धर्मक्षेत्र
आज 11 मार्च को है भौम प्रदोष व्रत : शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व
आज 11 मार्च को है भौम प्रदोष व्रत : शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व
सीएन, हरिद्वार। प्रदोष तिथि भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है। इस दिन शिवजी की पूजा.अर्चना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और साधक की इच्छाएँ पूरी होती हैं। प्रदोष तिथि के दिन उपवास रखकर संध्याकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। मार्च महीने की पहली प्रदोष तिथि खास मानी जा रही है, क्योंकि यह इस वर्ष की अंतिम प्रदोष तिथि भी है। मार्च माह का पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा। इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है, जो विशेष रूप से मंगल ग्रह से जुड़े दोषों को दूर करने में सहायक माना जाता है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से जीवन में सुख.समृद्धि बढ़ती है। प्रदोष तिथि का समय दृक पंचांग के अनुसार यह तिथि 11 मार्च की सुबह 08रू13 बजे से शुरू होकर 12 मार्च की सुबह 09रू11 बजे तक रहेगी। हालांकि प्रदोष व्रत 11 मार्च को ही रखा जाएगा क्योंकि प्रदोष काल की पूजा का विशेष महत्व होता है।प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06.27 बजे से 08.53 बजे तक रहने वाला है। यह 02 घंटे 25 मिनट की अवधि प्रदोष समय होती इसलिए इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाता है। भौम प्रदोष व्रत सभी के लिए शुभ होता है, लेकिन यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी माना जाता है जिनके विवाह में बाधाएं आ रही हैं या जिनका रिश्ता बार.बार टूट जाता है। ऐसे जातकों को इस दिन उपवास रखकर संध्या के समय भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए और पंचोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और शिव.पार्वती की कृपा से इच्छाएं पूर्ण होती हैं। भौम प्रदोष व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें। अब पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ कर लें और इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसपर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित कर लें। इसके बाद शिव परिवार की पूजा करें और भगवान शिव को बेल, पत्र, फूल, धूप आदि अर्पित करें। साथ ही माता पार्वती को वस्त्र और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें।
