आपदा
उत्तरकाशी जलजला : धराली का ऐतिहासिक कल्प केदार मंदिर भी मलबे की चपेट में आया
सीएन, उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने से खीर गंगा नदी में अचानक आए जलजले ने धराली गांव को अपनी चपेट में ले लिया। इससे कई मकान और होटल तबाह हो गए। आपदा में कई लोगों की मौत हो चुकी है। कई लापता बताए जाते हैं। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और दमकल विभाग के जवान मोर्चे पर तैनात है। राहत और बचाव कार्य जोरों पर है। धराली का ऐतिहासिक कल्प केदार मंदिर भी मलबे की चपेट में आ गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, खीर गंगा नदी में आए सैलाब से धराली बाजार भी पूरी तरह से तहस नहस हो गया है। यही नहीं सैलाब की चपेट में भगवान शिव का अति प्राचीन कल्प केदार मंदिर भी आ गया है। स्थानीय लोगों का दावा है कि यह मंदिर बेहद प्राचीन है। इस मंदिर का वास्तु शिल्प केदारनाथ धाम से मिलता जुलता है। लोगों का कहना है कि जिस तरह केदारनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर वर्षों बर्फ में दबा रहा उसी तरह कल्प केदार मंदिर भी किसी आपदा की वजह से जमीन में दबा रहा था। लोगों का कहना है कि इस प्राचीन मंदिर में दर्शन-पूजन 19वीं सदी से होने लगा। ऐसा दावा है कि 1945 में बहाव कम होने पर लोगों ने खीर गंगा के किनारे मंदिर के शिखर जैसी संरचना को देखा तो जगह की खुदाई की गई। कई फुट जमीन की खुदाई के बाद एक प्राचीन शिव मंदिर निकला जिसकी बनावट केदारनाथ टेंपल जैसी थी।स्थानीय लोगों का दावा है कि पहले भी खीर गंगा ने मंदिर को अपनी चपेट में लिया था। 1945 में खुदाई के बाद मंदिर के निकलने के बाद पूजा शुरू हुई थी। खुदाई के बाद भी मंदिर धरातल से नीचे ही था। श्रद्धालु नीचे जाकर मंदिर में पूजा-पाठ करते थे। लोगों का कहना है कि मंदिर के गर्भगृह में जहां शिवलिंग स्थापित वहां अक्सर खीरगंगा का जल आ जाता था। लोगों ने मंदिर में जाने के लिए मिट्टी निकालकर रास्ता बनाया था जो एकबार फिर गाद की जद में है। यदि धराली के प्राचीन मंदिरों की बात करें तो सन 1816 में गंगा भागीरथी के उद्गम की खोज में निकले अंग्रेज यात्री जेम्स विलियम फ्रेजर ने अपने वृत्तांत में इनका जिक्र किया है। जेम्स विलियम फ्रेजर ने धराली के मंदिरों में विश्राम करने का जिक्र किया है। इसके बाद सन 1869 में गोमुख तक पहुंचे अंग्रेज फोटोग्राफर और खोजकर्ता सैमुअल ब्राउन ने धराली में तीन प्राचीन मंदिरों की तस्वीरें भी ली थीं जो पुरातत्व विभाग के पास सुरक्षित हैंl मंदिर का वास्तु शिल्प कत्यूर शैली का बताया जाता है। मंदिर का गर्भ गृह गृह प्रवेश द्वार से कई मीटर नीचे बताया जाता है। मंदिर के बाहर पत्थरों पर नक्काशी थीं। गर्भगृह का शिवलिंग केदारनाथ मंदिर की तरह ही नंदी की पीठ जैसी आकृति वाला है। मंदिर की स्थापना को लेकर अलग-अलग दावे हैं। कुछ लोग इसका निर्माण भी आदि शंकराचार्य द्वारा कराए जाने की बात कहते हैं।
