आपदा
उत्तराखण्ड में फिर डोली धरती, महसूस हुए भूकंप के झटके, बाहर निकले लोग
उत्तराखण्ड में फिर डोली धरती, महसूस हुए भूकंप के झटके, बाहर निकले लोग
सीएन, रूद्रप्रयाग। गुरुवार सुबह रूद्रप्रयाग एवं चमोली जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह झटके काफी तेज थे। बताया जा रहा है कि रूद्रप्रयाग और चमोली जिले में गुरुवार सुबह दस बजे के आसपास भूकंप के ये झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल आए तो बाजार में दुकानों से भी लोगों के बाहर निकलने की जानकारी सामने आई है। अभी तक मिल रही जानकारी के मुताबिक राज्य के चमोली जिले में गुरुवार सुबह 9 बजकर 50 मिनट पर धरती भूकंप से झटकों से डोल उठी जबकि इसके करीब चार मिनट बाद 9 बजकर 54 मिनट पर रूद्रप्रयाग जिले में भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.3 मापी गई है, जबकि इसका केंद्र जमीन से 5 किमी नीचे जोशीमठ के पास बताया गया है। चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि भूकंप का केंद्र चीन सीमा क्षेत्र में हिंदु कुश की पहाड़ियों में था। जिले में इससे पूर्व बीते 24 नवंबरए आठ दिसंबर और 13 दिसंबर को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। एक माह में चार बार धरती डोलने से लोगों में दहशत है। कर्णप्रयाग में भी भूकंप का झटके ने लोगों की नींद उड़ा दी। रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ और अन्य स्थानों पर भूकंप का झटका महसूस होने पर लोग घरों से बाहर निकल आए। जिला आपदा कंट्रोल रूम से बताया गया कि जिले में कहीं भी किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं है।
हेलंग व चमोली कस्बे के आसपास से गुजरती है मैन बाउंड्री थ्रस्ट
भूकंप की दृष्टि से चमोली और रुद्रप्रयाग जिला जोन पांच में होने से अति संवेदनशील हैं। चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे हेलंग और चमोली कस्बे के आसपास से मैन बाउंड्री थ्रस्ट अर्थात भ्रंश रेखा गुजरती है, जिससे इस क्षेत्र में लगातार भूकंप आ रहे हैं। गढ़वाल हिमालय में लगातार हो रही भूगर्भीय हलचलें आने वाले समय में घातक हो सकती हैं। भूगर्भ में लगातार प्लेटें टकराने और खिसकने से पर्वतीय क्षेत्र में भूकंप आने की घटनाएं हो रही है। भारतीय प्लेट लगातार एशियाई प्लेट की तरफ खिसक रही है, ऐसे में धरती के अंदर हलचल पैदा हो रही है। हिमालयी क्षेत्र इन दोनों प्लेटों के बीच स्थित होने से भूगर्भीय दृष्टि से अति संवेदनशील है। भूगोलवेता का कहना है कि पृथ्वी के अंदर भूगर्भीय हलचलों के कारण ऊर्जा संचित होती है, जिसका समय.समय पर बाहर निकलना जरूरी है। हिमालयी क्षेत्र में आने वाले कम तीव्रता के भूकंप हानिकारक नहीं हैं।