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सावन का तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त आज, पति-पत्नी के बीच झगड़े हो जाएंगे खत्म

सावन का तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त आज, पति-पत्नी के बीच झगड़े हो जाएंगे खत्म
सीएन, प्रयागराज।
सावन मास में अनेक व्रत और त्योहार पड़ते हैं। इस महीने भगवान शिव से जुड़े भी कई व्रत रखे जाते हैं, जिनमें से एक है प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत का दिन भगवान शंकर को समर्पित है। सावन में ये व्रत पड़ने के कारण इस प्रदोष व्रत की महिमा और बढ़ जाती है. ये दिन शिव पूजन के लिए बहुत खास होता है। पंचांग के अनुसार, अधिकमास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाना है। सावन का तीसरा प्रदोष व्रत 13 अगस्त के दिन रखा जाएगा। पति-पत्नी के बीच रिलेशन ठीक नहीं चल रहा है आए दिन झगड़े होते हैं तो आपको करना है कि प्रदोष व्रत के दिन 21 लाल गुलाब लें और चंदन का इत्र लगाएं। शाम के समय पति-पत्नि मिलकर एक-एक फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं। फूल चढ़ाते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है। आपके शादीशुदा जीवन में बहुत तनाव बढ़ गया है या फिर पति-पत्नी के बीच हमेशा झगड़े होते हैं तो प्रदोष व्रत के दिन शाम को शंकर भगवान को गुलाब की पत्तियों का रस अर्पित करें। इसके बाद इसे देवी पार्वती के चरणों में चढ़ाएं. जब पूजा खत्म हो जाए तो  पति-पत्नी इस रस को अपनी आंखों पर लगाएं। शास्त्रों में बताया गया है कि ऐसा करने से आपका दांपत्य जीवन सुखी हो जाएगा। दांपत्य जीवन में अच्छे रिश्ते और प्यार के लिए प्रदोष व्रत के दिन पति-पत्नी को गुड़ का शिवलिंग बनाकर इसका रुद्राभिषेक करना चाहिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो आपको जल्द ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। अगर शादी-विवाह नहीं हो रहा है, अड़चनें आ रही हैं तो  प्रदोष व्रत के दिन गंगाजल युक्त पानी से नहाएं। फिर इसके बाद, सफेद वस्त्र पहनें। फिर सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें। शिव जी की पूजा करें. शिवजी की पूजा के समय ‘ॐ नमः शिवाय ‘ मंत्र का जाप करते रहें। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की संयुक्त रूप में पूजा करने से भी शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। घर में सुख-शांति का अभाव या परिवार में कलह रहने लगी है तो प्रदोष व्रत के दिन गंगाजल में एक बेलपत्र डालें और शिवलिंग पर चढ़ा दें। शिव की जल धारा से थोड़ा सा जल ले लें और इसे घर के हर कोने में छिड़क दें। ऐसा करने से घर में बुरी शक्तियों का नाश होता है।
सावन सोम प्रदोष व्रत 2023 कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी. उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी आजीविका का कोई साधन नहीं था. ऐसे में वो प्रतिदिन सुबह होते ही अपने बेटे के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी. इसी तरह वो अपना और बेटे का पालन पोषण करती थी. एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसने देखा एक लड़का घायल अवस्था में दर्द से कराह रहा था. ब्राह्मणी को दया आ गई और वो उसे साथ घर ले आई. वो लड़का विदर्भ का राजकुमार था. दूसरे राज्य के सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था और उसके पिता को बंदी बना लिया था. राजकुमार, ब्राह्मणी के घर रहने लगा. एक दिन अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई. अगले दिन अंशुमति ने अपने माता-पिता से राजकुमार के साथ शादी की इच्छा जाहिर की. शंकर भगवान ने अंशुमति के पिता को स्वप्न में आदेश दिया कि वो अपनी बेटी का ब्याह राजकुमार के साथ कर दे, उन्होंने वैसा ही किया. ब्राह्मणी हर माह प्रदोष व्रत करती थी. इस व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और दोबारा पिता के साथ खुशहाल जीवन जीने लगा. राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बना लिया. मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से उसके पुत्र और राजकुमार का भला हुआ वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों का भाग्योदय भी करते हैं.

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