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आपदा

उत्तराखंड : धराली में बचाव व राहत कार्य जारी, अब तक 130 लोगों को बचाया, सीएम धामी पहुंचे

सीएन, उत्तरकाशी। सीमांत जनपद उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा आई है। यहां धराली गांव में बादल फटने से भारी तबाही मच गई है। यहां दर्जनों घर बह गए। स्थानीय प्रशासन द्वारा रेस्क्यू जरी रखा है। अब तक 130 लोगों को रेस्कयू किया गया है। 50 से अधिक लोग अभी भी लापता हैंः आधा दर्जन लोगों की मौत होने की संभावना जताई जा रही है। इधर सीएम धामी ने प्रभावित क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया है। यह घटना बड़कोट के पास की है। बादल फटने से पहाड़ी मलबा गांव में घुस गया। यहां दर्जनों घर बह गए। बादल फटने से पहाड़ी मलबा गांव में घुस गया। धराली खीर गाढ़ में जलस्तर बढ़ने से धराली मार्केट क्षेत्र में नुकसान हुआ है। राज्य सरकार ने आपदा मोचक निधि से राहत और बचाव के लिए 20 करोड़ रुपए की राशि जारी कर दी है मंगलवार को सांसद अनिल बलूनी त्रिवेंद्र सिंह रावत और माला राज्य लक्ष्मी शाह ने केंद्रीय गृहमंत्री से भेंट की उत्तरकाशी हादसे पर इस दौरान विस्तृत जानकारी दी गई। इसके साथ ही केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया गया। हर्षिल, धराली में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। आपदा दलों द्वारा हर्षिल के पास अस्थायी पुलिया तैयार की गयी है, ताकि लोगों को सुरक्षित पार करवाया जा सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलिकॉप्टर से धराली बाजार, हर्षिल एवं आसपास के क्षेत्रों में आपदा से हुई क्षति का निरीक्षण किया। फिर उतरकर बचाव में लगे लोगों से हर अपडेट लिया। सीएम देहरादून में सहस्त्रधारा हेलीपैड से हेलिकॉप्टर में बैठकर धराली तक पहुंचे। उत्तरकाशी हादसे को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम से जानकारी ली है। वह घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी भी लगातार मॉनिटर कर रहे हैं। वह अधिकारियों से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं। उत्तरकाशी से गंगोत्री की तरफ जा रही सड़क टूट गई है। हर्षिल से पहले भटवाडी गांव के पास यह हादसा हुआ। रूट पर यातायात रुक गया है। भूस्‍खलन के कारण धराली को जाने वाले कई रास्ते ध्‍वस्‍त हो गए हैं या मलबे से बंद हो गए हैं। इस कारण अतिरिक्त रेस्‍क्‍यू टीमें जहां–तहां फंसी हुई हैं।

धराली में आपदा की वजह आखिर रही क्या?

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धराली गांव में आई विनाशकारी बाढ़ का कारण बादल फटना नहीं था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बाढ़ ऊपर की ओर किसी ग्लेशियर के टूटने या ग्लेशियर झील के फटने से आई। पहले बादल फटने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन मौसम और सैटेलाइट से मिले डेटा का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी है। जब पहाड़ों पर बर्फ पिघलकर पानी जमा हो जाता है और वह अचानक नीचे की ओर बहता है, तो बाढ़ आ सकती है। भारी बारिश के बिना भी ऐसा हो सकता है।

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