धर्मक्षेत्र
आज 14 नवंबर को है बैकुंठ चतुर्दशी : भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित दिन
आज 14 नवंबर को है बैकुंठ चतुर्दशी : भगवान भोलेनाथ की पूजा.अर्चना के लिए समर्पित दिन
सीएन, हरिद्वार। हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस साल 14 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाएगी। यह दिन विष्णु जी और भगवान भोलेनाथ की पूजा.अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बैकुंठ चतुर्दशी के दिन विष्णुजी और शिवजी की पूजा करने से साधक को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। अंत के समय में भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ में स्थान मिलता है और इस दिन दान-पुण्य के कार्यों से दस यज्ञों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 14 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगा। चतुर्दशी तिथि का समापन 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगा। हालांकि बैकुंठ चतुर्दशी में निशीथ काल की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में निशीथ काल में चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर को रहेगी जिस वजह से बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा 14 नवंबर गुरुवार के दिन ही की जाएगी। 14 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी के दिन निशिता काल की शुरुआत रात में 11 बजकर 39 मिनट पर होगी और मध्यरात्रि 12 बजकर 32 मिनट तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। इस अवधि में की गई पूजा का व्यक्ति को दोगुना फल प्राप्त होगा। बैकुंठ चतुर्दशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा पूजा स्थल में एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर भगवान शिव और भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद एक घी का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें। सबसे पहले भगवान विष्णु को एक कमल का फूल अर्पित करें और भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें फिर कम से कम 108 बार भगवान विष्णु के मंत्र ओम श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्। का जप करें। इसके बाद एक माला भगवान शिव के मंत्र का जप करें। ओम नमः शिवाय मंत्र का, फिर बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा का पाठ करें और अंत में दोनों भगवान की आरती करके। पूजा में भूल चूक की माफी मांग लें। वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत का भी विशेष महात्म्य है इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए शास्त्रों की मान्यता है कि जो एक हजार कमल पुष्पों से भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन कर शिव की पूजा अर्चना करते हैं वह भव-बंधनों से मुक्त होकर बैकुंठ धाम पाते हैं। मान्यता है कि कमल से पूजन करने पर भगवान को समग्र आनंद प्राप्त होता है तथा भक्त को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वैकुण्ठ चतुर्दशी को व्रत कर तारों की छांव में सरोवर, नदी इत्यादि के तट पर 14 दीपक जलाने चाहिए। बैकुण्ठाधिपते भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि विधान से भगवान श्री विष्णु पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा उन्हें तुलसी पत्ते अर्पित करते हुए भोग लगाना चाहिए।