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आज 11 अप्रैल को मनाया जाएगा ईद-उल-फितर का त्योहार: ईद-उल-फितर का त्योहार मनाने की कहानी
आज 11 अप्रैल को मनाया जाएगा ईद-उल-फितर का त्योहार: ईद-उल-फितर का त्योहार मनाने की कहानी
सीएन, नैनीताल। भारत में ईद-उल-फितर का त्योहार गुरुवार यानी 11 अप्रैल को मनाया जाएगा। ये त्योहार रमजान के बाद आने वाले दसवें महीने यानी शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। जैसे ही रमजान का पवित्र महीना खत्म होता है, दुनिया भर के लाखों मुसलमान ईद-उल-फितर के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं।
ईद-उल-फितर का त्योहार मनाने की कहानी
इस त्योहार को पहली बार 02 हिजरी यानी 624 ईस्वी में मनाई गया था। कहा जाता है कि इस उत्सव की शुरुआत मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में हुई थी। उस वक्त पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस्लामी इतिहास के अनुसार इसी महीने में मुसलमानों ने पहला युद्ध लड़ा था जो सऊदी अरब के मदीना प्रांत के बद्र शहर में हुआ था। इसलिए इस युद्ध को जंग-ए-बद्र भी कहा जाता है। इस युद्ध में उनके जीत की खुशी में मीठा खिलाकर सबका मुंह मीठा करवाया गया था तब से ही इस दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रुप में मनाया जाता है। बद्र की लड़ाई इस्लाम की पहली जंग थी। वहीं ईद को मनाने की दूसरी बड़ी वजह भी है और वह रमजान के पूरे महीने में रखे जाने वाले रोजा। एक महीने तक रोजा रखने और अल्लाह की इबादत पूरी होने की खुशी में भी ईद मनाई जाती है। कुरआन के अनुसार ईद को अल्लाह ओर से मिलने वाला इनाम का दिन माना जाता हे। इस दिन मुसलमान पूरे एक महीने के रोजे के बाद दिन के उजाले में पकवान खाते हैं और खुशियां मनाते हैं। ईद-उल-फित्र ये त्योहार सबके साथ खुशियां मनाने का पैगाम देता है। इस दिन अमीर गरीब का फासला रखे बिना सभी मुसलमान एक साथ नमाज अदा करते हैं और एक दूसरे की खुशियों में शामिल भी होते हैं। ईद-उल-फितर में फितर का मतलब होता है धर्मार्थ उपहार। इस्लाम में फितर यानि चैरिटी देना ईद का सबसे अहम पहलू है। इस दिन नमाज से पहले सभी संपन्न मुसलमान को गरीबों को फितर देना जरूरी है जिससे वह भी अपनी ईद मना सके और खुशियों में शामिल हो सकें। इस दिन की शुरुआत सुबह की पहली प्रार्थना के साथ की जाती है जिसे सलात अल-फज़्र भी कहा जाता है। इसके बाद नए कपड़ों में सजकर लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मुंह मीठा करते हैं। जहां पूरा समुदाय एक साथ ईद की नमाज अदा करता है। नमाज अदा करने के बाद एक दूसरे को ईद की बधाईयां दी जाती है। इस साल इस्लाम का सबसे पवित्र महीना रमजान 12 मार्च से शुरू हो गया था। इस्लामी कैलेंडर के नौंवे महीने को रमजान का महीना कहा जाता है। रमजान के दौरान मुसलमान रोजा रखकर रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं। रोजा रखना इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। मुसलमानों को इन पांच सिद्धांतों का पालन करना बेहद जरूरी है। इन पांच सिद्धांतों में नमाज दान आस्था हज और रोजा शामिल है। दुनियाभर के मुसलमान प्रमुख रूप से दो त्योहार मनाते हैं। इनमें से पहला त्योहार है ईद उल फितर और दूसरा है ईद उल अजहा। इन दोनों त्योहारों में फर्क इतना है कि ईद-उल-फितर या मीठी ईद रमजान के बाद आने वाला त्योहार है जबकि ईद उल अजहा कुर्बानी से जुड़ा हुआ त्योहार है जिसे बकरीद भी कहते हैं। बकरीद को इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जुल-हिज्जा की 10 तारीख को मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग पैगंबर इब्राहीम की परंपरा का पालन करते हुए दुम्बे की कुर्बानी देते हैं। बकरीद मीठी ईद के दो महीने 10 दिन बाद आता है और इस त्योहार के महीने में ही दुनियाभर के मुसलमान मक्का शहर जाकर हज करते हैं।