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अल्मोड़ा के ताकुला की सतराली के 7 गांवों की होली बागेश्वर के बागनाथ मंदिर से होती आई है

अल्मोड़ा के ताकुला की सतराली के 7 गांवों की होली बागेश्वर के बागनाथ मंदिर से होती आई है
सीएन, बागेश्वर।
उत्तराखंड के बागेश्वर में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। जिले में कई पौराणिक परंपराओं के अनुसार होली मनाई जाती है। ठीक इसी प्रकार यहां सतराली होली मनाई जाती है, जो अल्मोड़ा के ताकुला क्षेत्र से बागेश्वर आती है। परंपरा के अनुसार होली की शुरुआत बागनाथ मंदिर से होती है। मंदिर में पहुंचकर होल्यार बागनाथ मंदिर की परिक्रमा करते हैं। मंदिर परिसर में पहले से ही होल्यारों के लिए धुनी जलाई जाती है। जल रही धुनी की पूजा होती है। तब जाकर होली गायन शुरू किया जाता है। इस दौरान खड़ी होली का गायन किया जाता है। होल्यार होली गीतों गाते हुए समां बांधते हैं। सतराली की होली साल पहले पैदल बागेश्वर आया करती थी। इसमें 7 गांवों के सभी जाति-उपवर्ग के लोग शामिल होते हैं। होली महाशिवरात्रि की शाम को आती है। अगले दिन सुबह गांव के लिए वापस लौट जाती है। होली की शुरुआत बागनाथ मंदिर से होती है। भगवान शिव का आशीर्वाद लेकर होली की शुरुआत की जाती है। यहां से निकलकर होली क्षेत्र के स्थानीय मंदिर और घरों में गायन के लिए जाती है। साल 2017 से पहले 45 वर्षों तक होली बागनाथ मंदिर नहीं आई क्योंकि गांवों में होली गायन के लिए लोग नहीं थे लेकिन साल 2017 में प्रवासियों और स्थानीय बुजुर्गों के प्रयास से इसके फिर से बागेश्वर आने की परंपरा को जीवित किया गया। तब से बागेश्वर के लोगों को भी सतराली होली का बेसब्री से इंतजार रहता है। सतराली होली बागनाथ मंदिर में आकर भगवान शिव को समर्पित की जाती है। आगे उन्हीं के आशीर्वाद से होली मनाई जाती है। इस दौरान मंदिर में करीब तीन घंटे तक होली गायन किया जाता है। सतराली के 7 गांवों के लोग हर साल बाबा बागनाथ के धाम से होली गायन की शुरूआत करने आते हैं। सतराली के 7 गांवों में थापला, पनेरगांव, लोहाना, खाड़ी, झाड़कोट, कोतवाल गांव और कांडे गांव के लोग ढोल-मंजीरा और अन्य कुमाऊनी वाद्य यंत्रों के साथ नाचते.गाते हुए मंदिर आते हैं यहां होली से जुड़े बेहतरीन गीतों का गायन करते हैं सतराली क्षेत्र में बागनाथ धाम से होली की शुरुआत होती है। यहां के बाद सभी क्षेत्र के मंदिरों में होली गायन कर सकते हैं। एकादशी के पहले से ही गांवों में खड़ी होली का जबरदस्त माहौल बना रहता है। बागनाथ मंदिर में होली गायन के बाद होल्यार गांवों में घर.घर जाकर होली गायन करते हैं।

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