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कैलास मानसरोवर यात्रा: पांच साल बाद 30 जून से फिर शुरू होगी यात्रा, 250 यात्री ही जा पाएंगे मानसरोवर

कैलास मानसरोवर यात्रा: पांच साल बाद 30 जून से फिर शुरू होगी यात्रा, 250 यात्री ही जा पाएंगे मानसरोवर
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
सबसे पवित्र व कठिन मानी जाने वाली चीन स्थित तिब्बत की कैलास मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद 30 जून से फिर शुरू होगी। यात्रा में इस बार सिर्फ 250 यात्री ही जा पायेंगे। मानसरोवर हर वर्ष 30 जून से होने वाली सबसे लम्बी दूरी की धार्मिक कैलास मानसरोवर यात्रा की तैयारी दिल्ली व नैनीताल में तेज हो गई है। मालूम हो कि कोरोना काल में यह यात्रा बंद कर दी गई थी। बीते दिनों दिल्ली में चीनी व भारतीय अधिकारियों की बैठक में इस बार 30 जून से यात्रा प्रारंभ करने की सहमति बनी। इससे पूर्व कुमाऊं के लिपूलेख दर्रे के लिए 1080 व सिक्किम के नाथूला दर्रे से 400 यात्रियों को कैलास मानसरोवर यात्रा के लिए भेजे जाते थे लेकिन इस बार केवल 250 यात्रियों को भेजे जाने की सहमति बनी है। इस बार यात्रा रूट टनकपुर से धारचूला होगा। वापसी अल्मोड़ा व चैकोड़ी से होगी। पूर्व में यात्रा का रूट काठगोदा-अल्मोड़ा-धारचूला था जो अब खत्म कर दिया गया है। 2019 में कुल 12646 यात्रियों को यात्रा पर भेजा गया था। इन यात्रियों का यात्रा से पूर्व दिल्ली में स्वास्थ्य परीक्षण किया जायेगा। इधर यात्रा का संचालन करने वाले कुमाऊं मंडल विकास निगम ने यात्रा पूर्व मार्ग व पड़ावों की व्यवस्थाओं को देखने के लिए भेजा गया पांच सदस्यीय रैकी दल वापस आ गया है। निगम के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस रैकी दल में इंजीनियरों के अलावा तकनीकी कर्मचारी भी शामिल थेे। रैकी दल की संस्तुति के अनुसार इस बार यात्रा पड़ावों में यात्रियों को अधिक सुविधा देने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
मानसरोवर झील कैलास का अविभाज्य अंग
अनंतकाल से कैलास पर्वत भगवान शिव के निवास स्थान, राजसी सुंदरता और मानसरोवर झील के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मानसरोवर झील कैलास का अविभाज्य अंग है। मानसरोवर तिब्बत चीन युद्ध में स्थित एक स्वच्छ जल की विशाल झील है। यह स्थान न केवल हिंदुओं अपितु जैन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। प्रतिवर्ष विश्व भर से लाखों पर्यटक एवं तीर्थयात्री इस स्थान की सुंदरता और पवित्रता का अनुभव करने के लिए यहाँ आते हैं। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के अनुसार भगवान शिव का आवास कैलास पर्वत में है। कैलास शब्द के दो अर्थ हैं, पहला वह स्थान जहाँ केवल और केवल उल्लास है, उत्सव है। दूसरा अर्थ है श्मशान वह जगह जहाँ शून्यता निवास करती है। दिव्यता शून्यता और उल्लास दोनों में निवास करती है। हमारे भीतर शून्यता भी है और उत्सव भी।
मानसरोवर के आसपास पर्यटन स्थल
हालांकि कैलास मानसरोवर की यात्रा अपने आप में दिमाग को ताजा करने वाली और एक साहसिक यात्रा है। लेकिन हम आपके के लिए यहाँ कुछ विशेष तथ्य ताकि आप की यात्रा में आप किसी चीज का आनंद लेना भूल न जाएँ।
गौरी कुंड : यहाँ एक और पर्यटन स्थल है जिसका नाम है गौरी कुंड। इसको पार्वती सरोवर के रूप में भी जाना जाता है। इसी के इर्द गिर्द कई रहस्यमयी कहानियाँ बुनी गई हैं। ऐसा माना जाता है कि यह झील देवी पार्वती का स्नान स्थल रहा है और यही वह स्थल है जहाँ देवी पार्वती ने भगवान गणेश को अपने मैल से आकार दिया था। इस झील को दया की झील भी कहा जाता है।
राक्षस ताल: राक्षस ताल को रावण झील या दानवों की झील भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि यह रावण का निवास स्थान है और इसलिए इसका नाम राक्षस ताल है। यह झील मानसरोवर के पास स्थित है और इसे तिब्बत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील के रूप में जाना जाता है। इस झील पर डोला तोप्सेर्मा लाचातो और दोसरबा जैसे चार द्वीप शामिल है। इस झील के पास रहने वाले लोग इस ताल में स्नान नहीं करते हैं क्योंकि इस झील का पानी बहुत नमकीन और जहरीला होता है।
कैलास परिक्रमा : कैलास पर्वत को भगवान शिव और देवी पार्वती के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार पर्वत की परिक्रमा करने से अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस परिधि की यात्रा 3 दिन और 53 किमी की है। यह यात्रा बहुत साहसिक है और यहाँ मौसम के उतार चढ़ाव के कारण आपको ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

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