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क्यों अरब सागर से उठे चक्रवात बिपरजॉय को माना जा रहा बेहद घातक, चक्रवातों की अवधि में 80 प्रतिशत की वृद्धि

क्यों अरब सागर से उठे चक्रवात बिपरजॉय को माना जा रहा बेहद घातक, चक्रवातों की अवधि में 80 प्रतिशत की वृद्धि
सीएन, नईदिल्ली।
लगभग 10 दिनों तक अरब सागर के ऊपर एक चक्रवात के रूप में मौजूद रहने के बाद, 6 जून को एक चक्रवाती तूफान में बदलने वाले ‘बिपरजॉय’ के दो से तीन दिनों में कच्छ तट से टकराने की उम्मीद है। यह इसे हाल के दशकों में भारत को प्रभावित करने वाले सबसे लंबे समय तक चलने वाले चक्रवातों में से एक बनाता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवाती तूफान तीव्र हो रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के कारण ये लंबे समय तक काफी सक्रिय बने रह सकते हैं। इसी स्टडी में यह भी पाया गया कि अरब सागर में चक्रवात लंबे समय तक बने रहे, जिससे अधिक गंभीर तूफानों के आने की संभावना बढ़ गई। पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा साल 2021 में किए गए एक अध्ययन ‘उत्तर हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बदलती स्थिति’ में कहा गया है कि पिछले चार दशकों में अरब सागर में चक्रवातों की अवधि में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि बहुत गंभीर चक्रवातों की अवधि में 260 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अध्ययन के लेखकों में से एक आईआईटीएम के रोक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, ‘चक्रवात की लंबी अवधि खुले समुद्र में मछली पकड़ने के दिनों की संख्या को प्रभावित करती है। इस तरह से मछली पकड़ना आमतौर पर मानसून के पूर्व और बाद के महीनों में होता है। इस अवधि के दौरान चक्रवातों की उच्च आवृत्ति और लंबी अवधि के कारण मछली पकड़ने के दिनों की संख्या कम हो जाती है, जिससे इनलोगों की आजीविका पर भी असर पड़ता है।’ अध्ययन के अनुसार अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की तीव्रता मानसून के बाद के मौसम में करीब 20 प्रतिशत और मानसून से पहले की अवधि में 40 प्रतिशत बढ़ी है। समुद्र के ऊपर एक चक्रवाती तूफान जितना अधिक समय तक रहता है, उतनी ही अधिक ऊर्जा और नमी जमा होने की संभावना होती है, जिससे तूफान के और अधिक गंभीर होने और उसके जमीन से टकराने के बाद विनाश होने की संभावना बढ़ जाती है। चक्रवाती तूफानों की संख्या में 52 प्रतिशत वृद्धि हुई है, वहीं बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान 150 प्रतिशत बढ़े हैं। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान में जलवायु विज्ञानी रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा, ‘अरब सागर में चक्रवाती गतिविधि बढ़ने का महासागरों के तापमान बढ़ने और वैश्विक तापमान वृद्धि के चलते नमी की बढ़ती उपलब्धता से गहरा संबंध है. अरब सागर ठंडा होता था, लेकिन अब यह गर्म है। केरल में इस चक्रवात की वजह से अगले 48 घंटे में मानसून की स्थिति बन सकती है. चक्रवात बिपरजॉय की वजह से यह कमजोर पड़ सकता है. इस तूफान की वजह से दक्षिण अरब सागर के ऊपर पछुआ हवाओं का प्रवाह बढ़ गया है। मध्य क्षोभमंडल स्तर तक पछुआ हवाओं की गहराई में वृद्धि देखने को मिल सकती है। दक्षिण पूर्व अरब सागर, लक्षद्वीप और केरल के तटों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। अगले 48 घंटों के दौरान केरल में मानसून की शुरुआत के लिए स्थितियां अनुकूल हो रही हैं।

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