आपदा
दो हिस्सों में टूट रही भारत की धरती, विनाशकारी भूकंप की दहलीज पर है खड़ा, छोटे भूकंप का संकेत
दो हिस्सों में टूट रही भारत की धरती, विनाशकारी भूकंप की दहलीज पर है खड़ा, छोटे भूकंप का संकेत
सीएन, नईदिल्ली। भू वैज्ञानिकों ने भारतीय प्लेटों के 2 हिस्सों में टूटने का संकेत दिया है। बताया जा रहा है कि इसका एक हिस्सा धरती के मेंटल में धंसने वाला है इस प्रक्रिया से इलाके के भूवैज्ञानिक परिदृश्य को नया आकार मिल सकता है। आसान भाषा में कहें तो धरती पे मौजूद जमीनी हिस्से को एक नया आकार मिल सकता है। ये खुलासा हुआ है एक रिसर्च में। इस रिसर्च में बताया गया है कि भारत के नीचे मौजूद टेक्टॉनिक प्लेट दो हिस्सों में टूट रही है। अगर ऐसा जारी रहा तो भारत समेत पूरे एशिया का भौगोलिक नक्शा हमेशा के लिए बदल जाएगा। अमेरिका में एक संस्था अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में खुलासा किया है कि भारत के नीचे मौजूद टेक्टॉनिक प्लेट दो हिस्सों में टूट रही है। इसका एक हिस्सा टूटकर धरती के तल यानी कोर में समा सकता है। धरती कुल 7 टेक्टॉनिक प्लेट्स के ऊपर टिकी है। इन्हीं प्लेट्स के आपस में टकराने से धरती के नीचे घर्षण होता है जिससे भूकंप जैसी घटना होती है। रिसर्च में बताया गया है कि भारत जिस प्लेट के ऊपर है उसका एक हिस्सा टूट सकता है। इसके टूटने से भारतीय प्लेट कोर में समा जाएगी। स्टडी कहती है कि लगभग 60 मिलियन सालों से भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। यूरोप और एशिया की सीमा पर मौजूद प्लेट को यूरेशियन प्लेट कहा जाता है। इस टकराव की वजह से भारतीय प्लेट एक ऐसी प्रक्रिया से गुजर रही है जिसे डिलेमिनेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में प्लेट का वो हिस्सा जिसका घनत्व अधिक है, वो धरती के अंदर धंस रहा है। यही वजह है कि इंडियन प्लेट में दरार पड़ रही है। धरती का हिस्सा धंसने से भूगोल हमेशा के लिए बदल सकता है। रिसर्च के मुताबिक डिलैमिनेशन की वजह से प्लेट की स्थिरता पर असर पड़ रहा है। इससे उस जगह जहां ये प्लेट खिसक रही है, वहां भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में जियोफिजिसिस्ट साइमन क्लेम्परर बताते हैं कि हिमालय के इलाकों में टेक्टॉनिक प्लेट्स पर काफी दबाव बना रहता है। इससे प्लेट्स में दरारें पड़ने का खतरा होता है जो भूकंप का कारण बनता है। फिलहाल जो घटना हो रही है, उसकी वजह से कोई विनाशकारी भूकंप आ सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लेट के दो हिस्सों में टूटने की यह शुरुआती प्रक्रिया है। इसपर अभी और शोध की करने की जरूरत है। लेकिन फिलहाल जो संकेत मिले हैं, वो इसी ओर इशारा करते हैं कि धरती का नक्शा बदल सकता है। यह खोज इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि इससे भारत में आने वाले भूकंपों की गंभीरता और उनकी प्रकृति को समझने में मदद मिलेगी। तिब्बती झरनों में भूकंप की तरंगों और हीलियम समस्थानिकों के विश्लेषण के बाद वैज्ञानिकों ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने का दावा किया। इसके परिणामस्वरूप, प्लेट के अंदर एक ऊर्ध्वाधर दरार की जानकारी मिली, जो पहले वैज्ञानिकों के लिए अज्ञात थी। यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के भूगर्भशास्त्री डौवे वैन हिंसबर्गेन का कहना है हमने पहले कभी नहीं सोचा था कि महाद्वीप इस तरह से व्यवहार कर सकते हैं। यह पृथ्वी विज्ञान के लिए एक बेहद मौलिक खोज है। उनका कहना है कि यह खोज इस बात को साबित करती है कि न केवल प्लेट की सतह की मोटाई और विशेषताएं अलग.अलग हो सकती हैं, बल्कि टेक्टोनिक शिफ्ट को प्रभावित करने वाली अंदरूनी प्रक्रियाएं भी बहुत जल्दी बदल सकती हैं, जिसे समझना बेहद मुश्किल है।
