धर्मक्षेत्र
आज 24 फरवरी को है गुरु रविदास जयंती : समाज की उन्नति के लिए दिए बड़े योगदान
.चौदह सौ तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास, दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास
सीएन, नैनीताल। समाज की उन्नति के लिए दिए योगदान के लिए संत कवि रविदास की आज 24 फरवरी को जयंती है। गुरु रविदास संत एक महान कवि होने के साथ.साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में समाज में फैली कई बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान भी दिए हैं जो सराहनीय हैं। रविदास जयंती के दिन संत रविदास जी की पूजा की जाती हैए शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं और भजन कीर्तन कर उनको याद किया जाता है। उन्हें संत रविदास गुरु रविदास रैदास और रोहिदास जैसे कई नामों से जाना जाता है। संत रविदास बेहद धार्मिक स्वभाव के थे। वे भक्तिकालीन संत और महान समाज सुधारक थे। उन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ.साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। संत रविदास जी ने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए। यही कारण है कि हर साल गुरु रविदास जयंती को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। 15 वीं शताब्दी में रविदास जी द्वारा लिखे गए दोहे आज भी लोगों को प्रेरणा देने का काम करते हैं। संत रविदास जी ने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। भक्ति और ज्ञान के लिए ही उनका जीवन समर्पित रहा है। ऐसे में उनके जन्मदिवस के अवसर पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। माना जाता है कि रविदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक मोची परिवार में हुआ। संत रविदास के जन्म को लेकर कई मत हैं। लेकिन उनके जन्म को लेकर एक दोहा प्रचलित है जो इस प्रकार है.चौदह सौ तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास, दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास। इस दोहे के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन संत रविदास का जन्म हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष इसी तिथि पर गुरु रविदास जयंती मनाई जाती है। ऐसे में 24 फरवरी 2024 को गुरु रविदास जी की 647 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। रविदास जी द्वारा 15 वीं शताब्दी में चलाया गया भक्ति आंदोलन उस समय का एक बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन साबित हुआ। इस आंदोलन ने समाज में कई बड़े बदलाव लाने का काम किया। उन्होंने अपने जीवन में कई गीत, दोहे और भजनों की रचना की जो मानव जाति को आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता और एकता का संदेश देने का काम करते हैं। इन्होंने समाज से जातिवाद, भेदभाव और सामाजिक असमानता के भाव को हटाकर भाईचारे और सहिष्णुता का भाव अपनाने के संदेश दिया। गुरु रविदास जी ने शिक्षा के विशेष जोर दिया। प्रसिद्ध संत मीराबाई भी रविदास जी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती थीं। सिर्फ हिंदू धर्म के ही नहीं, बल्कि सिख धर्म को मानने वाले लोग भी गुरु रविदास के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं। इस बात का पता इसी से लगाया जा सकता है कि रविदास जी की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ यानी गुरुग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है। संत रविदास जी अपना अधिकांश समय भगवान की पूजा में लगाते थे और धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए, उन्होंने एक संत का दर्जा प्राप्त किया। मन चंगा तो कठौती में गंगा रविदास जी का ये दोहा आज भी प्रसिद्ध है। रविदास जी का कहना था कि शुद्ध मन और निष्ठा के साथ किए काम का हमेशा अच्छा परिणाम मिलता है।