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धर्मक्षेत्र

भगवान राम के व्रत एवं पूजा का पुण्य फल पाने के लिए रामनवमी का दिन विशेष

सीएन, नैनीताल। चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्री राम के जन्म के अवसर पर रामनवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन श्री राम की विशेष आराधना की जाती है। भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में रामनवमी पर व्रत और पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति विधि.विधान से भगवान राम की पूजा, जप और व्रत करता है, उसे जीवन से जुड़े सभी सुख प्राप्त होते हैं। इस साल रामनवमी का त्योहार 17 अप्रैल को मनाया जाएगा। रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा पाठ करने के बाद सूर्यदेव को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें। रामनवमी के दिन भगवान राम की मूर्ति के समक्ष श्रीरामचरितमानस की पूजा करें और उसका पाठ  करें। भगवान राम को पूजा के दौरान पीले वस्त्र, पीले पुष्प और पीला चंदन अर्पित करें। भगवान राम की पूजा बगैर तुलसी दल के अधूरी मानी जाती है ऐसे में रामनवमी की पूजा करते समय भगवान राम को भोग के साथ तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं। हिंदू मान्यता के अनुसार बुध कौशिक ऋषि द्वारा रचित श्री राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी समस्या पलक झपकते दूर हो जाती हैं। भगवान राम की पूजा हमेशा साफ.सुथरे वस्त्र पहनकर पवित्र मन से करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान राम की पूजा करते समय बासी या फिर मुरझाए फूल या प्रसाद को नहीं चढ़ाना चाहिए। पूजा करते समय यदि दीया बुझ जाए तो उसे दोबारा से न जलाकर नया दीया लगाएं। रामनवमी के दिन तामसिक चीजों यानी प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा आदि का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए। रामनवमी का व्रत रखने वाले साधक को भूलकर भी किसी के प्रति बुरी भावना नहीं लाना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत को पूरा करना चाहिए। रामनवमी के दिन भूलकर भी किसी के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए और न ही किसी का अपमान करना चाहिए। यदि मंदिर जाना संभव न हो तो आप अपने घर में भी पूजा कर सकते है। घर में पूजा के लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी लें। उसपर लाल रंग का एक कपड़ा बिछाएं। इसके बाद राम परिवार जिसमें भगवान राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और हनुमान जी हो ऐसी मूर्ति गंगाजल से शुद्ध करके स्थापित करें। इसके बाद सभी को चंदन या रोली से तिलक करें। फिर उन्हें अक्षत, फूल, आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद घी का दीपक जलाकर राम रक्षा स्त्रोत, श्री राम चालीसा और रामायण की चौपाइयों का पाठ करें। आप चाहें तो इस दिन सुंदर कांड के पाठ या हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।

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