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आज मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा का त्‍योहार और शुरू होगा हिंदू नव वर्ष

आज मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा का त्‍योहार और शुरू होगा हिंदू नव वर्ष
सीएन, मुंबई।
हर साल चैत्र मास की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। इसी दिन महाराष्‍ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व भी मनाया जाता है और हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू है। गुड़ी पड़वा को लेकर यह मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड बनाया था। इस दिन मराठी लोग गुड़ी बनाते हैं। गुड़ी बनाने के लिए एक खंबे में उल्टा पीतल का बर्तन रखा जाता है, इसे गहरे रंग की रेशम की लाल, पीली या केसरिया कपड़े और फूलों की माला और अशोक के पत्तों से सजाया जाता है। गुड़ी को ब्रह्मध्वज भी कहा जाता है। इस पर्व को लोग धूमधाम से मनाते हैं। गुड़ी पड़वा मनाने से जुड़ी एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है और इसके अनुसार, त्रेता युग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन हुआ करता था। जब भगवान राम माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए लंका की ओर जा रहे थे। उस समय दक्षिण में उनकी मुलाकात बालि के भाई सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने भगवान राम को अपने भाई बालि के कुशासन और आतंक के बारे में बताया और उनकी मदद मांगी। जिसके बाद भगवान राम ने बालि का वध कर उसके आतंक से सुग्रीव और प्रजा को मुक्त कराया। मान्यता है कि जिस दिन भगवान राम ने बालि का वध किया था, उस दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा थी. इसलिए हर साल इस दिन को दक्षिण में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है और विजय पताका फहराई जाती है। इसके अलावा एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन ही पराजित किया था। इस जीत के बाद उनकी सेना ने पताका यानि ध्वज लहराया था। तभी से इस दिन को गुड़ी पड़वा के तौर पर मनाया जा रहा है।साथ ही यह भी कहा जाता है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन ही भगवान ब्रह्म देव ने सृष्टि का निर्माण किया था. इसलिए इस दिन ब्रह्म देव की पूजा का विशेष महत्व है। गुड़ी पड़वा के दिन से ही चैत्र नवरात्रि शुरू होती है और हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी गुड़ी पड़वा के दिन से ही मानी जाती है।

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