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धरती पर उतरने वाले पितरों को प्रसन्न करने को आज से है हलहारिणी अमावस्या

धरती पर उतरने वाले पितरों को प्रसन्न करने को आज से है हलहारिणी अमावस्या
सीएन, प्रयागराज।
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का स्नान दान के लिए बहुत ही अधिक महत्व होता है। हिंदू पंचांग के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन अमावस्या होती है। अब जून माह में आषाढ़ माह की अमावस्या मनाई जाएगी। आषाढ़ माह की अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या और हलहारिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अमावस्या का दिन पितरों के तर्पण के लिए बहुत ही खास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और ऐसे में यदि परिवार समेत पितरों का तर्पण किया जाए तो वह प्रसन्न होकर धरती से जाते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशियां बनी रहती हैं। आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि को लेकर लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है। आषाढ़ अमावस्या तिथि की शुरुआत 17 जून 2023 को सुबह 9ः13 से हो रही है। अमावस्या तिथि का समापन अगले दिन सुबह 18 जून को सुबह 10ः08 पर होगा। अमावस्या पर सूर्योदय से पूर्व स्नान किया जाता है ऐसे में अमावस्या 18 जून 2023 को मनाई जाएगी। अमावस्या के अगले दिन दर्श अमावस्या मनाई जाएगी।
आषाढ़ अमावस्या 2023 मुहूर्त
आषाढ़ी अमावस्या पर स्नान दान का शुभ मुहूर्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4ः03 से सुबह 4ः43 तक होगा। पूजा का अभिजीत मुहूर्त इस दिन सुबह 11ः54 से दोपहर को 12ः50 तक होगा।
आषाढ़ अमावस्या का महत्व
आषाढ़ माह के खत्म होने के बाद वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। आषाढ़ अमावस्या पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से बहुत जरुरी मानी जाती है। कहते हैं इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से दोगुना और चौगुना फल मिलता है।आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि का पितरों का तर्पण करने, स्नान-दान करने और जप-तप के लिए महत्व होता है। इस दिन गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप कट जाते हैं। अमावस्या तिथि पर तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये करें ये काम
धार्मिक शास्त्रों में पूर्णिमा की तरह की अमावस्या पर भी स्नान-दान को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए आषाढ़ अमावस्या के दिन जल्दी उठें और किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण जरूर करें। इसके अलावा यदि आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो आषाढ़ अमावस्या पर यज्ञ कराना चाहिए। इससे पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। 

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