिक्षा पूरी करने के बाद उनसे गुरु दक्षिणा के लिए कहा। इसके बाद गुरु की पत्नी ने ऐसा मांगा कि उनको यमराज से युद्ध लड़ना पड़ा। गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। गुरु को गुरु दक्षिणा देने की परंपरा सदियों से चली आ रही। जिसे भगवान कृष्ण से लेकर एकलव्य तक ने निभाया है। भगवान कृष्ण के गुरु संदीपनी थे।  संदीपनी बहुत तेजस्वी और सिद्ध ऋषि थे। संदीपनी का अर्थ होते हैं देवताओं के ऋषि। संदपीनी ऋषि ने उज्जैन में घोर तपस्या की थी साथ ही यहां उन्होंने वेद पुराण, न्याय शास्त्र, राजनीति शास्त्र, धर्म ग्रंथ आदि की शिक्षा के लिए आश्रम का निर्माण किया था। उनके गुरुकुल में दूर.दूर से लोग शिक्षा लेने के लिए आते थे। महर्षि संदीपनी के गुरुकुल  में भगवान श्रीकृष्ण, सुदामा और बलराम ने  शिक्षा ग्रहण की थी। भगवान कृष्ण ने यहां 64 दिनों में ही अपनी शिक्षा पूर्ण कर ली थी। श्रीकृष्ण ने 18 दिनों में 18 पुराण, 4 दिन में चारों वेद, 16 दिनों में सभी 16 कलाएं और महज 20 दिन में गीता का ज्ञान हासिल कर लिया था। महर्षि संदीपनी ने कहा आपकी शिक्षा पूर्ण होती है। भगवान कृष्ण ने भी जब अपनी शिक्षा पूर्ण होने के बाद गुरु संदीपनी से पूछा कि गुरु दक्षिणा में आपको क्या दूं तो गुरु संदीपनी ने ऐसा करने से उन्हें मना कर दिया। भगवान ने इस परंपरा को पूरा करने की जिद की। भगवान कृष्ण की जिद पर गुरु संदीपनी की पत्नी ने कहा कि उनके पुत्र की अकाल मृत्यु हो गई और उन्होंने अपने पुत्र का जीवनदान गुरु दक्षिणा में मांगा। जिसके बाद भगवान सागर किनारे पहुंचे। महर्षि ने समुद्र में अपने पुत्र को खोया था।  महर्षि की  पत्नी की बात सुन कृष्ण सागर में पहुंचे। इसके बाद भगवान कृष्ण सीधे उस समुद्र के किनारे पहुंचे जहां महर्षि संदिपनी का पुत्र खोया था। भगवान ने समुद्र से आह्वान किया कि गुरु संदपिनी का पुत्र लौटे दें। इसपर समुद्र ने बताया कि भगवन मेरे गर्भ में एक दैत्य रहता है जिसका नाम पांचजन्य हैं। उसी ने गुरु संदीपनी के पुत्र को निगल लिया है। इतना कहते ही भगवान तुरंत समुद्र में चले गए और उन्होंने पांचजन्य नाम के राक्षस को मार दिया। इसके बाद भी भगवान कृष्ण को गुरु संदीपनी के पुत्र नहीं मिले। इसके बाद भगवान कृष्ण यमपुरी पहुंचे। वहां उन्होंने यमराज से गुरु पुत्र का वापस करने की मांग की। यमराज भगवान कृष्ण को पहचान नहीं पाए और उनके साथ युद्ध करने लगे। इस दौरान जैसे ही उन्हें समझ आया कि ये भगवान कृष्ण है तो उन्होंने गुरु पुत्र को लौटा दिया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने गुरु माता को उनका खोया हुआ पुत्र लौटा दिया और ऐसे भगवान कृष्ण ने अपनी गुरु दक्षिणा पूरी की।

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