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धर्मक्षेत्र

भारत में आज 02 मार्च से रमजान का पवित्र महीना आरंभ, 28 फरवरी को चांद नजर नहीं आया

सीएन, नईदिल्ली। इस्लाम धर्म मे रमजान का महीना बहुत ही पाक महीना माना जाता है. पूरे महीने रोजे रखे जाते हैं और खुदा की इबादत की जाती है. चांद दिखने के साथ ही रमजान का महीना शुरू हो जाता है. रमजान में हर दिन सहरी और इफ्तार का विशेष महत्व होता है. भारत में 02 मार्च से रमजान का पवित्र महीना आरंभ हो रहा है, इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बहुत ही पवित्र और खास माना जाता, रमजान के पूरे महीने में मुस्लिम धर्म के लोग खुदा की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं.इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान साल का नौवां महीना होता है, रमजान के पूरे महीने के दिनों में लोग हर दिन रोजा रखते हैं और इस्लामी कलेंडर के दसवें महीने शव्वाल का चांद दिखाई देने पर शव्वाल की एक तारीख को खुदा का शुक्रिया करते हुए ईद-उल-फितर का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. लोग सुबह सुबह नए नए कपड़े पहन कर खुशबू लगा कर ईदगाह में ईद की नमाज़ पढ़ने जाते हैं और ईद की नमाज़ के बाद एक दूसरे को गले लगा कर मुबारकबाद देते हैं. इस वर्ष देश में 28 फरवरी को चांद नजर नहीं आया था, ऐसे में इस्लाम के जानकारों और धर्मगुरुओं के मुताबिक 28 फरवरी शाबान 1446 हिजरी को रमजान का चांद दिखाई न देने के कारण रमजान का पहला दिन 02 मार्च 2025 को होगा और पहला रोजा इस दिन रखा जाएगा, आपको बता दें कि शब-ए-बारात के 14वें दिन रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है. इस्लाम धर्म के अनुसार भारत में रमजान का महीना किस दिन से शुरू होगा यह चांद दिखाई देने के बाद ही तय होता है आम तौर पर जिस दिन सऊदी अरब के मक्का मदीना में चांद दिखाई देता है उसके अगले दिन भारत में चांद दिखाई देता है भारत और सऊदी अरब में चांद की तारीखों में एक दिन का अंतर आम तौर पर रहता है लेकिन कभी कभी दोनो जगह एक साथ भी चांद दिखाई दे जाता है. जिस जगह चांद जिस दिन दिखाई देता है वहां रमजान का पवित्र महीना उसी दिन से शुरू हो जाता है. रमजान के महीने में इबादत का विशेष महत्व है. रमजान के दौरान रोजे रखने के साथ पांचों वक्त की नमाज और तरावीह की विशेष नमाज का महत्व है.  रमजान का पाक महीना रोजा रखने के साथ साथ आत्मसंयम, इबादत और जरूरतमंदों की मदद और सेवा करने का बेहतरीन मौका देता है. रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा जरूर रखते हैं, रोजा रखने के लिए मुस्लिम धर्म के अनुयायी हर दिन सुबह सूर्योदय से पहले सहरी करते हैं, यानी सूर्योदय से पहले कुछ खाते हैं, फिर पूरे दिन कुछ भी नहीं खाते पीते हैं और शाम को सूर्यास्त को इफ्तार करते हुए रोजा खोलते हैं, इस तरह से पूरे दिन रोजेदार बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं.  रमजान के पूरे एक माह को 30 रोजे में बांटा जाता है और इसके तीन प्रमुख हिस्से होते हैं.पहले अशरा 10 दिन, दूसरा अशरा 10 दिन और तीसरा अशरा 10 दिन, पहला अशरा 10 दिन ‘रहमत’ का, दूसरा अशरा 10 दिन ‘बरकत’ का और तीसरा अशरा 10 दिन ‘मगफिरत’ का होता है, रमज़ान के आखरी अशरे में कुछ लोग मस्जिदों में ठहर कर दिन रात ख़ुदा की इबादत करते हैं और कोई दूसरी बात नहीं करते दिन रात मस्जिद में ही रह कर इबादत करते हैं इसे एतिकाफ कहते हैं. इस महीने में मुसलमान बड़े स्तर पर दान करते है जिसे ज़कात कहा जाता है. कुरआन में सलात के बाद ज़कात ही का मक़ाम है. शरीयत में ज़कात उस माल को कहते हैं जिसे इंसान अल्लाह के दिए हुए माल में से उसके हकदारों के लिए निकालता है.जकात का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धिकरण’ होता है. इस्लाम धर्म को मानने वाला हर मुसलमान गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए भुगतान करता है. इस्लाम धर्म में सबसे ज्यादा जकात रमजान के पाक महीने में अदा की जाती है, इस्लाम में जकात एक प्रकार का दान होता है हर मुसलमान अपने माल का 40 वाँ हिस्सा दान में देता है इसके लिए इस्लाम मे कुछ नियम एंव शर्तों लागू हैं. इसके अलावा हर मुसलमान को ईद उल फितर की नमाज़ से पहले फितरा भी देना होता है. फितरा भी एक प्रकार का दान होता है. जिस तरह ज़कात की रकम दी जाती है उसी तरह फितरे की रकम भी गरीबों, विधवाओं और अनाथ बच्चों और सभी जरूरतमंदों को दी जाती है.

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